मराठा आरक्षण पर रोक हटाने के लिए मध्यस्थता करे केंद्र सरकार

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  • सांसद श्रीरंग बारणे की लोकसभा में मांग

पिंपरी. महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए. मराठा समुदाय ने इसके लिए कड़ा संघर्ष किया है. एक लंबे संघर्ष के बाद महाराष्ट्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को 16% आरक्षण देने का फैसला किया है. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस आरक्षण को स्थगित कर मराठा समुदाय के साथ अन्याय किया है. इससे समाज के युवाओं में भारी बेचैनी और आक्रोश पैदा हुआ है. शिवसेना सांसद श्रीरंग बारणे ने लोकसभा में मांग की कि केंद्र सरकार को इस अन्याय के खिलाफ मध्यस्थता करनी चाहिए और मराठा समुदाय को न्याय देना चाहिए.

सांसद बारणे ने कहा कि महाराष्ट्र में आरक्षण पाने के लिए मराठा समुदाय को कड़ा संघर्ष करना पड़ा. इस संघर्ष के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को 16% आरक्षण देने का फैसला किया. फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका के अनुसार, अदालत ने शिक्षा में 12% और रोजगार में 13% आरक्षण देने का फैसला किया. इस फैसले पर फिर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बेंच के पास भेज दिया. हालांकि, अदालत ने बिना किसी विचार के मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को स्थगित कर दिया. इसके खिलाफ मराठा समुदाय फिर से आंदोलन की तैयारी में है. अगर फिर से आंदोलन हुआ, तो परिणाम बुरे होंगे, यह भय भी उन्होंने जताया.

तमिलनाडु की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित

उन्होंने कहा, तमिलनाडु राज्य ने 50% आरक्षण की मर्यादा को 69% तक पार कर लिया. उस राज्य की आरक्षण याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन उन्हें दिए गए आरक्षण का कोई स्थगन नहीं था. न्यायपालिका भी एक राज्य और दूसरे को न्याय दे रही है.छत्रपति शिवाजी महाराज ने सभी जातियों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाने के लिए लड़ाई लड़ी.महाराष्ट्र की भूमि को राजर्षि शाहू महाराज, फुले और अंबेडकर की भूमि के रूप में जाना जाता है.इस भूमि में अधिकांश मराठा समुदाय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं.यही कारण है कि इस समुदाय ने कठिन संघर्ष किया और आरक्षण प्राप्त किया.अदालत ने इस आरक्षण को स्थगित करके मराठा समुदाय के साथ अन्याय किया है.सांसद बारणे ने केंद्र सरकार से इस अन्याय के खिलाफ मध्यस्थता करने और मराठा समुदाय को न्याय देने का अनुरोध किया है.