Munshi Premchand Death Anniversaryमुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार और कथन
आज मुंशी प्रेमचंद की 85 वीं पुण्यतिथि है। प्रेमचंद 1936 में इस संसार से चले गए, लेकिन अपनी रचनाओं के माध्यम से आज भी वे हिंदी के साहित्याकाश में किसी अटल नक्षत्र की भांति प्रभासित हो रहे हैं। उनकी पुण्यतिथि पर जानते है उनके कुछ अनमोल विचार।
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"न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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"दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।"~ मुंशी प्रेमचंद
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कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।" ~ मुंशी प्रेमचंद
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