मनपा कर्मियों के सातवें वेतन आयोग का एक और चरण पूरा

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  • उपसुझावों के साथ नैमित्तिक समिति की मंजूरी!

पुणे. केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कर्मियों के लिए 1 जनवरी 2016 से 7वां वेतन लागू किया गया है. इसके अनुसार इन कर्मियों को वेतन अदा किया जाता है. इसी तर्ज पर राज्य सरकार ने भी अपने कर्मियों के लिए आयोग लागू किया है. महापालिका पर भी यह आयोग लागू होता है. मनपा कर्मियों के वेतन श्रेणी में सुधार करने की बात सरकार ने कही थी, लेकिन महापालिका कर्मियों के ग्रेड पे की वजह से यह मामला अटका हुआ था. नतीजा प्रशासन द्वारा यह प्रस्ताव नहीं रखा जा पा रहा था. लेकिन अब इसका रास्ता साफ हो गया है. 

मनपा कमिश्नर ने बीच का रास्ता निकालकर ग्रेड पे और वेतन बैंड का सूत्र रखकर सुधारित वेतनश्रेणी लागू की है. इससे संबंधित प्रस्ताव प्रशासन द्वारा मंजूरी के लिए नैमित्तिक समिति के समक्ष रखा गया था. कई दिनों से इसे मंजूरी नहीं मिल पा रही थी. आखिरकार मूल प्रस्ताव को 20 उपसुझाव देकर हाल ही में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इससे इस प्रस्ताव का और एक चरण पूरा हो गया है. अब इसे स्थायी समिति और आम सभा के माध्यम से अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा. ऐसी जानकारी समिति के अध्यक्ष श्रीनाथ भीमाले ने दी.

मनपा कर्मियों को अभी तक नहीं मिला लाभ

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने वेतन आयोग लागू करने के लिए राज्य सरकार और उनके दायरे में आनेवाली स्थानीय निकाय संस्थाओं को भी वेतन आयोग लागू किया जाता है. केंद्र व राज्य के कर्मियों को वेतन आायोग का लाभ मिल रहा है. लेकिन महापालिका के कर्मियों को अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है. जबकि इसको लेकर लोकप्रतिनिधि व मजदूर युनियन द्वारा भी आयोग लागू करने की मांग की जा रही थी. साथ ही स्थायी समिति ने भी वेतन आयोग लागू करने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. लेकिन अभी तक इसका लाभ महापालिका के कर्मियों को नहीं मिल रहा है. क्योंकि वेतन श्रेणी में बदलाव या सुधार करने के लिए एक नैमित्तिक समिति बनाना अनिवार्य होता है. जो महापालिका की ओर से 2009 साल में 11 सदस्यों की एक समिति बनायी थी. लेकिन उसके बाद समिति का गठन नहीं हुआ था.

प्रशासन ने वेतन आयोग को लेकर नियमावली तैयार की 

विगत साल ही इसका गठन होना जरूरी था. लेकिन ऐसा ना होने से मनपा कर्मियों को वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा था. अब समिति भी गठित की गयी है. साथ ही अब तो सरकार ने भी हाल ही में विधिमंडल में वेतन आयोग लागू करने के निर्देश दिए थे. सरकार ने विधिमंडल ने इसका निर्णय लेने के बाद विगत साल 2 अगस्त को सरकार ने इसके निर्देश जारी किए थे. इसके अनुसार वेतन श्रेणी में सुधार करने से संबंधित प्रस्ताव मनपा आम सभा में रखें. आम सभा के फैसले के बाद श्रेणी लागू करेगी. साथ ही इन कर्मियों को किस तरह से वेतन अदा करना है, इस बारे में मनपा अपनी माली हालात देखकर निर्णय करें. ऐसा भी सरकार ने अपने निर्देश में कहा था. इसके अनुसार प्रशासन ने वेतन आयोग को लेकर नियमावली तैयार की है.

स्थायी समिति औरआम सभा की मंजूरी जरूरी  

महापालिका कर्मियों के ग्रेड पे की वजह से यह मामला अटका हुआ था. नतीजा प्रशासन द्वारा यह प्रस्ताव नहीं रखा जा रहा था, लेकिन अब इसका रास्ता साफ हो गया है. मनपा कमिश्नर ने सुवर्णमध्य निकालकर ग्रेड पे और वेतन बैंड का सूत्र रखकर सुधारित वेतनश्रेणी लागू की है. इससे मनपा कर्मियों का ज्यादा नुकसान नहीं होनेवाला है. प्रस्ताव के अनुसार राज्य सरकार के तौर पर ग्रेड पे देते समय यह सूत्र लागू किया है. साथ 2006 से किसी भी कर्मी के वेतन तफावत की वसूली नहीं की जाएगी. इससे मनपा कर्मियों को राहत मिल गई है. इस बीच 1 जनवरी 2016 से अब तक का तफावत का वेतन देने के लिए 440 करोड़ की लागत आएगी. यह राशि विभिन्न 5 हफ्तों में दी जाएगी. साथ ही वेतन लागू होने के बाद मनपा पर प्रति माह 17 करोड़ का बोझ आएगा. इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए नैमित्तिक समिति के समक्ष रखा गया था. कई दिनों से इसे मंजूरी नहीं मिल रही थी. आखिरकार मूल प्रस्ताव को 20 उपसुझाव देकर हाल ही में नैमित्तिक समिति द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इससे इस प्रस्ताव का और एक चरण पूरा हो गया है. अब इसे स्थायी समिति व आम सभा के माध्यम से अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा.

सातवें वेतन आयोग को लागू करने से सम्बंधित प्रशासन द्वारा रखे गए प्रस्ताव को बिना हेरफेर के मंजूर किया गया है, लेकिन कर्मियों की मांग के अनुसार जो सुधार जरूरी  था, उसके लिए 20 उपसुझाव दिए गए हैं. किसी भी कर्मी पर अन्याय ना हो, इस पर ध्यान देकर नैमित्तिक समिति ने प्रस्ताव मंजूर किया है. आशा है कि राज्य सरकार भी इसमें कोई खामियां नहीं निकालेगी. – श्रीनाथ भीमाले, अध्यक्ष, नैमित्तिक समिति