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ग्वालियर के एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार और एक स्कूल टीचर के घर में जन्मे अटल जी का शुरुआती सफर आसान नहीं था। वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा  (बी॰ए॰) ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई।
ग्वालियर के एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार और एक स्कूल टीचर के घर में जन्मे अटल जी का शुरुआती सफर आसान नहीं था। वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा (बी॰ए॰) ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई।
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उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में (एम॰ए॰) किया।  जिसके बाद उन्होंने कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई पूरी की और पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में (एम॰ए॰) किया। जिसके बाद उन्होंने कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई पूरी की और पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
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आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे 'भीष्मपितामह' भी कहा जाता है। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया था।
आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे 'भीष्मपितामह' भी कहा जाता है। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया था।
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साल 1957 में वह पहली बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मंत्री थे। बता दें कि, 1942 में 18 साल की आयु में वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वाजपेयी 23 दिनों के लिए जेल भी गए थे।
साल 1957 में वह पहली बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मंत्री थे। बता दें कि, 1942 में 18 साल की आयु में वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वाजपेयी 23 दिनों के लिए जेल भी गए थे।
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1947 में जब देश आजाद हुआ तो वाजपेयी उस दौरान एमए-राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे। इस दौरान ही युवा अटल आरएसएस के संपर्क में आए और राजनीति से जुड़ गए। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर पहला चुनाव लड़े। तब वाजपेयी मात्र 33 साल के थे।
1947 में जब देश आजाद हुआ तो वाजपेयी उस दौरान एमए-राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे। इस दौरान ही युवा अटल आरएसएस के संपर्क में आए और राजनीति से जुड़ गए। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर पहला चुनाव लड़े। तब वाजपेयी मात्र 33 साल के थे।
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जनसंघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को की थी। 1957 आते आते संपादक वाजपेयी, वाक और संप्रेषण कला में निपुण हो चुके थे।
जनसंघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को की थी। 1957 आते आते संपादक वाजपेयी, वाक और संप्रेषण कला में निपुण हो चुके थे।
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एक इंटरव्यू में वाजपेयी ने बताया था कि 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे। जिसके चलते वे श्रीनगर पहुंच गए थे उनके साथ पत्रकार के रूप में मैं भी वहां गया था। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया पर मैं लौट आया। नजरबंदी में रहने वाले डॉ. मुखर्जी की बीमारी की वजह से मौत हो गई। मैं मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाना चाहता था। इस घटना से आहात होकर मैंने राजनीति में आने का निर्णय लिया ।
एक इंटरव्यू में वाजपेयी ने बताया था कि 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे। जिसके चलते वे श्रीनगर पहुंच गए थे उनके साथ पत्रकार के रूप में मैं भी वहां गया था। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया पर मैं लौट आया। नजरबंदी में रहने वाले डॉ. मुखर्जी की बीमारी की वजह से मौत हो गई। मैं मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाना चाहता था। इस घटना से आहात होकर मैंने राजनीति में आने का निर्णय लिया ।
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1977 में विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी ने पहला काम यह किया कि, वह इंदिरा गांधी के घर यह आश्वासन देने पहुंच गए कि, वे सरकार बदले की कार्रवाई ना करें। इंदिरा गांधी और उनका परिवार इस बात से डरे हुए थे कि कहीं गुस्साई भीड़ उनकी पीट-पीटकर हत्या ना कर दे।
1977 में विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी ने पहला काम यह किया कि, वह इंदिरा गांधी के घर यह आश्वासन देने पहुंच गए कि, वे सरकार बदले की कार्रवाई ना करें। इंदिरा गांधी और उनका परिवार इस बात से डरे हुए थे कि कहीं गुस्साई भीड़ उनकी पीट-पीटकर हत्या ना कर दे।
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साल 1998, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।
साल 1998, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।
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वाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में उनकी महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सबसे ऊपर रखा जाता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए गांवों को पक्की सड़कों के जरिए शहरों से जोड़ा गया।
वाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में उनकी महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सबसे ऊपर रखा जाता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए गांवों को पक्की सड़कों के जरिए शहरों से जोड़ा गया।
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सर्व शिक्षा अभियान को अटल बिहारी की सरकार के दौरान 2001 में लॉन्च किया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जानी थी।
सर्व शिक्षा अभियान को अटल बिहारी की सरकार के दौरान 2001 में लॉन्च किया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जानी थी।
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अटल जी को सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
अटल जी को सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
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अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान हुए करगिल युद्ध में भारत ने विजय हासिल की और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत झुकने वालों में से नहीं है। अटल सरकार ने करगिल शहीदों के लिए मुआवजे की घोषणा की।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान हुए करगिल युद्ध में भारत ने विजय हासिल की और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत झुकने वालों में से नहीं है। अटल सरकार ने करगिल शहीदों के लिए मुआवजे की घोषणा की।
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2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे। 16 अगस्त 2018 को एक लंबी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में श्री वाजपेयी का निधन हो गया।
2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे। 16 अगस्त 2018 को एक लंबी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में श्री वाजपेयी का निधन हो गया।