भामा-आसखेड़ को लेकर श्रेय की होड़

  • भाजपा और एनसीपी दोनों गिना रहे अपनी उपलब्धि
  • भाजपा शहराध्यक्ष जगदीश मुलिक और एनसीपी विधायक सुनील टिंगरे में आरोप-प्रत्यारोप जारी

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पुणे. शहर के पूर्वी हिस्से की पानी की समस्या का निपटारा करने में भामा-आसखेड़ जलापूर्ति योजना अहम भूमिका निभाने वाली है. इस योजना का सिविल वर्क पूरा हो गया है. अब जलापूर्ति का ट्रायल शुरू होगा. इससे शहर के वड़गांवशेरी विधानसभा क्षेत्र के लोगेां को पर्याप्त पानी मिलेगा. पर इसको लेकर श्रेय की होड़ मच गई है. 

इस उपलब्धि को गिनाने में भाजपा और एनसीपी आमने-सामने आ गई हैं. योजना के कार्य को लेकर पूर्व और वर्तमान विधायकों आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

 मौजूदा विधायक ने जीरो बजट दिया

भाजपा शहराध्यक्ष और इलाके के पूर्व विधायक जगदीश मुलिक ने मौजूदा एनसीपी विधायक सुनील टिंगरे को घेरा है. उन्होंने कहा कि भामा- आसखेड़ प्रोजेक्ट पूरा हो रहा है. ऐसे में जो कार्य किया नहीं, उसका श्रेय लेने का प्रयास जारी है. इस प्रोजेक्ट के लिए विधायक द्वारा जीरो बजट दिया गया है. इसलिए योजना का श्रेय लेने का प्रयास वे न करें. योजना का कार्य पिछले 6 वर्षों से जारी है. हमने लगातार फालोअप कर योजना के कार्य में गति लाई. स्थायी समिति के तत्कालीन अध्यक्ष योगेश मुलिक ने करीब 185 करोड़ रुपए का प्रावधान इसके लिए किया. जिससे प्रोजेक्ट  से बाधित होने वालों का पुनर्वसन और विकासकार्य किए गए. स्थायी समिति के वर्तमान अध्यक्ष हेमंत रासने को निर्देश देकर इस वर्ष मनपा के बजट में जरूरी रकम का प्रावधान किया. कुछ प्रोजेक्ट  बाधितों को  प्रति हेक्टेयर 15 लाख रुपए देकर उनका पुनर्वसन करने का निर्णय तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने लिया. पिछले एक वर्ष में विधानसभा क्षेत्र में एक भी विकास कार्य नहीं किया. जोरो फंड का प्रावधान ही माना जा सकता है. इससे निराश वर्तमान विधायक जिन्होंने यह कार्य किया नहीं, उसका श्रेय लेने का व्यर्थ प्रयास कर रहे हैं.

आघाड़ी सरकार के समय से ही कार्य शुरू

मौजूदा एनसीपी विधायक सुनील टिंगरे ने मुलिक पर पलटवार किया. टिंगरे ने कहा कि भामा-आसखेड़ योजना का कार्य राज्य में एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी, उस वक्त शुरू हुआ. बाद में भाजपा की सत्ता आने के बाद भाजपा के तत्कालीन विधायक को योजना का कार्य समय पर पूरा करना संभव नहीं हुआ. खुद की असफलता को छिपाने मनगढंत आरोप लगा रहे हैं. भामा-आसखेड़ योजना का कार्य 2 वर्ष बंद था. मुख्यमंत्री भाजपा का, पुणे का पालकमंत्री भाजपा का, वड़गांवशेरी का विधायक भाजपा का और मनपा में सत्ता भी भाजपा की थी. फिर भी भामा-आसखेड़ योजना पूरी करने में भाजपा असफल रही. इस योजना के लिए जेएनएनयूआरएम योजना के अंतर्गत 380 करोड़ रुपयों का फंड मंजूर हुआ था. उसी वक्त मनपा का हिस्सा तय हो गया था. इसलिए स्थायी समिति के अध्यक्ष ने केवल उसकी प्रक्रिया पूरी की.