Who is abusing me, who wants to kill me - I do not care about it Health Minister

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    ओमप्रकाश मिश्र

    रांची. झारखण्ड (Jharkhand) के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (Health Minister Banna Gupta) की बेबसी और लाचारी का आलम यह है कि इन्हें कोई गाली से नवाजे या मारने की धमकी दे, इसका इन्हें कोई मलाल नहीं। जमशेदपुर (Jamshedpur) के एक अस्पताल (Hospital) में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। गाली देने और मारने की धमकी देने वाले अस्पताल प्रबन्धक के ऐसे रवैये पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुझे कौन गाली दे रहा है, और कौन मारने की बात कर रहा है, मेरे लिए यह कोई मुद्दा नहीं है। फिलहाल मेरी प्राथमिकता आम लोगों को सरकार द्वारा तय नियम के तहत महामारी में मरीजों के इलाज की व्यवस्था करना है। मैं इसके लिए प्रयास कर रहा हूं। बाकि बातों से मुझे कोई लेना-देना नहीं है।स्वास्थ्य मंत्री के साथ ऐसा तब हुआ जब उन्होंने एक टीम गठित कर टीम के दल को जाँच के लिए अस्पताल भेजा।

    स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जमशेदपुर स्थित उमा हॉस्पिटल और आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ नर्सिंग होम में इलाज के लिए मरीजों से अधिक पैसा लिए जाने की शिकायत उन्हें लगातार मिल रही थी।अस्पताल प्रबंधन द्वारा मनमानी किये जाने और महामारी को अवसर बना कर इसका लाभ उठाने के अलावा सरकार द्वारा कोरोना के इलाज के लिए निर्धारित दर से अधिक पैसे लिए जाने की जानकारी मिलने के पश्चात उन्होंने एक टीम को जांच के लिए उपरोक्त दोनों अस्पतालों में भेजा। 

    नहीं तो ऐसे मंत्री और जांच टीम को दौड़ा-दौड़ाकर पीटता

    स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आदेश पर जांच दल दोपहर आदित्यपुर की 111 सेव लाइफ नर्सिंग होम पहुंची। स्वास्थ्य विभाग की टीम को देख नर्सिंग होम के संचालक डॉक्टर ओमप्रकाश आनंद नाराज हो गए। और आवेश में आकर उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोविड के 7 और वेंटिलेटर पर दो मरीजों का इलाज चल रहा है। मैं इसका लिहाज कर गया। नहीं तो ऐसे मंत्री और जांच टीम को दौड़ा-दौड़ाकर पीटता। डॉक्टर  आनंद ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने यह जाँच  कराकर बहुत गलत किया है क्योंकि डॉक्टर ओपी आनंद को जानने वाले यह अच्छी तरह से जानते हैं कि मरीजों के इलाज में डॉक्टर आनंद किसी नियम कानून को नहीं मानता है। इलाज के लिए सरकार द्वारा निर्धारित किए गए शुल्क के बाबत उन्होंने कहा कि जब मंत्री नेता के इलाज पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है तो फिर आम लोगों के इलाज के लिए किस आधार पर सात हजार रुपए रेट तय किया गया है? जो रेट तय किया है, उसकी कोई जानकारी अस्पताल को नहीं दी है। जो टीम आई है, उनके द्वारा भी सरकार द्वारा तय रेट की चिट्ठी नहीं दी है।

    मनमानी पैसा लेने की कई शिकायतें मिली थी

    मामले की जांच करने पहुंचे प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर वरियल मार्डी ने इस संबंध में बताया कि स्वास्थ्य मंत्री को नर्सिंग होम द्वारा कोविड मरीजों से मनमानी पैसा लेने की कई शिकायतें मिली थी। इसको लेकर मंत्री ने मामले की जांच कर रविवार तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। तीन सदस्यीय टीम नर्सिंग होम जांच करने पहुंची। जांच में यह बात सामने आई कि वहां 8 मरीज भर्ती थे, जिसमें कोविड के 7 और कैंसर का एक मरीज था। जाँच दल जाँच कार्य कर रहा था उसी समय अस्पताल के संचालक डॉक्टर आनंद वहां आ धमके और जाँच दल को जाँच में सहयोग करने के बजाय अड़ियल रवैया दिखाया। जाँच दल को मरीजों से अवैध वसूली की भी जानकारी मिली थी। इस संबंध में जाँच दल ने अवैध वसूली के बारे में मरीजों के परिजनों से पूछताछ की तो अस्पताल प्रबंधन ने किसी मरीज के परिजन को टीम से बात करने ही नहीं दिया। जांच के दौरान जाँच दल को अस्पताल में अग्निशमन की एनओसी, प्रदूषण का सर्टिफिकेट, दर तालिका जैसी कई कमियां मिली हैं। जाँच दल में डॉक्टर अनिर्बन महतो व घनपत महतो भी शामिल थे। प्रभारी सिविल सर्जन ने  कहा कि रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य मंत्री को भेज दिया गया है। अब अगले आदेश के अनुसार, आगे की कार्रवाई होगी।