सभागृह में सत्ताधारियों को घेरेगी कांग्रेस

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  • महापालिका में आयोजित बैठक में कांग्रेस का फैसला

पुणे. पुणे और इसके आसपास के कई परिवारों ने कोरोना, भारी स्वास्थ्य देखभाल और लागत तूफान और बाढ़ के डर व घर पर पीने के पानी की कमी के कारण खुद को बेरोजगारी की खाई में पाया है. वर्तमान विकट स्थिति बढ़ती जा रही है. इसको लेकर  सत्तारूढ़ भाजपा और उसके पदाधिकारियों को सभागृह में घेरने  का फैसला शहर कांग्रेस अध्यक्ष रमेश बागवे और पूर्व विधायक मोहन जोशी की मौजूदगी में वरिष्ठ  पार्षद और कांग्रेस समूह के नेता आबा बागुल की मौजूदगी में आयोजित बैठक में लिया गया.

शहर के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

कांग्रेस की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई.  लोगों को यह समझना चाहिए कि सत्ताधारी दल सत्ता की आड़ में मनचाहा कारोबार कर  मुख्य सभा को बाधित कर रहा है. इस समय यह निर्णय लिया गया कि इस तरह के समय पर काम किया जाना चाहिए. कई वर्षों के बाद, कांग्रेस के नगरसेवक महापालिका में एकजुट होते नजर आए. पुणे शहर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व गृह राज्य मंत्री रमेश बागवे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व विधायक मोहन जोशी, नगरसेवक अरविंद शिंदे, अविनाश बागवे, रवींद्र धंगेकर, रफीक शेख, सुजाता शेट्टी, वैशाली मराठे, चांदबी नदाफ, स्वीकृत नगरसेवक अजीत दरेकर आदि उपस्थित थे. बागुल ने कहा कि बैठक में पुणे के लोगों और मनपा के प्रबंधन के सामने आने वाले मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई.

तय होगी रणनीति

इस बैठक में आम सभा की कार्यपत्रिका, मनपा का कारोबार, किस तरह से चलाया जाए, इसको लेकर एक रणनीति तय की गई. आबा बागुल ने उसी नीति को फिर से पेश किया है जिसका पालन पूर्व सांसद सुरेश कलमाड़ी ने मनपा  के प्रबंधन, पार्टी बैठक और निर्णय लेने की प्रक्रिया में किया था. इसलिए कांग्रेस ने कोरोना की पृष्ठभूमि के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है. पुणेकर को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिसके लिए रमेश बागवे ने नगरसेवकों को अपनी आवाज उठाने का निर्देश दिया है. सोमवार को हुई आम बैठक में कांग्रेस के नगरसेवक काफी आक्रामक थे.