जंबो कोविड हॉस्पिटल की 38 नर्सों को नौकरी से निकाला

  • ठेकेदार ने 30 हजार की बजाय दिए 5 हजार रुपए
  • मनपा ने झटकी जिम्मेदारी
  • सत्तादल भाजपा ने पालकमंत्री पर फोड़ा ठीकरा

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पिंपरी. महामारी कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर पिंपरी चिंचवड़ के नेहरूनगर स्थित अन्नासाहेब मगर स्टेडियम में जंबो कोविड हॉस्पिटल शुरू किया गया है. इस हॉस्पिटल में ठेकेदार के जरिए विदर्भ समेत महाराष्ट्र के दूरदराज क्षेत्रों से नर्सेस और अन्य मेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई. अब 38 नर्सेस को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया.उन्हें मासिक 30 हजार रुपए वेतन देने की बात तय की गई थी मगर परोक्ष में उनके हाथों पर पांच हजार रुपए टिकाए गए और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.

पीएमआरडीए की ओर दिखाई उंगली

इन नर्सों को इंसाफ दिलाने के लिए मनसे की ओर से आंदोलन किया गया. ठेकेदार ने प्रशासन से बिल न मिलने की बात कही जबकि मनपा प्रशासन ने पीएमआरडीए (पुणे महानगर प्रादेशिक विकास प्राधिकरण) की ओर उंगली दिखाकर अपनी जिम्मेदारी झटक दी है. वहीं मनपा के सत्तादल भाजपा ने इसका ठीकरा पालकमंत्री पर फोड़ा है. महापौर ऊषा ढोरे और सभागृह नेता नामदेव ढाके ने आरोप लगाया है कि पालकमंत्री और राज्य सरकार के इस तरह के लापरवाह कामकाज की वजह से मनपा की बेवजह बदनामी हो रही है.

तीनों के संयुक्त तत्वावधान में शुरू

पीएमआरडीए, राज्य सरकार व मनपा के संयुक्त तत्वावधान में नेहरुनगर स्टेडियम में जंबो कोविड हॉस्पिटल शुरू किया गया है.इसका संचालन करनेवाली मेसर्स मेडब्रो हेल्थकेअर प्रा. लि. कंपनी ने श्री लक्ष्मी व्यंकटेश वैरायटी ऍन्ड सर्विसेज के माध्यम से नर्सों और अन्य स्टाफ की भर्ती की गई. उन्हें मासिक 30 हजार रुपए वेतन देने संबन्धी अनुबंध किया गया था. मगर परोक्ष में एक माह दिन- रात ड्यूटी करने के बाद पांच हजार रुपए थमाकर अचानक उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. माह- डेढ़ माह में ही अनुबंध को ताक पर रखकर मेडब्रो कंपनी ने 34 नर्सों औऱ व 4 ब्रदर्स को तीन दिन पहले अचानक नौकरी से हटा दिया गया. इसकी जानकारी मिलने के बाद मनसे के नगरसेवक व शहराध्यक्ष सचिन चिखले, पुणे की वरिष्ठ नेता रुपाली-ठोंबरे -पाटिल, अश्‍विनी बांगर, राजू सावले जंबो कोविड हॉस्पिटल के सामने आंदोलन किया.

लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन वापस

कंपनी ने प्रशासन से बिल मिलने के बाद बकाया वेतन देने की लिखित आश्वासन देने के बाद आंदोलन वापस लिया गया. इसके बाद मनसे के आंदोलनकारी मनपा मुख्यालय पहुंचे. मनपा आयुक्त श्रवण हार्डिकर की गैरमौजूदगी में अतिरिक्त आयुक्त संतोष पाटिल ने उनके साथ चर्चा की. इस हॉस्पिटल का पालकत्व पीएमआरडीए के पास रहने से उसके साथ पत्राचार करने का भरोसा दिलाया. इस बीच महापौर ऊषा ढोरे, सभागृह नेता नामदेव ढाके और स्थायी समिति सभापति संतोष लोंढे ने जंबो कोविड हॉस्पिटल में जाकर पूरे मामले की जानकारी हासिल की. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और ठेकेदार कंपनी के बीच समन्वय के अभाव के चलते यह सब हुआ है. हॉस्पिटल के लिए पर्याप्त निधि और संसाधन उपलब्ध कराने के बाद मनपा की बेवजह बदनामी हो रही है. पालकमंत्री के नाते उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की भी जिम्मेदारी बनती है, यह बताकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पर निशाना साधने से भी वे नहीं चूके.