Kerala CM Vijayan
File Photo : PTI

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तिरूवंनतपुरम: केरल में अब सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने पर पांच साल की सजा मिलेगी. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को केरल सरकार द्वारा लाए केरल पुलिस अधिनियम संशोधन विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी. जिसके बाद अब  राज्य पुलिस को ऐसे पोस्ट करने वाले पर सीधे कार्यवाही करने का अधिकार मिल गया है. इस को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है. 

कांग्रेस, भाजपा सहित तमाम दल इस कानून को मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं. वहीं सरकार इसे महिलाओं और अभिव्यक्ति की सुरक्षा के लिए लाया कानून बता रही है. 

यह विधेयक एक दिखावा 

केरल के भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा, “जब सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में इस तरह के कानून के खिलाफ एक स्टैंड लिया, तो सीएम ने इसकी प्रशंसा की और इसे राजनीतिक अभियान बना दिया। अब वह इस ड्रैकियन एक्ट को लाकर सोशल और मेनस्ट्रीम मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए यह कानून एक दिखावा है.

चिदंबरम ने कहा सुनकर स्तब्ध हूं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने इस कानून को लेकर लेफ्ट और केरल सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, “केरल की LDF सरकार द्वारा ‘सोशल मीडिया पर तथाकथित आपत्तिजनक पोस्ट’ करने के कारण 5 साल की सजा सुनकर स्तब्ध हूं. श्री रमेश चेन्निथला, LOP को फंसाने के प्रयास से भी हैरान हूं, एक ऐसे मामले में जहां जांच एजेंसी चार बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर चुकी थी.”

इसी के साथ चिदंबरम ने सीताराम येचुरी पर हमला बोला है. उन्होंने ट्विट में लिखा, “मेरे मित्र सीताराम येचुरी ,महासचिव , सीपीआई (एम), इन अत्याचारी निर्णयों का बचाव कैसे करेंगे?.”

विवाद बढ़ते देख सरकार ने दी सफाई 

संशोधन पर विपक्ष के हमलो को लेकर मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने अपनी सफाई दी है. उन्होंने कहा, “केरल पुलिस अधिनियम में नया संशोधन किसी भी तरह से मुक्त भाषण या निष्पक्ष मीडिया गतिविधि के खिलाफ उपयोग नहीं किया जाएगा. कोई भी संविधान और कानूनी व्यवस्था की सीमा के भीतर किसी भी तरह की कड़ी आलोचना करने के लिए स्वतंत्र है.”

उन्होंने कहा, ” मीडिया की स्वतंत्रता के अलावा, सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा करे.”

क्या है विधेयक 

दरअसल पिछले महीने राज्य कैबिनेट ने नए सेक्शन 118-ए को जोड़ने और पुलिस को अधिक शक्ति देने के लिए कानून में संशोधन किया है। इस संशोधन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अगर सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति को जानबूझकर डराने और अपमान व बदनाम करने के लिए कोई आपत्तिजनक सामग्री डालता है या प्रसारित करता है, तो उसे पांच साल तक की सजा या दस हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है.