ओमप्रकाश मिश्र
रांची. विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के अवसर पर मंत्रालय (Mantralaya) में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री (Chief Minister) हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने आज राज्य के 2 लाख किसानों (Farmers) के बीच 734 करोड़ की परिसंपत्ति का वितरण किया। मुख्यमंत्री ने 20 लाभुक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड, 10 किसानों को पशुधन और 2 सब्जी विक्रेता सहकारी संघ को पिकअप वैन का वितरण किया।
इस अवसर पर सोरेन ने कहा कि राज्य में पशुपाल, मुर्गी पालन,अंडा उत्पादन, मछली उत्पादन इत्यादि को बढ़ावा देना हमारा संकल्प है। उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड में तेजी से बढ़ोतरी की बात दुहरायी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान एवं खेतिहर मजदूरों के हित को देखते हुए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही है। इस निमित्त रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सभी योजनाओं का समय-समय पर ऑडिट भी किया जाएगा ताकि यह पता चल सके की योजनाएं किसानों और मजदूरों तक पहुंच रही हैं या नहीं।
किसानों को मजबूत कर उन्हें स्वावलंबी बनाने हेतु राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति ने हमारे राज्य को खनिज संपदाओं के भंडार के रूप में हमें कई चीजें दी है। इन खनिज संपदाओं का सदुपयोग बेहतर तरीके से हो तो हमारे गरीब किसानों को आर्थिक मजबूत मिलेगी और उन्हें स्वावलंबी बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड के किसानों को मजबूत कर उन्हें स्वावलंबी बनाने हेतु राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। सरकार गठन के बाद से ही यहां के किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर उन्हें अपने पैरों में खड़ा करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले लोग काफी मेहनती है। सरकार आने वाले 25 वर्षों को ध्यान में रखते हुए कार्य योजनाओं को मूर्त रूप देने में लगी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपारिक आय के साधनों में कमी आयी है
सोरेन ने कहा कि आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हम सभी लोग राज्य के किसान भाईयों को सम्मान देने का कार्य कर रहे हैं। आज से झारखंड के किसानों को बिरसा किसान के नाम से जाना जाएगा। आजादी के पहले से ही हमारे पूर्वजों ने अपने आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए संघर्ष किया था। भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, सिदो कान्हो, चांद-भैरव, फूलो-झानो सहित अनेकों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी। झारखंड वीरों की भूमि रही है। हमें गर्व है कि ऐसे वीर सपूतों का मार्गदर्शन हमें मिला है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपारिक आय के साधनों में कमी आयी है। कमियों और खामियों की वजह से ग्रामीण किसान वनोपज जैसे आय के श्रोतों को धीरे-धीरे छोड़ते चले आए। उन्होंने कहा कि लाह, सिल्क इत्यादि चीजों का उत्पादन झारखंड राज्य में सबसे अधिक होता है परंतु इन संपदाओं का पूरा लाभ हमें नहीं मिल पाता है।
हमारे किसान भाई मेहनत करते है और फल दूसरे लोग खा रहे है। प्रकृति ने हमें यहां के जंगलों में जो चीजें दी थी उससे हमारे किसान आर्थिक रूप से मजबूत थे परंतु समय के साथ-साथ चीजें बदलती गई और आज हम प्रकृति से मिले संसाधनों को आय का स्रोत नहीं बना पा रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार वनोपज हेतु व्यवस्था दुरुस्त करने में लगी है। किसानों को वनोपज के लिए बाजार और उचित मूल्य उपलब्ध हो सके इस निमित्त प्रतिबद्धता के साथ कार्य किए जा रहे है। जल्द ही बन उपज के विस्तार के लिए फेडरेशन बनाए जाएंगे। सोरेन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के लिए खेत उनका बैंक और पशुधन एटीएम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा जो किसान के रूप में है वे अपने खेती-बारी से ही जीवन यापन करते हैं। पशुपालन और पशुधन उनके लिए आय का सरल साधन है। ग्रामीण लोगों के लिए कुछ वर्ष पहले तक पशुधन ही पूंजी हुआ करती थी परंतु धीरे-धीरे यह पूंजी कहां गायब हो गई यह समझ पाना बहुत ही मुश्किल है। एक समय ऐसा था जब लोग गाँवों में झुंड के झुंड जानवर लेकर चराने के लिए जाया करते थे ऐसी तस्वीरें अब देखने को नहीं मिल रही हैं। पशुधन जैसे आय के श्रोतों को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ने पशुपालन पर विशेष बल दिया है। ग्रामीण किसान एवं खेतिहर मजदूर भाईयों को सब्सिडी पर पशु एवं पशु शेड उपलब्ध कराए जा रहे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ वर्ष पहले एक छोटे समय काल के लिए मुझे राज्य का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला था उसी समय मैंने पौष्टिक आहार के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में अंडा उपलब्ध कराने की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार इस सोच के साथ कार्य कर रही है कि लोग अपने घरों पर ही बच्चों को घर का अनाज और घर में उत्पादित अंडे खिला पाएं। उन्होंने कहा कि हमारी सोच है कि हम किस तरह हम आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित कर सकें।