जनप्रतिनिधियों के घर के सामने पीटा ढोल

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  • आरक्षण के लिए मराठा संगठनों का आंदोलन

पिंपरी. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मराठा समुदाय को आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाए जाने के बाद मराठा क्रांति मोर्चा, मराठा सेवा संघ, संभाजी ब्रिगेड, छावा संगठन जैसे मराठा संगठन फिर एक बार आक्रामक हो उठे हैं. मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग को लेकर इन संगठनों द्वारा मंगलवार को पिंपरी-चिंचवड शहर में जनप्रतिनिधियों (सांसद और विधायक) के घरों के बाहर ढोल पीटो आंदोलन किया गया. इस मांग को लेकर ठोस कदम न उठाए जाने की सूरत में फिर सब राज्यभर आंदोलन शुरू किया जाएगा, यह चेतावनी भी इस दौरान दी गई.

संगठनों ने सौंपा ज्ञापन

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर उपरोक्त मराठा संगठनों ने मंगलवार को शिवसेना के स्थानीय सांसद श्रीरंग बारणे, भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप, भाजपा विधायक और शहराध्यक्ष महेश लांडगे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक अण्णा बनसोडे के घरों के बाहर ढोल पीटो आंदोलन किया गया. इस आंदोलन के दौरान जनप्रतिनिधियों को मराठा क्रांति मोर्चा, मराठा सेवा संघ समेत विविध मराठा संगठनों ने अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा और मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को बाध्य करने की अपील की गई.

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने पर गरमाया मामला

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मराठा आरक्षण पर रोक लगाने के बाद यह मसला फिर गरमा गया है. मराठा संगठन फिर एक बार आक्रामक हो उठे हैं और आंदोलन छेड़ने की तैयारियों में जुट गए हैं. इस कड़ी में आज जनप्रतिनिधियों के घरों के बाहर आंदोलन किया गया. आरक्षण के मसले पर सांसदों से संसद में आवाज बुलंद करने की मांग इस दौरान की गई. मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक मारुति भापकर ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए शांति के मार्ग से 58 विशाल मोर्चे निकाले गए. इसके बाद भी सरकार आरक्षण दिलाने में नाकाम साबित हुई है.

मराठा समाज के युवाओं में रोष का वातावरण

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाई है जिससे मराठा युवाओं को आघात लगा है क्योंकि शिक्षा और नौकरी में आरक्षण देने की शुरुआत भी हो चुकी थी. मगर रोक लगाने के आदेश के बाद युवाओं में निराशा फैल गई है. राज्य में महाविकास आघाडी और केंद्र में भाजपा की सरकार है. इस आंदोलन के जरिए संसद के सत्र में कानूनी प्रावधानों का अध्ययन कर 50 फीसदी आरक्षण की शर्त को स्थिर किया जा सकता है. कानून में बदलाव लाकर मराठा समाज को आरक्षण दिलाने की उम्मीद है. अगर ऐसा नहीं होता है तो मराठा संगठनों की ओर से पुनः राज्यभर आंदोलन किया जाएगा.