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आज देश के गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का जन्मदिन है। उनके इस जन्मदिन पर कई बड़े दिग्गज नेताओं और बीजेपी के कई बड़े नेता अमित शाह को बधाई प्रेषित कर रहे हैं।
आज देश के गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का जन्मदिन है। उनके इस जन्मदिन पर कई बड़े दिग्गज नेताओं और बीजेपी के कई बड़े नेता अमित शाह को बधाई प्रेषित कर रहे हैं।
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वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी अमित शाह को बधाई देते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि, “अथक परिश्रम से देश की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे गृहमंत्री अमित शाह जी को जन्मदिन की शुभकामनायें। CAA, व धारा 370 हटाने जैसे देशहित के निर्णय से वर्षों पुरानी समस्या का अंत करने के साथ ही भाजपा संगठन, और राज्यों में भाजपा सरकार के विस्तार में आपका अतुलनीय योगदान रहा है। आपके जन्मदिवस पर प्रार्थना है कि ईश्वर आप को दीर्घायु करें, और राष्ट्र और जनहित के प्रति आपके विज़न, नेतृत्व, अनुभव, और दूरदर्शिता का लाभ सदैव मिलता रहे।”
वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी अमित शाह को बधाई देते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि, “अथक परिश्रम से देश की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे गृहमंत्री अमित शाह जी को जन्मदिन की शुभकामनायें। CAA, व धारा 370 हटाने जैसे देशहित के निर्णय से वर्षों पुरानी समस्या का अंत करने के साथ ही भाजपा संगठन, और राज्यों में भाजपा सरकार के विस्तार में आपका अतुलनीय योगदान रहा है। आपके जन्मदिवस पर प्रार्थना है कि ईश्वर आप को दीर्घायु करें, और राष्ट्र और जनहित के प्रति आपके विज़न, नेतृत्व, अनुभव, और दूरदर्शिता का लाभ सदैव मिलता रहे।”
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22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में जन्मे अमित शाह आज केंद्रीय गृह मंत्री हैं. एक संपन्न गुजराती परिवार में पैदा हुए शाह  16 साल की उम्र तक अपने पैतृक गांव गुजरात के मानसा में ही रहे और स्कूली शिक्षा हासिल की. इसके बाद जब उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हो गया, तो वो अहमदाबाद आ गए. जहां से ही अपनी B.SC की पढ़ाई की. उनके पिता अनिलचंद्र शाह का प्लास्टिक के पाइप का कारोबार था और मां कुसुमबेन गृहणी थीं. अहमदाबाद से बॉयोकेमेस्ट्री में बीएससी करने के बाद वह अपने पिता का कारोबार भी संभालने लगे थे.
22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में जन्मे अमित शाह आज केंद्रीय गृह मंत्री हैं. एक संपन्न गुजराती परिवार में पैदा हुए शाह 16 साल की उम्र तक अपने पैतृक गांव गुजरात के मानसा में ही रहे और स्कूली शिक्षा हासिल की. इसके बाद जब उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हो गया, तो वो अहमदाबाद आ गए. जहां से ही अपनी B.SC की पढ़ाई की. उनके पिता अनिलचंद्र शाह का प्लास्टिक के पाइप का कारोबार था और मां कुसुमबेन गृहणी थीं. अहमदाबाद से बॉयोकेमेस्ट्री में बीएससी करने के बाद वह अपने पिता का कारोबार भी संभालने लगे थे.
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इसके चार साल बाद 1986 में उनकी मुलाकात आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई और दोनों में दोस्ती हो गई. इसके ठीक एक साल बाद भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा से उन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरुआत की और फिर लगातार सियासी सीढ़ियां चढ़ते चले गए. इसके पहले पायदान पर 1989 में अहमदाबाद के सचिव का पद आया और अगली सीढ़ी पर 1997 में युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए गए.
इसके चार साल बाद 1986 में उनकी मुलाकात आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई और दोनों में दोस्ती हो गई. इसके ठीक एक साल बाद भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा से उन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरुआत की और फिर लगातार सियासी सीढ़ियां चढ़ते चले गए. इसके पहले पायदान पर 1989 में अहमदाबाद के सचिव का पद आया और अगली सीढ़ी पर 1997 में युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाए गए.
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इसके बाद साल 1996 में उन्होंने गांधीनगर सीट पर अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी चुनाव प्रचार किया.अमित शाह ने पहली बार साल 1997 में गुजरात की सरखेज विधान सभा सीट से हुए उप चुनाव में लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद वह लगातार चार बार जीत दर्ज कर विधान सभा पहुंचे.
इसके बाद साल 1996 में उन्होंने गांधीनगर सीट पर अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी चुनाव प्रचार किया.अमित शाह ने पहली बार साल 1997 में गुजरात की सरखेज विधान सभा सीट से हुए उप चुनाव में लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद वह लगातार चार बार जीत दर्ज कर विधान सभा पहुंचे.
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अमित शाह अपने राजनीतिक करियर में कभी चुनाव नहीं हारे हैं. 1997 में उप चुनाव में जीत के बाद अमित शाह ने सरखेज सीट से 1998, 2002 और 2007 में जीत दर्ज की. 2012 के चुनाव में अमित शाह ने अपनी सीट बदल ली और नारनुपुरा विधान सभा सीट से जीतकर विधान सभा पहुंचे. इसके बाद अमित शाह ने साल 2019 में हुए आम चुनाव में भी जीत हासिल की.
अमित शाह अपने राजनीतिक करियर में कभी चुनाव नहीं हारे हैं. 1997 में उप चुनाव में जीत के बाद अमित शाह ने सरखेज सीट से 1998, 2002 और 2007 में जीत दर्ज की. 2012 के चुनाव में अमित शाह ने अपनी सीट बदल ली और नारनुपुरा विधान सभा सीट से जीतकर विधान सभा पहुंचे. इसके बाद अमित शाह ने साल 2019 में हुए आम चुनाव में भी जीत हासिल की.
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राजनीति जिस दौर से गुजर रही है, यह एक मुश्किल वक्त है. नेता-राजनेता की ओर देखें तो सिर्फ पीत राजनीति ही नजर आती है. सियासी पूर्वाग्रहों को छोड़ दें तो इस दौर में अमित शाह का अब तक का जीवन व्यक्तित्व भी बहुत कुछ सीखाता है.
राजनीति जिस दौर से गुजर रही है, यह एक मुश्किल वक्त है. नेता-राजनेता की ओर देखें तो सिर्फ पीत राजनीति ही नजर आती है. सियासी पूर्वाग्रहों को छोड़ दें तो इस दौर में अमित शाह का अब तक का जीवन व्यक्तित्व भी बहुत कुछ सीखाता है.
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राजनीतिक मुद्दों और मकसदों को परे रखकर प्रेरक तथ्यों को अपनाने में बुराई नहीं और जो अमित शाह से सीखा जा सकता है. उनमें कई बातें सबसे खास है.
राजनीतिक मुद्दों और मकसदों को परे रखकर प्रेरक तथ्यों को अपनाने में बुराई नहीं और जो अमित शाह से सीखा जा सकता है. उनमें कई बातें सबसे खास है.
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आज की पीढ़ी का मन बहुत भटकाऊ है. किशोर और युवा होने के बावजूद उनका मन एकाग्र नहीं होता है. आज यह करना, फिर कुछ और शुरू कर देना एक नई प्रवृत्ति बन रही है. ऐसे में अमित शाह के त्वरित फैसले और उन पर उनका रुख आपको संकल्प की शक्ति का अहसास कराते हैं.
आज की पीढ़ी का मन बहुत भटकाऊ है. किशोर और युवा होने के बावजूद उनका मन एकाग्र नहीं होता है. आज यह करना, फिर कुछ और शुरू कर देना एक नई प्रवृत्ति बन रही है. ऐसे में अमित शाह के त्वरित फैसले और उन पर उनका रुख आपको संकल्प की शक्ति का अहसास कराते हैं.
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16 साल की उम्र में ही वे RSS में शामिल हुए. यह बताता है कि आज जिस मुकाम पर शाह हैं, इसकी तैयारी उऩ्होंने उम्र के बेहद शुरुआती दौर में ही शुरू कर दी थी. नतीजा सामने है कि वह देश के सफल गृहमंत्रियों में शुमार हैं.
16 साल की उम्र में ही वे RSS में शामिल हुए. यह बताता है कि आज जिस मुकाम पर शाह हैं, इसकी तैयारी उऩ्होंने उम्र के बेहद शुरुआती दौर में ही शुरू कर दी थी. नतीजा सामने है कि वह देश के सफल गृहमंत्रियों में शुमार हैं.
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समय की पाबंदी अमित शाह का सबसे सटीक पहलू है. उन्होंने हर लक्ष्य, हर उद्देश्य आदि के लिए निर्धारित समय को महत्व दिया. जहां आज लेट-लतीफी का चलन बन रहा है, केंद्रीय गृहमंत्री से यह सीखा जा सकता है.
समय की पाबंदी अमित शाह का सबसे सटीक पहलू है. उन्होंने हर लक्ष्य, हर उद्देश्य आदि के लिए निर्धारित समय को महत्व दिया. जहां आज लेट-लतीफी का चलन बन रहा है, केंद्रीय गृहमंत्री से यह सीखा जा सकता है.
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