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    पुणे. अदालत (Court) के बार-बार निर्देश और भाजपा (BJP) के प्रयास के बावजूद ठाकरे सरकार (Thackeray Government) ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना में हेरफेर करना जारी रखा। यदि इस आयोग का गठन किया जाता और उच्चतम न्यायालय से समय सीमा के लिए कहा जाता, तो स्थानीय निकायों में ओबीसी के आरक्षण को रद्द करने की नौबत नहीं आती।

    राज्य सरकार के इस इंकार के कारण ओबीसी समुदाय का राजनीतिक आरक्षण समाप्त हो गया है। भाजपा ने गुरुवार को इसे वापस पाने के लिए राज्य सरकार को जगाने का आह्वान किया है। भाजपा के ओबीसी गठबंधन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश टिलेकर ने कहा कि 3 जून को राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

     हमेशा की तरह निष्क्रिय है सरकार

     टिलेकर ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस इस संबंध में पांच बार राज्य सरकार को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन सरकार हमेशा की तरह निष्क्रिय रही।  इसलिए महाराष्ट्र में ओबीसी के लिए कोई राजनीतिक आरक्षण नहीं बचा है। अब यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि बिना जनगणना के आरक्षण नहीं होगा। इस आरक्षण की आवश्यकता क्यों है, यह साबित करने के लिए अनुभवजन्य डेटा उत्पन्न करने की आवश्यकता है। देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार को लिखा था और उस पर अमल किया था, लेकिन इस तरह के आंकड़ों को संकलित करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का अस्तित्व होना चाहिए।  इसका पुनर्गठन भी नहीं किया गया है।  यदि ऐसा आयोग गठित किया गया होता, तो अनुभवजन्य आंकड़ों का काम शुरू किया जा सकता था और कुछ दिनों में आरक्षण बहाल किया जा सकता था।

    महाविकास आघाड़ी सरकार गंभीर नहीं

    टिलेकर ने कहा कि राज्य सरकार को मामले की गंभीरता नहीं है। सवा साल तक सरकार चुप रही, इसलिए ओबीसी आरक्षण पर फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को भी रद्द कर दिया गया।

    आयोग के गठन में लापरवाही दिखाई

    टिलेकर ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग अनुभवजन्य आंकड़ों को संकलित करने के लिए जिलेवार सर्वेक्षण कर एक रिपोर्ट तैयार करना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 से डेटा का निर्देश दिया था। हालांकि राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन में लापरवाही दिखाई है और सुप्रीम कोर्ट ने इस लापरवाही की ओर इशारा किया है।  चूंकि राज्य सरकार पिछड़ा आयोग नियुक्त करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, इसलिए सरकार की मंशा पर संदेह जताया जा रहा है।  राज्य के ओबीसी मंत्रालय ने इस संबंध में ओबीसी समुदाय को गुमराह किया है और भले ही समुदाय को धोखा देने वाले ओबीसी मंत्री विजय वड्डेटीवार अब घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वे इस अपमान के लिए जिम्मेदार हैं।  तिलकर ने कहा कि जहां ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है वहीं भुजबल और वड्डेट्टीवार सत्ता में आए हैं, लेकिन मराठा आरक्षण की तरह सरकार की नीति के चलते यह मुद्दा फिर गंभीर हो गया है।  इसलिए राज्य सरकार को तत्काल एक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करना चाहिए और ओबीसी समुदाय की आबादी का जिलावार सर्वेक्षण कर रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।