bank spreads a smile on the faces of poor women without any money transaction

    Loading

    पुणे. गरीब और मजदूर महिलाओं के लिए पुणे जिले (Pune District) में एक ऐसा बैंक (Bank) काम कर रहा है जहां पैसे के कोई लेन-देन के बिना ही उन महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान बिखेर रहा है। इस बैंक में न तो किसी को कर्ज दिया जाता न किसी को डिपॉजिट पर कोई ब्याज। यह बैंक है पुणे के बारामती (Baramati) का साड़ी बैंक(Sari Bank) । इस साड़ी बैंक में ऐसी साड़ियां जमा कराई जाती हैं जो एक-दो बार ही पहनी गई हों और अच्छी हालत में नई जैसी ही हों। फिर इन साड़ियों को ऐसी महिलाओं में बांटा जाता है जो पैसे की किल्लत की वजह से इन्हें खरीदने की क्षमता नहीं रखतीं।

    रागिनी फाउंडेशन की अध्यक्ष राजश्री आगम के दिमाग में इस तरह का साड़ी बैंक खोलने का आइडिया आया। असल में बारामती का इलाका गन्ने के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां गन्ना कटाई का काम करनेवाली मजदूर महिलाएं खेत में काम कर के मुश्किल से घर चला पाती हैं। ऐसे में नई साड़ी खरीदना इनके लिए बहुत मुश्किल होता है। दूसरी ओर संपन्न घर की कई महिलाएं एक साड़ी पहन लेती हैं तो दोबारा पहनने के लिए कई-कई महीने, साल तक नंबर नहीं आता। ऐसी ही साड़ियों को इकट्ठा कर मजदूर महिलाओं में बांटने का आइडिया आया।

    बारामती में साड़ी बैंक की शुरुआत की गई

    फाउंडेशन ने संपन्न परिवार की महिलाओं से बैंक में साड़ियां देने के लिए अपील की। सोशल मीडिया पर संदेश पढ़े जाने के एक हफ्ते में ही बैंक के पास 425 साड़ियां आ गईं। इनमें 4, 000 रुपए कीमत तक की साड़ियां भी शामिल थीं। ये साड़ियां फिर सोमेश्वर चीनी कारखाने इलाके मे गन्ना कटाई करने वाली मजदूर महिलाओं को उपलब्ध कराई गईं। समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती 3 जनवरी को बारामती में इस साड़ी बैंक की शुरुआत की गई। यहां जमा होनेवाली साड़ियां अधिकतर ऐसी महिलाओं को दी जाती हैं जो खेतों में गन्ने की कटाई जैसे मजदूरी के काम करती हैं।

    और रोने लगी महिला 

    राजश्री ने बताया कि स्वयं सहायता महिला बचत गुट और सामाजिक उपक्रम में हिस्सा लेने वाली महिलाओं से साड़ियां बैंक में देने की अपील की गई। मार्च महीने में रागिनी फाउंडेशन की ओर से फिर बारामती शहर में साड़ियां इकट्ठा करने और बांटने की मुहिम चलाई जाएगी। कुछ महिलाएं अपने पतियों के साथ साड़ियां जमा कराने के लिए बैंक में आईं। इन महिलाओं का कहना है कि जो साड़ी अलमारी में ही बंद हो कर रह गई थी, वो अब किसी जरूरतमंद महिला के काम आएगी। जिन मजदूर महिलाओं को ये साड़ियां मिलीं, उनके चेहरे पर खुशी सब कुछ खुद ही बयान कर रही थी। एक महिला को जरी के काम वाली साड़ी मिली तो वो रोने लगी। उसने अपनी जिंदगी में पहली बार जरी के काम वाली साड़ी देखी थी।