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गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म इरोड में हुआ था, रामानुजन तमिल ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे। इनकी की माता का नाम 'कोमलताम्मल' और इनके पिता का नाम 'श्रीनिवास अय्यंगर' था।
गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म इरोड में हुआ था, रामानुजन तमिल ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे। इनकी की माता का नाम 'कोमलताम्मल' और इनके पिता का नाम 'श्रीनिवास अय्यंगर' था।
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आपको जानकर हैरानी होगी वह तीन साल की उम्र तक बोलना सीख नहीं पाए थे। जब 3 साल की उम्र तक बोल नहीं पाए तो घरवालों को चिंता होने लगी थी कहीं वह गूंगे तो नहीं हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी वह तीन साल की उम्र तक बोलना सीख नहीं पाए थे। जब 3 साल की उम्र तक बोल नहीं पाए तो घरवालों को चिंता होने लगी थी कहीं वह गूंगे तो नहीं हैं।
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रामानुजन जब 12 साल के थे तब उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और बिना किसी की सहायता के खुद से कई प्रमेय (Theorems) भी विकसित किए।
रामानुजन जब 12 साल के थे तब उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और बिना किसी की सहायता के खुद से कई प्रमेय (Theorems) भी विकसित किए।
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1903 में उन्होंने Kumbakonam में सरकारी कॉलेज ज्वाइन किया। रामानुजन को गणित से इतना लगाव था कि वह गणित में तो पूरे के पूरे नंबर लेकर आते थे लेकिन अन्य विषयों पर उचित ध्यान न दे पाने पर वे इनमें फेल हो जाते थे।
1903 में उन्होंने Kumbakonam में सरकारी कॉलेज ज्वाइन किया। रामानुजन को गणित से इतना लगाव था कि वह गणित में तो पूरे के पूरे नंबर लेकर आते थे लेकिन अन्य विषयों पर उचित ध्यान न दे पाने पर वे इनमें फेल हो जाते थे।
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रामानुजन 12वीं में दो बार फेल हुए थे। जिस गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ते हुए वे दो बार फेल हुए, बाद में उसका नाम बदलकर उनके नाम पर ही रखा गया।
रामानुजन 12वीं में दो बार फेल हुए थे। जिस गवर्नमेंट कॉलेज में पढ़ते हुए वे दो बार फेल हुए, बाद में उसका नाम बदलकर उनके नाम पर ही रखा गया।
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यहां उनकी गणित की प्रतिभा और नॉलेज को उनके साथियों ने पहचाना और उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, ट्रिनिटी कॉलेज में रेफर कर दिया।
यहां उनकी गणित की प्रतिभा और नॉलेज को उनके साथियों ने पहचाना और उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, ट्रिनिटी कॉलेज में रेफर कर दिया।
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दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ महीने पहले रामानुजन ने ट्रिनिटी कॉलेज ज्वाइन कर लिया। सन् 1918 में रामानुजन को कैम्ब्रिज फिलोसॉफिकल सोसायटी, रॉयल सोसायटी तथा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज तीनों का फेलो चुना गया।
दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ महीने पहले रामानुजन ने ट्रिनिटी कॉलेज ज्वाइन कर लिया। सन् 1918 में रामानुजन को कैम्ब्रिज फिलोसॉफिकल सोसायटी, रॉयल सोसायटी तथा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज तीनों का फेलो चुना गया।
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1919 में भारत लौटने के बाद महज 33 साल की उम्र में टीबी की बीमारी के कारण 26 अप्रैल 1920 को महान गणितज्ञ का निधन हो गया।
1919 में भारत लौटने के बाद महज 33 साल की उम्र में टीबी की बीमारी के कारण 26 अप्रैल 1920 को महान गणितज्ञ का निधन हो गया।