विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाएं : डॉ. रघुनाथ माशेलकर

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  • वेबिनार के माध्यम से मना माइर्स एमआईटी का 38 वां स्थापना दिवस

पुणे. आज का दिन भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है और ऐसा ही माईर्स एमआईटी का भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है. आत्मनिर्भर का अर्थ है आत्मविश्वास. इसलिए एमआईटी की डोर संभालनेवाले सभी सदस्यों को एक लक्ष्य निर्धारित करके एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए कदम उठाए. यह राय वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने दी.

माईर्स एमआईटी का 38वां स्थापना दिवस एक वेबिनार के माध्यम से मनाया गया. इस समय वे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. कंप्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे. साथ ही माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्थान समूह के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्वनाथ कराड, संस्थापक विश्वस्त डॉ. सुरेश घैसास, प्रा. प्रकाश जोशी उपस्थित थे.माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह के प्रबंधकीय विश्वस्त और कार्याध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, अध्यक्ष प्रो.डॉ. मंगेश तु. कराड, कार्यकारी संचालिका प्रो. स्वाति कराड चाटे, डॉ. सुचित्रा कराड नागरे, ज्योति कराड ढाकणे, डॉ. सुरेश घैसास एवं माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एन.टी.राव आदि उपस्थित थे.

कोविड के कारण लाखों लोग खो चुके हैं नौकरी

डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा कि कोविड-19 के कारण लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके है. साथ ही बडे़ पैमाने पर पोलिटिकल, नेशनल और पर्यावरणीय समस्या निर्माण हुई है. इसे ध्यान में रखते हुए संस्था को इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि आगे हमे क्या करना है. डॉ. कराड द्वारा लगाया गया बीज आज बरगद के पेड़ में बदल गया है. 900 एकड़ में फैले इस संस्था में आनेवाली सभी पीढि़यों के लिए नेतृत्व और सीखने के गुण है.

 श्रीराम मंदिर के लिए दान किए 21 करोड़

डॉ. विजय भटकर ने कहा कि एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी को भारत के संस्कृति की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. संस्था ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए 21 करोड़ रुपये दान दिए है. इसी से मंदिर में सबसे बड़ा गर्भगृह और लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा. सिर्फ एक शब्द, श्रीराम के साथ हम भारतीय संस्कृति को दुनिया के सामने पेश कर सकते है. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी विश्व शांति की अवधारणा को अपनाकर अपना काम कर रही है. उसी आधार पर डॉ. विश्वनाथ कराड ने 1996 में पहली बार विश्व दार्शनिक सम्मेलन का आयोजन किया था. आज उच्च गुणवत्ता शिक्षा के बदौलत संस्थान ने 4 विश्वविद्यालयों की स्थापना की है. मौजूदा स्थिति में कोविड-19 के कारण जो स्थिती पैदा हुई है उस बात को ध्यान में रखते हुए हमें सभी समस्याओं के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है. उन्नति के लिए नई कल्पनाओं को अपनाना होगा.

 विश्व गुरु बनेगा भारत देश

प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा कि भारत के इतिहास में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में अयोध्या में मार्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम की एक मूर्ति की स्थापना की जा रही है. यह नियति का खेल है, राम मंदिर का निर्माण पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति, परंपरा और दार्शनिक के संदेश को फैलाने के लिए किया जा रहा है. यह जो हो रहा है उसकी आधारशिला है और आज एमआईटी की 38वीं वर्षगांठ है. स्वामी विवेकानंद की भविष्यावाणी कि भारत 21 वीं सदीं में एक विश्व गुरू बन जाएगा. जल्द ही यह सच हो जाएगा.

 जिम्मेदारियों को निभाएंगे

राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा कि माईर्स एमआईटी देश के 100 ट्रस्टों में से एक है. इसलिए इस संस्था की जिम्मेदारियों को ठीक से निभायेंगे. डॉ. कराड द्वारा लगाए गए इस बरगद के पेड़ का फल निश्चित रूप से अगली पीढ़ी को दिया जाएगा. संस्था ने भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए 21 करोड़ रुपये का दान दिया है जो एक ऐतिहासिक क्षण है. इसलिए माईर्स इन्स्टीट्यूट अब ऐसे अद्भूत मोड पर आ गया है. कोविड-19 के दौरान संस्था के अस्पतालों ने अमूल्य योगदान दिया है और सैकड़ों रोगियों को ठीक किया है.

नई चुनौतियों का सामना

प्रो. डॉ. मंगेश तु. कराड ने कहा कि मैं इस उत्थान का गवाह बनने वाला पहला छात्र हूं. अब एक नए मोड़ पर चुनौतियों का सामना करना है. विश्वविद्यालय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया है. उसी परंपरा को जारी रखते हुए नवाचार, अनुसंधान और उदयमिता के साथ-साथ मूल्य आधारित शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इसे ध्यान में रखते हुए हमे एक विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. प्रकाश जोशी ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही विश्वविद्यालय के प्रयोगशाला और बुनियादी ढांचे में आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए. बिट्स पिलानी, जो प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, सेल्फ फाइनान्स यूनिवर्सिटी के उदाहरण का पालन करना चाहिए. साथ ही अधिक से अधिक शिक्षकों को सामाजिक पीएचडी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. डॉ. एन.टी. राव ने प्रास्ताविक किया. इस मौके पर माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, प्रा. दीपक आपटे भी उपस्थित थे. प्रा. गौतम बापट ने सूत्र संचालन किया. प्रा. स्वाति कराड चाटे ने आभार माना.