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शिवसेना संस्‍थापक बाला साहब ठाकरे की छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता की रही, उन्‍होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहे।
शिवसेना संस्‍थापक बाला साहब ठाकरे की छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता की रही, उन्‍होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहे।
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बालासाहेब की पत्‍नी का नाम मीनाताई ठाकरे था, उनके तीन पुत्र हुए। बिंदुमाधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे। बता दें कि उद्धव ठाकरे में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में महाराष्ट्र के मुख्‍यमंत्री हैं।
बालासाहेब की पत्‍नी का नाम मीनाताई ठाकरे था, उनके तीन पुत्र हुए। बिंदुमाधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे। बता दें कि उद्धव ठाकरे में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में महाराष्ट्र के मुख्‍यमंत्री हैं।
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शिवसेना संस्‍थापक ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का खुलकर समर्थन किया था। उन्होंने कई बार इसके पक्ष में बयान भी दिए थे।
शिवसेना संस्‍थापक ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का खुलकर समर्थन किया था। उन्होंने कई बार इसके पक्ष में बयान भी दिए थे।
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बाला साहब के निधन के पश्‍चात ठाकरे परिवार दो भागों में बंट गया था। ठाकरे के भतीजे राज ने पार्टी को छोड़ अपनी अलग पार्टी एमएनए की स्थापना की।
बाला साहब के निधन के पश्‍चात ठाकरे परिवार दो भागों में बंट गया था। ठाकरे के भतीजे राज ने पार्टी को छोड़ अपनी अलग पार्टी एमएनए की स्थापना की।
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File Photo
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बाल ठाकरे ने अपना प्रोफेशनल करियर अंग्रेजी कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरू किया था. वो मुंबई के अंग्रेजी समाचार पत्र द फ्री प्रेस जर्नल (The Free Press Journal) के लिए कार्टून बनाया करते थे.
बाल ठाकरे ने अपना प्रोफेशनल करियर अंग्रेजी कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरू किया था. वो मुंबई के अंग्रेजी समाचार पत्र द फ्री प्रेस जर्नल (The Free Press Journal) के लिए कार्टून बनाया करते थे.
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उन्होंने कई अखबारों के लिए फ्रीलांसिंग भी की.  ठाकरे का एक निजी समाचार पत्र पर टाइम्स में 1953 में बनाया गया कार्टून.
उन्होंने कई अखबारों के लिए फ्रीलांसिंग भी की. ठाकरे का एक निजी समाचार पत्र पर टाइम्स में 1953 में बनाया गया कार्टून.
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1966 में जब पॉप स्टार माइकल जैक्शन भारत आए, तो उनका काफी विरोध हुआ था। इसके बाद बाल ठाकरे ने खुलकर जैक्सन का समर्थन किया था और विरोधियों को शांत कराया था।
1966 में जब पॉप स्टार माइकल जैक्शन भारत आए, तो उनका काफी विरोध हुआ था। इसके बाद बाल ठाकरे ने खुलकर जैक्सन का समर्थन किया था और विरोधियों को शांत कराया था।
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1960 में उन्होंने द फ्री प्रेस जर्नल की नौकरी छोड़ दी. अपना खुद का पॉलिटिकल वीकली मार्मिक (Marmik) के नाम से शुरू किया.
1960 में उन्होंने द फ्री प्रेस जर्नल की नौकरी छोड़ दी. अपना खुद का पॉलिटिकल वीकली मार्मिक (Marmik) के नाम से शुरू किया.
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उनके पिता केशव सीताराम ठाकर अखंड महाराष्ट्र आंदोलन के अग्रणी नेताओं में थे. जिनकी वैचारिकता का असर बाल ठाकरे पर पड़ा. 1949 में बने इस कार्टून में बाल ठाकरे ने कश्मीर के संघर्ष विराम समझौते का वर्णन किया है.
उनके पिता केशव सीताराम ठाकर अखंड महाराष्ट्र आंदोलन के अग्रणी नेताओं में थे. जिनकी वैचारिकता का असर बाल ठाकरे पर पड़ा. 1949 में बने इस कार्टून में बाल ठाकरे ने कश्मीर के संघर्ष विराम समझौते का वर्णन किया है.
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अपने साप्ताहिक समाचार पत्र में बाल ठाकरे अमूमन मुंबई में गैर मराठियों के बढ़ते असर पर कार्टून बनाया करते थे. हालांकि उन्होंने तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को भी अपने कार्टून्स के जरिए उठाया. मुद्रास्फीति पर बाल ठाकरे का 2 9 नवंबर 1948 में प्रकाशित हुआ कार्टून.
अपने साप्ताहिक समाचार पत्र में बाल ठाकरे अमूमन मुंबई में गैर मराठियों के बढ़ते असर पर कार्टून बनाया करते थे. हालांकि उन्होंने तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को भी अपने कार्टून्स के जरिए उठाया. मुद्रास्फीति पर बाल ठाकरे का 2 9 नवंबर 1948 में प्रकाशित हुआ कार्टून.
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बाला साहेब ठाकरे ने सचिन तेंदुलकर का भी विरोध किया था, बता दें कि सचिन ने कहा था कि महाराष्ट्र पर पूरे भारत का हक है इस पर ठाकरे ने कहा था कि आप राजनीतिक बयानबाजी से दूर रहें और क्रिकेट खेलें।
बाला साहेब ठाकरे ने सचिन तेंदुलकर का भी विरोध किया था, बता दें कि सचिन ने कहा था कि महाराष्ट्र पर पूरे भारत का हक है इस पर ठाकरे ने कहा था कि आप राजनीतिक बयानबाजी से दूर रहें और क्रिकेट खेलें।
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1966 में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की, जिसका उद्देश्य मुंबई में महाराष्ट्र की आवाज को उठाना था. 11 सितंबर 1959 में प्रकाशित हुआ बाल ठाकरे के भारत-चीन सीमा संघर्ष पर बनाया गया.
1966 में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की, जिसका उद्देश्य मुंबई में महाराष्ट्र की आवाज को उठाना था. 11 सितंबर 1959 में प्रकाशित हुआ बाल ठाकरे के भारत-चीन सीमा संघर्ष पर बनाया गया.
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आज मुंबई के दादर स्थित शिवाजी पार्क में बने बालासाहेब स्मृति स्थल पर हर साल ठाकरे परिवार और सभी बड़े नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं।
आज मुंबई के दादर स्थित शिवाजी पार्क में बने बालासाहेब स्मृति स्थल पर हर साल ठाकरे परिवार और सभी बड़े नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं।
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इस बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे अपने पूरे परिवार के साथ श्रद्धांजलि देने वहां पहुंचे। हजारों की संख्या में शिवसैनिक भी हर साल शिवाजी पार्क पहुंचते हैं।
इस बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे अपने पूरे परिवार के साथ श्रद्धांजलि देने वहां पहुंचे। हजारों की संख्या में शिवसैनिक भी हर साल शिवाजी पार्क पहुंचते हैं।
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