Dr Parvej Grant

देश में कोरोना वायरस का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया हैं। देश में रोजाना कई लोग अपनी जान गवां रहे हैं और कई लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ रहे हैं। इस वायरस से बचने के लिए देश के डॉक्टर्स और स्वस्थ्य कर्मी अथक प्रयास कर रहे और यह उनके लिए काफी चुनौती भरा हैं।

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पुणे. देश में कोरोना वायरस का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया हैं। देश में रोजाना कई लोग अपनी जान गवां रहे हैं और कई लोग इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। इस वायरस से बचने के लिए देश के डॉक्टर्स और स्वस्थ्य कर्मी अथक प्रयास कर रहे और यह उनके लिए काफी चुनौती भरा हैं। आने वाले समय में देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का भविष्य क्या हो सकता हैं। इसके बारें में विस्तार से चर्चा करने के लिए ‘नवभारत-नवराष्ट्र: LOCKDOWN VIBES 2 कार्यक्रम’ के लाइव सेशन में डॉ. परवेज ग्रांट उपस्थित थे। 

डॉ. ग्रांट के कहा कि हम सभी लोग काफी मुश्किल समय से गुजर रहे हैं। चीन से निर्माण हुए इस वायरस से काफी हानि हुई हैं। दुनिया भर में इस वायरस से 40 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। वहीं भारत में अब तक 82 हजार से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं और 2600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई हैं। इसी तरह देश में अपना महाराष्ट्र राज्य कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित ही। हम देख रहे की राज्य में कोरोना वायरस के मामले कम नहीं हो रहे बल्कि बढ़ ही रहे हैं। इसमें मुख्यतः मुंबई, पुणे और मालेगांव जैसे शहर ज्यादा प्रभावित हैं। 

डॉ. ग्रांट के अनुसार पुणे के कमिश्नरने उन्हें बताया कि पुणे में कोरोना के मामले और बढ़ने वाले हैं। क्यों वह अब बड़े पैमाने में कोरोना की टेस्टिंग हो रही है। उनके पास बेसिक फैसिलिटी न होने के कारण कोरोना के टेस्ट नहीं हो पाए।    

आगे उन्होंने न्यूजीलैंड देश का हवाला देते हुए कहा कि न्यूजीलैंड आज दुनिया भर में कोरोना मुक्त होने वाला पहला देश बन गया हैं। अगर न्यूजीलैंड जैसा देश ऐसा कर सकता है तो हमारे लिए भी यह कुछ आशा हैं। उन्होंने कहा न्यूजीलैंड जैसा संगठित देश मुसीबत से निकल सकता हैं तो उम्मीद हैं कि भारत में आने वाले जून, जुलाई में कोरोना के मामले कम हो सकते हैं। 

डॉ. ग्रांट ने सरकार से मांग की है कि वह निजी क्षेत्र पर भी ध्यान दें। क्योकिं निजी क्षेत्र के पास 60 प्रतिशद हॉस्पिटल बेड्स हैं। अगर सरकार ने निजी क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया तो आनेवाले समय में छोटे संस्थान और अस्पताल बंद हो जायेंगे। ऐसे समय में सरकार को निजी क्षेत्र पर भी ध्यान देना चाहिए ना की सिर्फ सरकारी क्षेत्र पर। उन्होंने कहा कि अभी तक निजी क्षेत्र  को सरकार के तरफ से कोई मदद नहीं मिली हैं। सरकार ने निजी क्षेत्र  को विशेष अनुदान देना चाहिए जिससे वह कोरोना से लड़ सके और कोरोना की जंग में बने रहे। ऐसा न करने पर 25-30 प्रतिशत निजी अस्पताल पूरी तरह से बंद हो जायेंगे। 

डॉ. ग्रांट ने आगे डाइग्नोस्टिक सेंटर्स के बारें में बताया। उन्होंने कहा कि देश में कई डाइग्नोस्टिक सेंटर्स है जहा एमआरआई और सिटी स्कैन की मशीने चलती है। लेकिन मरीज एमआरआई और सिटी स्कैन करने नहीं आ रहे जिससे यह मशीने बेकार पड़ी हैं। इन मशीनों को काफी बिजली (लगभग 2.5 से 3 लाख रुपए की बिजली) लगती हैं। ऐसे में डाइग्नोस्टिक सेंटर्स को मशीनों की ईएमआई, बिजली बील भी देना पड़ रहा हैं। यह एक बड़ी समस्या है। 

उन्होंने कोरोना वायरस से बचने के लिए अस्पतालों के कर्मियों समेत लोगों को उपाय भी बताए। जिसमें उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल में हमेशा मास्क पहने रहे, ग्लव्स पहने, साथ ही अस्पताल की लिफ्ट का इस्तेमाल ना करें, ज्यादा से ज्यादा सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, दवाई कंपनियों के एमआर जो दवाई बेचने आते है उन्हें आने न दें जब लॉकडाउन ख़त्म नहीं होता, अस्पताल में कम लोगों को मंजूरी दे जो अपने पेशेंट के पास रुक सकें। 

डॉ ग्रांट ने कोरोना के टिके के बारें में भी बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना का टिका बन रहा है। दुनियाभर में अब तक 120 संस्थानों ने कोरोना वायरस का टिका बनाने का प्रयास किया हैं। जिसमें से सिर्फ सात सस्थानों ने इंसानों पर परिक्षण किया हैं। वहीं चीन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कोरोना का टिका बनाने के एडवांस स्टेज पर है। डॉ. ग्रांट ने कहा मुझे नहीं लगता कि इस साल के दिसंबर तक कोरोना का टिका बन पाएगा। लेकिन कोरोना का टिका कोई जादू नहीं कर पायेगा। हमें यह ध्यान रखना होगा कि पिछले 15 सालों से HIV का टिका नहीं बन पाया है। मलेरिया और डेंगू का टिका बना लेकिन जो लोगों ने उसे लिया उनकी हालत और भी खराब हुई। कोरोना का टिका पूरी तरह से काम नहीं करेंगा। टिका सिर्फ 60-70 प्रतिशत ही काम करेगा। हमें जिंदगी में प्रैक्टिकल होना होगा।