‘भारतीय फौजदारी न्याय प्रणाली में परिवर्तन’ की जरूरत

  • सिम्बायोसिस लॉ कॉलेज में ऑनलाइन चर्चा-सत्र आयोजित

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पुणे. सिम्बायोसिस लॉ कॉलेज द्वारा भारतीय फौजदारी न्याय प्रणाली के परिवर्तन के विषय पर आयोजित ऑनलाइन चर्चासत्र में 6 विषयों पर चर्चा की गई. इनमें न्यायाधीश, सरकारी वकील, वकील, शिक्षा विशेषज्ञ, पुलिस, गैर-सरकारी संस्था, मीडिया और कारागृह अधिकारियों के साथ करीब 100 से अधिक विशेषज्ञ शामिल हुए. 

केंद्र सरकार प्रमुख रूप से भारतीय दंड संहिता, फौजदारी प्रक्रिया संहिता, भारतीय सबूत कानून और नशीले पदार्थों के सेवन विरोधी कानून में बदलाव करने की जरूरत है. इसी उद्देश्य से कानून में बदलाव करने की तैयारी में है.इसके मद्देनजर यह ऑनलाइन चर्चा-सत्र हुआ.

उज्जलवल निकम ने किया मार्गदर्शन

प्राध्यापक लास्या व्याकरणम ने इस चर्चासत्र का सूत्र संचालन किया.डॉ. शशिकला गुरपूर, निदेशक और अधिष्ठता, कानून शाखा सिम्बायोसिस अंतरराष्ट्रीय अभिमत विद्यापीठ ने सभी का स्वागत और विषयों की जानकारी दी.लॉ कॉलेज की उपनिदेशक डॉ. बिंदू रोनाल्ड ने चर्चासत्र में शामिल हस्तियों का परिचय कराया.‘पुलिस अधिकारी और सरकारी वकील के बीच समन्वय से सजा दिलाने की प्रक्रिया में बढ़ोतरी’ विषय पर हुई पैनल चर्चा में विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम, एड. एस.के. जैन, एड. हितेश जैन, रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भानुप्रताप बर्गे और वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर रोहित आठवले शामिल थे.’गवाहों का संरक्षण’ विषय पर हुई चर्चा में मुंबई हाईकोर्ट की रिटायर जज डॉ. शालिनी फणसालकर जोशी,  संशोधक और नीति सलाहकार आलोक अग्रवाल, एड. लतीका सालगांवकर, डॉ हरीश शेट्टी, (मानसोपचार विद), एड. हितेश. जैन, (मुंबई उच्च न्यायालय) और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भानुप्रताप बर्गे ने हिस्सा लिया. फौजदारी मामलों के पीड़ितों का संरक्षण और पुनर्वसन विषय पर भी चर्चा हुई.