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संजय गांधी की भूमिका इमरजेंसी के दौरान बेहद विवादास्पद रही। संजय गांधी तेजतर्रार और दृढ़ निश्चित सोच के कारण यूवाओं के लोकप्रिय रहे। संजय गांधी की प्रसिद्धि उनकी सादगी और भाषण के चलते थी।
संजय गांधी की भूमिका इमरजेंसी के दौरान बेहद विवादास्पद रही। संजय गांधी तेजतर्रार और दृढ़ निश्चित सोच के कारण यूवाओं के लोकप्रिय रहे। संजय गांधी की प्रसिद्धि उनकी सादगी और भाषण के चलते थी।
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बताया जाता है कि वो प्लेन में जाते समय भी कोल्हापुरी चप्पल पहनते थे, जिसके चलते राजीव गांधी उनको बार-बार टोकते थे। संजय गांधी ने 29 सितंबर 1974 को मेनका गांधी से शादी की।
बताया जाता है कि वो प्लेन में जाते समय भी कोल्हापुरी चप्पल पहनते थे, जिसके चलते राजीव गांधी उनको बार-बार टोकते थे। संजय गांधी ने 29 सितंबर 1974 को मेनका गांधी से शादी की।
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा कर दी थी, जिससे देश में हड़कंप मच गया था। इस दिन को देश के इतिहास में सबसे काला दिन माना गया है, जो कि करीब दो साल तक रहा।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा कर दी थी, जिससे देश में हड़कंप मच गया था। इस दिन को देश के इतिहास में सबसे काला दिन माना गया है, जो कि करीब दो साल तक रहा।
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रिपोर्ट के अनुसार आपातकाल के समय संजय गांधी ने 'रुखसाना सुल्ताना' नाम की महिला से नजदीकियां बना ली थी। संजय की पत्नी मेनका गांधी, इंदिरा गांधी, उस वक्त यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष अंबिका रुखसाना को पसंद नहीं करती थीं। चर्चित किताब '24 अकबर रोड' में रुखसाना का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार आपातकाल के समय संजय गांधी ने 'रुखसाना सुल्ताना' नाम की महिला से नजदीकियां बना ली थी। संजय की पत्नी मेनका गांधी, इंदिरा गांधी, उस वक्त यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष अंबिका रुखसाना को पसंद नहीं करती थीं। चर्चित किताब '24 अकबर रोड' में रुखसाना का जिक्र किया गया है।
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25 जून,1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू करने 62 लाख पुरुषों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी। इस ऑपरेशन में करीब 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
25 जून,1975 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था। इस दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू करने 62 लाख पुरुषों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी। इस ऑपरेशन में करीब 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
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एक दौर ऐसा भी आया कि देश की एक समय की तानाशाह राजनेत्री इंदिरा गाँधी को भी उनसे भय लगने लगा था क्योंकि संजय ने उनको दरकिनार कर पार्टी की बागडोर आगे बढ़ कर खुद अपने हाँथ में ले ली थी।
एक दौर ऐसा भी आया कि देश की एक समय की तानाशाह राजनेत्री इंदिरा गाँधी को भी उनसे भय लगने लगा था क्योंकि संजय ने उनको दरकिनार कर पार्टी की बागडोर आगे बढ़ कर खुद अपने हाँथ में ले ली थी।
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संवाददाता 'लुइस सिम्मन्स' ने अपनी रिपोर्ट में दवा किया है कि, संजय गांधी ने एक बार गुस्से में  इंदिरा गाँधी को कई थप्पड़ जड़ दिया था। सिम्मन्स के अनुसार आपातकाल लगने के कुछ समय पहले एक डिनर पार्टी में संजय गांधी ने इंदिरा को एक नहीं छह थप्पड़ मारे थे।
संवाददाता 'लुइस सिम्मन्स' ने अपनी रिपोर्ट में दवा किया है कि, संजय गांधी ने एक बार गुस्से में इंदिरा गाँधी को कई थप्पड़ जड़ दिया था। सिम्मन्स के अनुसार आपातकाल लगने के कुछ समय पहले एक डिनर पार्टी में संजय गांधी ने इंदिरा को एक नहीं छह थप्पड़ मारे थे।
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नेता के तौर पर उनका जीवन सिर्फ एक महिने का रहा, 23 जून 1980 को सुबह के वक्त्त संजय गांधी अपने घर से निकले। सफदरजंग एयरपोर्ट पर दिल्ली फ्लाइंग क्लब के चीफ इन्स्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना उनका इतजार कर रहे थे।
नेता के तौर पर उनका जीवन सिर्फ एक महिने का रहा, 23 जून 1980 को सुबह के वक्त्त संजय गांधी अपने घर से निकले। सफदरजंग एयरपोर्ट पर दिल्ली फ्लाइंग क्लब के चीफ इन्स्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना उनका इतजार कर रहे थे।
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संजय गांधी की मृत्यु संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई थी। कहा जाता है कि, वे अक्सर सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते थे। संजय जूतो के बजाए कोल्हापुरी चप्पलों में ही प्लेन उड़ाने लग जाते थे। उस दिन भी उन्होंने वही किया।
संजय गांधी की मृत्यु संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई थी। कहा जाता है कि, वे अक्सर सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते थे। संजय जूतो के बजाए कोल्हापुरी चप्पलों में ही प्लेन उड़ाने लग जाते थे। उस दिन भी उन्होंने वही किया।
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सुबह के 7.15 बजे दोनों उड़ान भर चुके थे। उड़ान के 10 मिनट बिताने के बाद उनका कंट्रोल खोने लगा। फिर कुछ ही समय बाद संजय गांधी के घर से कुछ ही मिनटों की दूरी पर प्लेन क्रैश हो गया और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
सुबह के 7.15 बजे दोनों उड़ान भर चुके थे। उड़ान के 10 मिनट बिताने के बाद उनका कंट्रोल खोने लगा। फिर कुछ ही समय बाद संजय गांधी के घर से कुछ ही मिनटों की दूरी पर प्लेन क्रैश हो गया और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
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संजय और सुभाष की लाश पेड़ की डालियां काट कर प्लेन के मलबे के बीच से निकाली गई। कुछ ही देर में मां इंदिरा आरके धवन के साथ वहां पहुंची और बेटे को देख फूट-फूट कर रोने लगी। उनका बड़ा बेटा राजीव, बहु सोनिया और बेटे राहुल, प्रियंका के साथ इटली में छुट्टियां मना रहे थे। इस घटना के बाद पूरा देश सकते में था।
संजय और सुभाष की लाश पेड़ की डालियां काट कर प्लेन के मलबे के बीच से निकाली गई। कुछ ही देर में मां इंदिरा आरके धवन के साथ वहां पहुंची और बेटे को देख फूट-फूट कर रोने लगी। उनका बड़ा बेटा राजीव, बहु सोनिया और बेटे राहुल, प्रियंका के साथ इटली में छुट्टियां मना रहे थे। इस घटना के बाद पूरा देश सकते में था।
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