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उनका जन्म धनुषकोडि, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था।
उनका जन्म धनुषकोडि, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था।
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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भारत में परमाणु शक्ति में भागीदारी ने उन्हें
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भारत में परमाणु शक्ति में भागीदारी ने उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" की उपाधि दी। भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया।
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डॉ. कलाम तीन पुस्तकों के लेखक थे और पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, वीर सावरकर पुरस्कार, रामानुजन पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता थे।
डॉ. कलाम तीन पुस्तकों के लेखक थे और पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, वीर सावरकर पुरस्कार, रामानुजन पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता थे।
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डॉ. अब्दुल कलाम ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा सुलभ बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।
डॉ. अब्दुल कलाम ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा सुलभ बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।
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डॉ. कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ काम किया, और कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट 'कलाम-राजेन स्टेंट' विकसित की।
डॉ. कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ काम किया, और कम लागत वाली कोरोनरी स्टेंट 'कलाम-राजेन स्टेंट' विकसित की।
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डॉ. कलाम ने इसरो में स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के विकास के लिए परियोजना निदेशक के रूप में 10 वर्षों तक काम किया।
डॉ. कलाम ने इसरो में स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के विकास के लिए परियोजना निदेशक के रूप में 10 वर्षों तक काम किया।
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डॉ. कलाम ने भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया।
डॉ. कलाम ने भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया।
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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के दो प्रमुख विज्ञान अनुसंधान संगठनों - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISIS) का नेतृत्व किया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के दो प्रमुख विज्ञान अनुसंधान संगठनों - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISIS) का नेतृत्व किया।
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इसके अलावा कलाम ने बच्चों की शिक्षा पर काफी ज़ोर दिया था और उन्हें बच्चों से काफी लगाव था।
इसके अलावा कलाम ने बच्चों की शिक्षा पर काफी ज़ोर दिया था और उन्हें बच्चों से काफी लगाव था।
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संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) के अनुसार कलाम एक महान वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक महान शिक्षक भी थे, जो हमेशा युवाओं को प्रेरित किया करते थे।
संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) के अनुसार कलाम एक महान वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक महान शिक्षक भी थे, जो हमेशा युवाओं को प्रेरित किया करते थे।
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कलाम ने हमेशा छात्रों को अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से जीवन में बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कलाम ने हमेशा छात्रों को अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से जीवन में बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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उन्होंने हमेशा कहा कि, “एक छात्र को अनुशासित जीवन जीना चाहिए और कभी भी बुराई के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए।”
उन्होंने हमेशा कहा कि, “एक छात्र को अनुशासित जीवन जीना चाहिए और कभी भी बुराई के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए।”
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डॉ. कलाम का पसंदीदा काम शिक्षण था और वह यह चाहते थे कि दुनिया उन्हें इसी चीज़ से याद रखे।
डॉ. कलाम का पसंदीदा काम शिक्षण था और वह यह चाहते थे कि दुनिया उन्हें इसी चीज़ से याद रखे।
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उनकी मृत्यु भी उनका मनपसंद काम करते हुए ही हुई। डॉ. कलाम आईआईएम शिलॉन्ग के छात्रों को एक व्याख्यान दे रहे थे, जब वह एक स्ट्रोक से पीड़ित मंच से नीचे गिर गए और 27 जुलाई, 2015 को उनका निधन हो गया।
उनकी मृत्यु भी उनका मनपसंद काम करते हुए ही हुई। डॉ. कलाम आईआईएम शिलॉन्ग के छात्रों को एक व्याख्यान दे रहे थे, जब वह एक स्ट्रोक से पीड़ित मंच से नीचे गिर गए और 27 जुलाई, 2015 को उनका निधन हो गया।
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वर्ष 2010 में यूनाइटेड नेशन ने डॉ. कलम के जन्मदिन को ‘वर्ल्ड स्टूडेंट डे’ के रूप में घोषित किया।
वर्ष 2010 में यूनाइटेड नेशन ने डॉ. कलम के जन्मदिन को ‘वर्ल्ड स्टूडेंट डे’ के रूप में घोषित किया।