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पुलेला गोपीचंद बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन थे। एक बार गोपी धूप में खेलते हुए बीमार हो गए थे, जिसके बाद उनके भाई ने उन्हें बैडमिंटन खेलने की सलाह दी थी। गोपीचंद जब 13 साल के थे तब उनके लिगामेंट्स टूट गए थे, लेकिन एक ही साल में सर्जरी के बाद वह अपने इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में एकल और युगल के दोनों खिताब जीता था।
पुलेला गोपीचंद बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन थे। एक बार गोपी धूप में खेलते हुए बीमार हो गए थे, जिसके बाद उनके भाई ने उन्हें बैडमिंटन खेलने की सलाह दी थी। गोपीचंद जब 13 साल के थे तब उनके लिगामेंट्स टूट गए थे, लेकिन एक ही साल में सर्जरी के बाद वह अपने इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में एकल और युगल के दोनों खिताब जीता था।
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गोपीचंद की मां उन्हें बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में देखना चाहती थी, जिसके लिए उन्हें अच्छा रैकेट खरीद कर देना चाहती थी। पैसे की कमी होने के कारण उन्होंने अपने गहने तक बेच दिए थे।
गोपीचंद की मां उन्हें बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में देखना चाहती थी, जिसके लिए उन्हें अच्छा रैकेट खरीद कर देना चाहती थी। पैसे की कमी होने के कारण उन्होंने अपने गहने तक बेच दिए थे।
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 गोपीचंद अपने करियर में कई बार घायल हुए। कई बार पैर टूटा पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। गोपी ने अच्छा बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का सपना पूरा किया। मेहनत और निष्ठा से हर समस्या को दरकिनार करते हुए वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
गोपीचंद अपने करियर में कई बार घायल हुए। कई बार पैर टूटा पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। गोपी ने अच्छा बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का सपना पूरा किया। मेहनत और निष्ठा से हर समस्या को दरकिनार करते हुए वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
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सन् 1989 में गोपीचंद ने गोवा में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में एक एकल खिताब जीता था और 1996 में उन्होंने विजयवाड़ा में सार्क के खेल में 1 अंतरराष्ट्रीय एकल खिताब जीता था।
सन् 1989 में गोपीचंद ने गोवा में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में एक एकल खिताब जीता था और 1996 में उन्होंने विजयवाड़ा में सार्क के खेल में 1 अंतरराष्ट्रीय एकल खिताब जीता था।
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गोपीचंद ने लगातार 5 साल तक (2000 तक) लगातार यह जीत हासिल की। कॉमनवेल्थ गेम्स 1998 में गोपीचंद ने मेन्स टीम में सिल्वर मेडल जीता, जबकि मेन्स सिगल्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। 2001 में गोपीचंद ऑल इंग्लैण्ड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतकर प्रकाश पादुकोण के बाद दूसरे भारतीय बन गए।
गोपीचंद ने लगातार 5 साल तक (2000 तक) लगातार यह जीत हासिल की। कॉमनवेल्थ गेम्स 1998 में गोपीचंद ने मेन्स टीम में सिल्वर मेडल जीता, जबकि मेन्स सिगल्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। 2001 में गोपीचंद ऑल इंग्लैण्ड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतकर प्रकाश पादुकोण के बाद दूसरे भारतीय बन गए।
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पुलेला गोपीचंद को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, पद्मश्री, द्रोणाचार्य, पद्मभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
पुलेला गोपीचंद को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, पद्मश्री, द्रोणाचार्य, पद्मभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
7/10
गोपीचंद ने हैदराबाद में सन् 2003 में  गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी की स्थापना की। गोपीचंद को अकादमी खोलने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
गोपीचंद ने हैदराबाद में सन् 2003 में गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी की स्थापना की। गोपीचंद को अकादमी खोलने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
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आंध्र प्रदेश सरकार ने गोपी को अकादमी बनाने के लिए ज़मीन तो दे दी थी, लेकिन बनाने के लिए गोपीचंद के पास पैसे नहीं थे, जिसकी वजह से उन्हें अपना घर भी गिरवी रखना पड़ा था। एक व्यापारी की मदद से अपना प्रोजेक्ट पूरा किया।
आंध्र प्रदेश सरकार ने गोपी को अकादमी बनाने के लिए ज़मीन तो दे दी थी, लेकिन बनाने के लिए गोपीचंद के पास पैसे नहीं थे, जिसकी वजह से उन्हें अपना घर भी गिरवी रखना पड़ा था। एक व्यापारी की मदद से अपना प्रोजेक्ट पूरा किया।
9/10
'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' के साइना नेहवाल और पी.वी.सिंधु समेत कई बड़े खिलाड़ी हिस्सा रहे हैं। इनमें ज्वाला गुट्टा, पी कश्यपस, श्रीकांत किदाम्बी, तरुण कोना आदि शामिल हैं।
'गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी' के साइना नेहवाल और पी.वी.सिंधु समेत कई बड़े खिलाड़ी हिस्सा रहे हैं। इनमें ज्वाला गुट्टा, पी कश्यपस, श्रीकांत किदाम्बी, तरुण कोना आदि शामिल हैं।
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एक कोच के रूप में पुलेला गोपीचंद की मेहनत तब रंग लाई, जब 2016 में पी.वी. सिंधु रियो ओलांपिक में रजत पदक जीतकर भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं।
एक कोच के रूप में पुलेला गोपीचंद की मेहनत तब रंग लाई, जब 2016 में पी.वी. सिंधु रियो ओलांपिक में रजत पदक जीतकर भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं।