रामेश्वरम (तमिलनाडु). तमिलनाडु में रामेश्वरम के मछुआरों पर श्रीलंकाई नौसेना के कर्मियों ने धनुषकोडी के पास मछली पकड़ने के दौरान कथित रूप से बोतलों और पत्थरों से हमला कर दिया। इस कथित हमले में कुछ मछुआरे जख्मी हो गए और उनके उपकरणों को नुकसान पहुंचा है।
मछुआरों के स्थानीय संघ के प्रमुख सेसुराजा ने पत्रकारों से कहा कि मछुआरे सोमवार सुबह 400 नौकाओं पर सवार हो कर मछली पकड़ने गए थे और रात में वापस लौटने के दौरान श्रीलंका की नौसेना के कर्मियों ने उन्हें खदेड़ा और हमला कर दिया।
मत्स्य पालन मंत्री डी जयकुमार ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मछुआरों पर किसी भी तरह का हमला निंदनीय और अस्वीकार्य है। उन्होंने चेन्नई में पत्रकारों से कहा कि घटना के बारे में केंद्र सरकार से बात की जाएगी ताकि तमिलनाडु के मछुआरों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो और वे शांतिपूर्ण तरीके से अपना काम कर सकें।
उन्होंने कहा, “श्रीलंका के कर्मियों को ऐसे हमलों में शामिल नहीं होना चाहिए। कोई भी मछुआरा जानबूझकर भटकना नहीं चाहता है। समंदर में कोई सीमा नहीं होती है। हवा की गति आदि कारकों का प्रभाव पड़ता है।”
द्रमुक और एमडीएमके समेत राजनीतिक पार्टियों ने भारतीय जल क्षेत्र में धनुषकोडी में हुए ‘हमले’ की निंदा की है। यह हमला 17 अक्टूबर को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा चार हजार से ज्यादा मछुआरों को खदेड़ने के बाद हुआ है। वे कच्चातीवु के पास मछली पकड़ रहे थे।
द्रमुक नेता टीआर बालू ने कथित घटना की निंदा करते हुए केंद्र पर मूक दर्शक बने रहने और राज्य की अन्नाद्रमक नीत सरकार पर केंद्र पर दबाव नहीं डालने का आरोप लगाया। बालू ने कहा कि केंद्र सरकार को हमलों को रोकने के लिए मामला श्रीलंका के समक्ष उठाना चाहिए। मत्स्य पालन विभाग में सहायक निदेशक राजेंद्रन और पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वे मछुआरों पर कथित हमलों की शिकायतों को देख रहे हैं।
सेसुराजा ने बताया कि तीन महीने से ज्यादा समय के दौरान समंदर में मछुआरों पर कोई हमला नहीं किया गया था। सेसुराजा ने आरोप लगाया कि श्रीलंका की नौसेना ने मछुआरों पर पत्थर और कांच की बोतलें फेंकी जिसमें एक मछुआरा गंभीर रूप से जख्मी हुआ है जबकि अन्य को चोटें आई हैं।
उन्होंने दावा किया कि उनके मछली पकड़ने के जाल और अन्य सामान को भी कर्मियों ने नुकसान पहुंचाया है। एमडीएमके के महासचिव और राज्यसभा सदस्य वाइको ने आरोप लगाया कि एक मछुआरे के सिर पर चोट लगी है जबकि अन्य कई को जख्म हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार ने श्रीलंका के समक्ष कड़ा विरोध तक दर्ज नहीं कराया है और यह पीड़ादायक है। पीएमके संस्थापक एस रामदोस ने भी हमले की निंदा की। (एजेंसी)