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चीन में गर्भनाल को प्लेसेंटोफैगी (Placentophagy) कहा जाता है। यहां के लोगों के अनुसार प्लेसेंटा (Placenta) में बहुत से पोषक तत्व होते हैं, जिसके चलते इसे खाया जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि माँ खुद बच्चे के जन्म के बाद अपना गर्भनाल खा जाती है।
चीन में गर्भनाल को प्लेसेंटोफैगी (Placentophagy) कहा जाता है। यहां के लोगों के अनुसार प्लेसेंटा (Placenta) में बहुत से पोषक तत्व होते हैं, जिसके चलते इसे खाया जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि माँ खुद बच्चे के जन्म के बाद अपना गर्भनाल खा जाती है।
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रिपोर्ट के अनुसार कई बार अस्पताल से गर्भनाल की चोरी भी की जाती है जिसे बाजार में ले जाकर ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। इसे सुखाकर औषधि की तरह भी इसका उपयोग किया जाता है। चायनीज लोग इसका सुप बनाकर पीना पसंद करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार कई बार अस्पताल से गर्भनाल की चोरी भी की जाती है जिसे बाजार में ले जाकर ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। इसे सुखाकर औषधि की तरह भी इसका उपयोग किया जाता है। चायनीज लोग इसका सुप बनाकर पीना पसंद करते हैं।
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लोगों का मानना है कि गर्भनाल खाने से महिलाओं को बच्चा पैदा करने के बाद तनाव नहीं होता। वहीं कुछ औरतें खुद को जवा बनाएं रखने के लिए भी इसे खाती है। चिकित्सक दृष्टि से यदि देखा जाए तो माना जाता है कि,  पुरुषों की नपुंसकता के इलाज में यह बेहतरीन है। हालांकि, अभी तक किसी चिकित्सक ने इसके फायदों को लेकर दावों की पुष्टि नहीं की है।
लोगों का मानना है कि गर्भनाल खाने से महिलाओं को बच्चा पैदा करने के बाद तनाव नहीं होता। वहीं कुछ औरतें खुद को जवा बनाएं रखने के लिए भी इसे खाती है। चिकित्सक दृष्टि से यदि देखा जाए तो माना जाता है कि, पुरुषों की नपुंसकता के इलाज में यह बेहतरीन है। हालांकि, अभी तक किसी चिकित्सक ने इसके फायदों को लेकर दावों की पुष्टि नहीं की है।
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टेक्सास यूनिवर्सिटी अस्पताल के डॉक्टर्स ने गर्भनाल खाने से बीमारी होने का खतरा बताया है, उनका कहना है कि, इसे खाने से वायरस हो सकता है। प्लेसेंटा मां से बच्चे तक पोषण फिल्टर कर पहुंचाती है इसलिए इसमें खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं, जिसे खाने से बिमारियों का खतरा अधिक हैं।
टेक्सास यूनिवर्सिटी अस्पताल के डॉक्टर्स ने गर्भनाल खाने से बीमारी होने का खतरा बताया है, उनका कहना है कि, इसे खाने से वायरस हो सकता है। प्लेसेंटा मां से बच्चे तक पोषण फिल्टर कर पहुंचाती है इसलिए इसमें खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं, जिसे खाने से बिमारियों का खतरा अधिक हैं।
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सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने 2016 में प्लेसेंटा खाने के बारे में एक शोध किया था, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। शोध में पाया गया कि ,   मां से बच्चे में पहुंचे दूध के कारण खून में गंभीर संक्रमण पहले से मौजूद था। ये इसलिए हुआ क्योंकि मां बच्चे के जन्म के बाद रोजाना प्लेसेंटा से बना कैप्सूल खा रही थी, उस दौरान वह बच्चे को दूध पिलाती थी और इसी वजह से संक्रमण बच्चे तक पहुंच गया।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने 2016 में प्लेसेंटा खाने के बारे में एक शोध किया था, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। शोध में पाया गया कि , मां से बच्चे में पहुंचे दूध के कारण खून में गंभीर संक्रमण पहले से मौजूद था। ये इसलिए हुआ क्योंकि मां बच्चे के जन्म के बाद रोजाना प्लेसेंटा से बना कैप्सूल खा रही थी, उस दौरान वह बच्चे को दूध पिलाती थी और इसी वजह से संक्रमण बच्चे तक पहुंच गया।
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