मानव जाति के उद्धार के लिए संतों का जन्म

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पुणे. इस धरती पर मानव जाति के उद्धार के लिए संतों ने जन्म लिया है. संत ज्ञानेश्‍वर और संत तुकाराम ने अपनी वाणी से सभी के अहंकार को तोड़ा है. अगर इंसान सच्चा सुख पाना चाहता है तो उसे अपने सिर को संतों के चरणों में रखना चाहिए. 

संतों ने अपने कर्मों और वाणी के जरिए सभी का भला किया है. ऐसे विचार प्रेम शक्ति पीठ की संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू साध्वी ऋतंभरा ने रखे.

व्याख्यान का समापन

यूनेस्को अध्यासन की ओर से रजत जयंती दार्शनिक संतश्री ज्ञानेश्‍वर-संतश्री तुकाराम महाराज स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के ऑनलाइन समापन समारोह में वे बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थीं. इस अवसर पर विश्‍व प्रसिद्ध कम्प्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, यूएस स्थित लेखक और विचारक डॉ. राम चरण, टेरी पॉलिसी सेंटर के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र शेंडे, यूएस के वैज्ञानिक डॉ. अशोक जोशी अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

संतों ने हमें जीवन का सही अर्थ समझाया

साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि मन का एक कोना ऐसा होता है जो इस दुनिया की भौतिक चीजों में नहीं रमता है फिर वह भगवान को पुकारता है. यही काम संतों ने किया. कोई भी अभी तक नहीं जानता कि मैं किस लिए जीना चाहता हूं, लेकिन संतों ने हमें जीवन का सही अर्थ बताया है. उन्होंने पूरी मानव जाति का उद्धार किया है. यदि आप सच्चा सुख पाना चाहते हैं, तो आपको संतों के विचारों का पालन करना चाहिए. मन की गुलामी के बाद ही व्यक्ति सभी चीजों का गुलाम बनता है. लेकिन संतों ने अपने कार्यों और भाषण से कभी भी मन को गुलाम नहीं होने दिया. संतों से मिलने के बाद इस दुनिया में करने के लिए कुछ नहीं बचा है. जिस तरह से उन्होंने राह दिखाई है वह इस दुनिया में शांति ला सकता है.

उन्नत विज्ञान है प्रबंधन

डॉ. विजय भटकर ने कहा कि प्रबंधन को एक उन्नत विज्ञान माना जाता है. यह एक अंतरशाखिय विज्ञान है. प्रबंधन के कई मॉडल हैं. जैसे अमेरिकी प्रबंधन विज्ञान, जापानी प्रबंधन विज्ञान आदि, लेकिन भारतीय प्रबंधन विज्ञान एक ऐसी चीज है जिस पर हम कभी विचार नहीं करते हैं. संयुक्त राज्य में हायर एंड फायर का सिद्धांत है. जापान में श्रमिक इतनी मेहनत करते हैं कि उनके पास कोई काम नहीं बचा है. उनकी हरकिरी प्रसिद्ध है. भारत में हालांकि ऐसी कोई बात नहीं है. हमारे देश में राजा को प्रजा का संरक्षक माना जाता है. फैक्ट्री मालिक की भी यही बात है. कई मामलों में नियम टूट जाते हैं और श्रमिकों को रियायतें दी जाती हैं और वे उन्हें वापस भुगतान भी करते हैं. महात्मा गांधी कहते थे कि मालिक को विश्‍वास के साथ व्यवहार करना चाहिए.

हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें

डॉ. अशोक जोशी ने कहा कि जैसा हम देखते हैं उसी नजरिए से हम दुनिया को देखते हैं. इसलिए हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें. भारत ने हमेशा इस विचार को स्वीकार किया है कि वसुधैव कुटुम्बकम का मतलब है पूरी दुनिया एक परिवार है. इस देश ने पूरी दुनिया को कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए हैं. दुनिया के 10 सर्वश्रेष्ठ उद्यमियों के निकाला गया यह अनुमान है कि हर एक व्यक्ति ने खुद फैसला लेने सिखें. साथ ही सभी को अतीत का आनंद लेने के बजाय वर्तमान में रहना सीखना चाहिए. इसके अलावा आपको अपने विचारों और व्यक्त करने के लिए बयानबाजी की कला सीखने की जरूरत है. 

भारत में हजारों वर्षों की परंपरा

प्रा. राम चरण ने कहा कि भारत में हजारों वर्षों की एक परंपरा है और यहां के मूल्य त्याग, समर्पण और प्रतिभा है. इसलिए जब हम इस दुनिया को अलविदा कहते हैं, तो हमें कुछ अच्छी चीजों को पीछे छोड़ना होगा. व्यावहारिक दुनिया में हमें अहंकार को नियंत्रित करने में सक्षम होना चाहिए. इस मौके पर एमआइटी एसओएम के पूर्व संचालक डॉ. ए.ए. कुलकर्णी और योग प्रशिक्षक योगाचार्य मारूति पाडेकर गुरूजी को जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. राहुल विश्‍वनाथ कराड ने व्याख्यान श्रृंखला की जानकारी दी. प्रो. डॉ. मंगेश कराड ने प्रस्तावना रखी. प्रो. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया. प्रो.डॉ. मिलिंद पांडे ने आभार जताया.

यह व्याख्यान श्रृंखला पिछले 25 वर्षों से ज्ञानेश्‍वर और तुकाराम के संदेश को समाज तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित की जाती है. विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए विश्‍व शांति विश्‍वविद्यालय में एक शिक्षा प्रणाली स्थापित की जाएगी. संतों के मार्ग पर चलने से मानव जाति को लाभ होगा. ज्ञानी छात्रों को ज्ञानेश्‍वर, तुकाराम, रामदास, महात्मा गांधी के नाम से छात्रवृत्ति दी जाएगी.

-डॉ. विश्वनाथ दा. कराड, संस्थापक अध्यक्ष, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी