An 'eye' on cleaning workers will be kept from the app

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    पुणे. पुणे शहर (Pune city) में हर दिन 2100-2200 मेट्रीक टन कचरा (Waste) जमा हो जाता है। इसमें से 400 टन कचरा प्रक्रिया ना होने से शेष रहा जाता है। महानगरपालिका इससे परेशान है। कई कचरा प्रकल्प (Garbage Project) होने के बावजूद सभी कचरे पर प्रक्रिया नहीं हो पाती। महानगरपालिका प्रशासन इसका बारीकी से अवलोकन कर रही है। उसके चलते प्रशासन द्वारा एकात्मिक घनकचरा प्रबंधन प्रणाली बनाई जा रही है। उसके लिए महानगरपालिका को 8-10 करोड़ की लागत आएगी। इसके तहत सफाई कर्मियों पर मोबाइल एप (Mobile App) के माध्यम से नजर रखी जाएगी। 

    सफाई कर्मी द्वारा कचरा उठाने से लेकर कचरा रैम्प पर उसकी प्रक्रिया होने तक बारीकी से नजर रखी जाएगी। साथ ही कचरा प्रकल्प पर भी रैंप मैनेजमेंट प्रणाली शुरू की है। इससे समस्या सुलझाने में मदद मिलेगी। ऐसी जानकारी महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. कुणाल खेमनार (Dr. Kunal Khemnar) ने दी। 

    शहर की सफाई पर भी रखा जाएगा ध्यान  

    शहर के करीब ऐसे 8,500 जगह हैं, जहां हर दिन सफाई करना जरूरी है। उसके लिए महानगरपालिका को करीब साढ़े सात हजार कर्मियों की आवश्यकता है। इस वजह से महानगरपालिका की ओर से करीब 4 हजार कर्मी ठेके पर लिए जाते हैं। ऐसे करीब 12-15 हजार कर्मी मनपा शहर में सफाई का काम करते हैं। प्रभाग में स्वच्छता करने के काम क्षेत्रीय कार्यालयों को दिए गए है। उसके अनुसार उन्हें कर्मी भी दिए है। साथ ही वहां सहायक आयुक्त, मुख्य स्वच्छता निरिक्षक, स्वच्छता निरिक्षक, उप निरीक्षक भी होते हैं। इन लोगों का काम है सफाई करके लेना है, लेकिन ये लोग ही सही तरीके से काम करते हुए नजर नहीं आ रहे है। इसकी शिकायतें आने के बाद अब प्रशासन ने सख्त निर्णय लिया है। सभी सफाई कर्मियों पर अब नजर रखी जाएगी। 

    एकात्मिक घनकचरा प्रबंधन प्रणाली बनेगी 

    इस बारे में डॉ. खेमनार ने कहा कि महानगरपालिका की ओर से एकात्मिक घनकचरा प्रबंधन प्रणाली मुहैया की जाएगी। इसके तहत पहले सफाई कर्मियों पर नजर रखी जाएगी। उन्हें उसके लिए मोबाइल एप लेने के लिए कहा जाएगा। साथ ही कचरा उठाने से लेकर उसकी प्रक्रिया होती है या नहीं, यह इस एप के माध्यम से देखा जाएगा। इससे हमें कचरा प्रक्रिया की बारीकी से जानकारी मिल जाएगी। साथ साइट पर नियुक्त किए गए कर्मी सही काम करते है या नहीं, यह भी देखा जाएगा। यह प्रणाली तैयार करने का काम जारी है। उसकी टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। जल्द ही इस पर अमल करना शुरू किया जाएगा। 

    कचरा रैम्प पर रैम्प मैनेजमेंट सिस्टम 

    डॉ. खेमनार के अनुसार, कचरा प्रक्रिया करनेवाले रैम्प पर भी हम खासा ध्यान दे रहे हैं। यहां पर आनेवाली कचरा गाड़ियों का पंजीयन मैन्युअल तरीके से लिया जाता है। लेकिन इसके लिए अलग सॉफ्टवेयर बनाया है। उसे ही रैम्प मैनेजमेंट सिस्टम कहा जाता है। इसके माध्यम से अब सभी कचरा गाड़ियों का साथ ही कितने कचरे पर प्रक्रिया होती है, इसका रिकॉर्ड बनेगा। इससे कचरा प्रक्रिया की असलियत पता चलेगी। आगामी काल में कचरे की समस्या न रहें इसको लेकर हमारे प्रयास जारी है। 

    प्रशासन द्वारा एकात्मिक घनकचरा प्रबंधन प्रणाली बनाई जा रही है। उसके लिए महानगरपालिका को 8-10 करोड़ की लागत आएगी। इसके तहत सफाई कर्मियों पर मोबाइल एप के माध्यम से नजर रखी जाएगी। सफाई कर्मी द्वारा कचरा उठाने से लेकर कचरा रैम्प पर उसकी प्रक्रिया होने तक बारीकी से नजर रखी जाएगी। साथ ही कचरा प्रकल्प पर भी रैंप मैनेजमेंट प्रणाली शुरू की है। इससे समस्या सुलझाने में मदद मिलेगी।

    - डॉ कुणाल खेमनार, अतिरिक्त आयुक्त, महानगरपालिका