रोग प्रतिकार शक्ति और मानसिक धैर्य से हारेगा कोरोना

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एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के स्कूल ऑफ कॉन्सिअसनेस के संचालक डॉ. जयंत खंदारे की सलाह

पुणे. भारत समेत आज पूरे विश्व में कोरोना महामारी एक महासंकट बनकर उभरा है. इस महामारी के कारण आज पूरे विश्व में पांच लाख से अधिक लोगों की जिंदगियां खत्म हो चुकी हैं. इस विषाणु पर विश्व भर के वैज्ञानिक अनुसंधान के काम में जुटे हैं. लेकिन जब तक इस बीमारी को रोकने वाली ठोस औषधि नहीं बन जाती, तब तक हमें हमारी रोगप्रतिकार शक्ति तथा मानसिक धैर्य बनाकर रखते हुए हम इसके संक्रमण से अपने आप को बचा सकते हैं, ऐसी जानकारी एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के स्कूल ऑफ कॉन्सिअसनेस के संचालक डॉ. जयंत खंदारे ने दी.

डॉ. खंदारे ने बताया कि मानवी इतिहास में महामारी का इतिहास काफी लंबा है. मध्ययुगीन काल के भी पहले समय से महामारी ने मनुष्य जाति जकड़ा है. इसमें आज तक कितने ही लोगों की मौत हुई होगी. इन महामारीयों को खत्म करने के लिए समय-समय पर औषधियां परिष्कृत होती रही है. इसी तरह से 21वीं सदी में आज हम कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि कोरोना के संदर्भ में आज विश्व भर के वैज्ञानिक कई तरह के दावे कर रहे हैं या हमें जानकारियां मुहैया करवा रहे हैं. इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा वरिष्ठ नागरिक, छोटे बच्चे या विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त लोग होते हैं. इसलिए इससे बचने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा बीमारियों से दूर रहने का प्रयास करना होगा. साथ में हमारी रोग प्रतिकार शक्ति को और ज्यादा मजबूत करने की जरुरत है. कोई भी व्यक्ति अगर कोरोना पॉजिटिव होता है तो करीब एक से दो सप्ताह तक शरीर की रोगप्रतिकार शक्ति उसे रोकने का प्रयास करती है. इस दौरान अगर हम उचित इलाज कराते हैं तो बचने के आसार काफी ज्यादा होते हैं.

डॉ. खंदारे ने कहा कि कोरोना के मरीजों पर आज हाइड्रोक्सिक्लोरोक्विन, डेक्सामिथाझोन, रेमडीजिवीर तथा विभिन्न तरह एन्टी वाइरयल गुट की दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कई जगहों पर इम्युनिटी को बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक दवाइयों तथा होमियोपैथी की दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे कोरोना के वाइरस का संक्रमण रोकने का प्रयास किया जा रहा है, जोकि कुछ हद तक सफल भी हो रहा है.

मानव जाति पर इससे पहले इस तरह के कई सारे संकट आए हैं. लेकिन इतिहास में मनुष्य ने इन पर अपने प्रबल मनोबल से विजय प्राप्त की है. कोरोना के इस महासंकट में हमें मानसिक धैर्यशीलता को और ज्यादा मजबूत करना होगा. साथ में कोरोना के खिलाफ कार्य कर रहे डॉक्टर्स, नर्सेस, फार्मासिस्ट, अधिकारी और कर्मचारीयों का साथ देने की आवश्यकता है, ऐसी सलाह डॉ. खंदारे ने दी.