Muralidhar Mohol

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    पुणे. फिलहाल पुणे (Pune) के कुछ निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में कोरोना का टीकाकरण (Vaccination) किया जा रहा है और इन जगहों पर अलग-अलग रेट वसूले जा रहे हैं। साथ ही ये रेट बारह सौ रुपए तक वसूले जा रहे हैं। इस संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें (Complaints) प्राप्त हुई हैं। इसलिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) को लिखे पत्र (Letter) में मेयर मुरलीधर मोहोल (Mayor Murlidhar Mohol) ने मांग की है कि एक निजी अस्पताल द्वारा टीकाकरण के लिए समान दर से शुल्क लिया जाए। 

    मेयर मुरलीधर मोहोल ने कहा कि पुणे शहर में जब से कोरोना बीमारी का पहला मामला सामने आया है, सरकार की ओर से आने वाले हर नियम का पालन कर मरीजों की संख्या को नियंत्रित किया गया है।  आज तक शहर ने पहली और दूसरी खुराक के साथ दस लाख लोगों को टीका लगाया है। हालांकि पुणे शहर में महीने के दौरान कई बार वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने के कारण कई बार टीकाकरण बंद करना पड़ता है। इससे नगर निगम प्रशासन और जनप्रतिनिधियों में रोष है। इस बीच, टीकाकरण अब फिर से शुरू हो गया है। इसलिए कुछ निजी अस्पतालों में टीकाकरण शुरू हो गया है। छह सौ रुपए से लेकर बारह सौ रुपए तक के रेट हैं। नतीजतन, नागरिकों को अनुचित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इस संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि निजी अस्पतालों के टीकाकरण के लिए एक समान दर वसूल की जाए। मेयर मोहोल ने कहा कि निजी अस्पतालों द्वारा टीकाकरण ही महानगरपालिका प्रणाली की मदद करने का एकमात्र तरीका है। निजी केंद्रों को प्रबंधन और चिकित्सा खर्च के लिए भी भुगतान करना पड़ता है। यह सुनिश्चित करना मेरी भूमिका है कि निजी अस्पतालों को नुकसान न हो और नागरिकों को दरों से नुकसान न हो। 

    घर में अलगाव को रोकने का फैसला अव्यावहारिक 

    पुणे शहर में कोरोना मरीजों की संख्या में कटौती की जा रही है। राज्य सरकार ने राज्य के 18 जिलों में होम आइसोलेशन बंद करने का फैसला किया है।  पुणे शहर के मेयर मुरलीधर मोहोल ने मांग की है कि निर्णय संभव नहीं है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। मेयर मोहोल ने स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के होम आइसोलेशन को बंद करने के फैसले की पृष्ठभूमि में पुणे नगर निगम की भूमिका की घोषणा की। इस संबंध में अपनी स्थिति की घोषणा करते हुए मेयर मोहोल ने कहा कि पुणे शहर में मरीजों की संख्या में कटौती की जा रही है, जबकि नगर निगम प्रशासन अच्छा काम कर रहा है और सब सामने आ रहा है, लेकिन आज राज्य सरकार ने 18 जिलों में होम आइसोलेशन बंद करने का फैसला किया है।  इसमें पुणे जिला भी शामिल है। यह निर्णय संभव नहीं है और राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। अभी ऐसा निर्णय लेने का समय नहीं है। 

    जनशक्ति और पैसा खर्च होगा 

    उन्होंने आगे कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान एक ही इलाके में या घनी आबादी वाले इलाकों में बड़ी संख्या में मरीज मिले। इसलिए इलाज में दिक्कत हो रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम प्रशासन द्वारा कई क्षेत्रों में कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए। कई नागरिक ठीक होकर घर जा चुके हैं,लेकिन तब और अब की स्थिति अलग है। फिलहाल सोसायटी के परिसर में ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। हालांकि, यह एक सच्चाई है कि इस लहर के अधिकांश मरीजों के पास घर से अलग करने की सुविधा थी और परिणामस्वरूप, ऐसे मरीज घर पर ही ठीक हो गए। राज्य सरकार के इस फैसले से कोविड केयर सेंटर, क्वारंटाइन सेंटर का निर्माण नए सिरे से करना होगा। इसके लिए अलग से जनशक्ति और पैसा खर्च होगा। कोविड केयर सेंटर की स्थापना कौन करेगा? इस पर भी कोई स्पष्टता नहीं है। इसके अलावा, अगर इन नियमों को लागू किया जाता है, तो इसे प्रतिक्रिया मिलने की संभावना नहीं है।  क्योंकि पहली लहर में नागरिकों की मानसिकता और इस लहर की मानसिकता में अंतर होता है। यह भी गौर करने वाली बात है कि दूसरी लहर में करीब 80 फीसदी मरीजों ने होम आइसोलेशन का विकल्प चुना था।