फोटोMDH वाले चाचाजी पाकिस्तान से आए थे भारत, तांगे वाले से ऐसे बने 2000 करोड़ के मालिक
एमडीएच (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) का आज सुबह निधन हो गया। उन्होंने 98 साल की उम्र में दिल्ली के माता चंदन देवी हॉस्पिटल में 3 दिसंबर को सुबह 6 बजे आखिरी सांस ली। उनके तांगा वाले से लेकर उनके मसाला किंग बनने तक का उनका सफर काफी संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। आइये जानते हैं…
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मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Mahashay Dharmpal Gulati) का गुरुवार को 98 साल की उम्र में हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया।
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धर्मपाल जी का जन्म 1923 में अविभाजित भारत, सियालकोट (अब पाकिस्तान में) हुआ था। मसालों का कारोबार छोटे तौर पर सियालकोट में उनके पिता ने 1919 में शुरू किया था।
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धर्मपाल जी ने केवल पांचवीं तक की पढाई की थी। वो शुरू में अपने पिता के मसाले के बिजनेस से अलग व्यापार में हाथ आजमाना और सफल होना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने सियालकोट में रहते हुए कई तरह के बिजनेस में हाथ आजमाया लेकिन वो किसी में सफल नहीं हो पाए।
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उनका परिवार बंटवारे के बाद शरणार्थी के रूप में भारत आया गया।आजीविका चलने के लिए उन्होंने तांगा चलने का काम शुरू किया , लेकिन उन्हें लगने लगा की काम ज्यादा नहीं चलने वाला तब उन्होंने करोलबाग में एक छोटे से लकड़ी के खोखे में मसाले की दुकान शुरू की,जो काफी तेजी से चल निकली।
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धर्मपाल का पूरा परिवार इस बिज़नेस से जुड़ा हुआ है। उनके परिवार में एक बेटा और छह बेटियां हैं। उनका बेटा पूरे कारोबार के ऑपरेशंस को देखता है तो छह बेटियां क्षेत्रीय आधार पर डिस्ट्रीब्यूशन देखने का काम करती हैं।
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धर्मपाल जी ने एमडीएच की शुरुआत जरूर छोटे स्तर पर भारत में की, लेकिन मौजूदा समय में इसकी देश के मसाला बाजार में 12 फीसदी हिस्सेदारी है। उनकी कंपनी 62 उत्पाद तैयार करती है, जो 150 पैकेट्स में उपलब्ध है। वह एमडीएच के ब्रैंड एंबेसडर खुद ही थे।
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MDH का बाजार 2000 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा का है। उनके ग्रुप के पास 15 फैक्ट्रियां, 1000 डीलर्स हैं. दुनिया के सभी बड़े देशों और शहरों में उनकी कंपनी के ऑफिस और कारोबार फैला हुआ है।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों MDH मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी को 2019 में 'पद्म भूषण' से पुरस्कार से नवाजा गया था।
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धर्मपाल गुलाटी सामाजिक कार्य में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। उन्होंने दिल्ली में 20 से अधिक स्कूल और अस्पताल की शुरुआत की। वे कंपनी कांट्रैक्ट फार्मिंग का बिज़नेस भी करते थे। उसके मसालों के मुख्य स्रोत कर्नाटक और राजस्थान के अलावा ईरान और अफगानिस्तान हैं।
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