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भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के शिल्पकार 'होमी जहांगीर भाभा' प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा स्वप्नदृष्टा थे। उनके प्रयत्नों के परिणामस्वरूप ही भारत आज परमाणु सम्पन्न देशों में शामिल है।
भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के शिल्पकार 'होमी जहांगीर भाभा' प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा स्वप्नदृष्टा थे। उनके प्रयत्नों के परिणामस्वरूप ही भारत आज परमाणु सम्पन्न देशों में शामिल है।
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इनकी प्रारम्भिक पढ़ाई मुम्बई के कैथड्रल और जॉन केनन स्कूल से हुई थी। उसके बाद उन्होंने एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई और रोयाल इंस्टीट्यूट ऑफ से विज्ञान में स्नातक परीक्षा पास की। उसके बाद भाभा साल 1927 में इंग्लैंड के कैअस कॉलेज, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिए गए। 1934 में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि हासिल की।
इनकी प्रारम्भिक पढ़ाई मुम्बई के कैथड्रल और जॉन केनन स्कूल से हुई थी। उसके बाद उन्होंने एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई और रोयाल इंस्टीट्यूट ऑफ से विज्ञान में स्नातक परीक्षा पास की। उसके बाद भाभा साल 1927 में इंग्लैंड के कैअस कॉलेज, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई के लिए गए। 1934 में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि हासिल की।
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नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी.रमण डॉ. भाभा को उनकी बहुमुखी प्रतिभा के कारण भारत का 'लियोनार्दो द विंची' पुकारा करते थे। भाभा वैज्ञानिक होने के साथ ही कई और कलाओं में भी पारंगत थे। उन्हे शास्त्रीय संगीत, नृत्य और चित्रकला भी गहरी रूचि थी और इन कलाओं की अच्छी समझ व परख भी थी।
नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी.रमण डॉ. भाभा को उनकी बहुमुखी प्रतिभा के कारण भारत का 'लियोनार्दो द विंची' पुकारा करते थे। भाभा वैज्ञानिक होने के साथ ही कई और कलाओं में भी पारंगत थे। उन्हे शास्त्रीय संगीत, नृत्य और चित्रकला भी गहरी रूचि थी और इन कलाओं की अच्छी समझ व परख भी थी।
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डॉ. भाभा को 5 बार भौतिकी के 'नोबेल पुरस्कार' के लिए भी नॉमिनेट किया गया था लेकिन अफसोस की विज्ञान जगत का सबसे बड़ा सम्मान भाभा को नहीं मिल सका। लेकिन भारत सरकार द्वारा डॉ. भाभा को 'पद्म भूषण' से जरूर सम्मानित किया गया।
डॉ. भाभा को 5 बार भौतिकी के 'नोबेल पुरस्कार' के लिए भी नॉमिनेट किया गया था लेकिन अफसोस की विज्ञान जगत का सबसे बड़ा सम्मान भाभा को नहीं मिल सका। लेकिन भारत सरकार द्वारा डॉ. भाभा को 'पद्म भूषण' से जरूर सम्मानित किया गया।
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डॉ भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो से अक्टूबर 1965 में एक घोषण कर सभी को हैरान कर दिया था। उनका मानना था कि, यदि उन्हें छूट जाए तो भारत मात्र 18 महीनों में परमाणु  बना सकते हैं। डॉ भाभा ने ही पंडित जवाहर लाल नेहरू से परमाणु आयोग की स्थापना के लिए हामी भरवाई थी।
डॉ भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो से अक्टूबर 1965 में एक घोषण कर सभी को हैरान कर दिया था। उनका मानना था कि, यदि उन्हें छूट जाए तो भारत मात्र 18 महीनों में परमाणु बना सकते हैं। डॉ भाभा ने ही पंडित जवाहर लाल नेहरू से परमाणु आयोग की स्थापना के लिए हामी भरवाई थी।
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 वह 1950 से 1966 तक परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे, उस समय वह भारत सरकार के सचिव भी हुआ करते थे। भारत सरकार द्वारा डॉ भाभा के अद्भुत योगदान को देखते हुए भारतीय परमाणु रिसर्च सेंटर का नाम 'भाभा परमाणु रिसर्च सेंटर' कर दिया गया था।
वह 1950 से 1966 तक परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे, उस समय वह भारत सरकार के सचिव भी हुआ करते थे। भारत सरकार द्वारा डॉ भाभा के अद्भुत योगदान को देखते हुए भारतीय परमाणु रिसर्च सेंटर का नाम 'भाभा परमाणु रिसर्च सेंटर' कर दिया गया था।
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माना जाता है कि डॉ होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी की साजिश थी। फ्रास के माउंट ब्लैंक के आसमान में 24 नवंबर 1966 को एक विमान क्रैश हो गया था जिसमें मौजूद सभी यात्री मारे गए थे इन यात्रियों में डॉ. होमी जहांगीर भाभा भी शामिल थे। वह इस विमान में सवार होकर वियना एक कांफ्रेस में जा रहे थे।
माना जाता है कि डॉ होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी की साजिश थी। फ्रास के माउंट ब्लैंक के आसमान में 24 नवंबर 1966 को एक विमान क्रैश हो गया था जिसमें मौजूद सभी यात्री मारे गए थे इन यात्रियों में डॉ. होमी जहांगीर भाभा भी शामिल थे। वह इस विमान में सवार होकर वियना एक कांफ्रेस में जा रहे थे।