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  • भाजपा शहराध्यक्ष व विधायक महेश लांडगे ने की मांग

पिंपरी. कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए ‘लॉकडाउन’ घोषित करना उचित है, लेकिन पिछले 3 महीनों तक बंद रहे औद्योगिक क्षेत्र के अर्थ-चक्र को लॉकडाउन के जरिए रोकना चिंताजनक है. इस संकट से उद्योग और श्रमिकों की समस्याएं बढ़ेंगी. इसी बात को ध्यान में रखकर लॉकडाउन में कंपनियों को जारी रखने की अनुमति दी जाए. साथ ही लॉकडाउन की नियमावली में उद्योगों के संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए जाएं. यह मांग भाजपा शहराध्यक्ष विधायक महेश लांडगे ने विभागीय आयुक्त डॉ. दीपक म्हैसेकर से की.  गौरतलब है कि पुणे और पिंपरी- चिंचवड़ में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर विभागीय आयुक्त ने शुक्रवार को 13 जुलाई से 10 दिनों तक सख्त लॉकडाउन की घोषणा की है.

विधायक लांडगे ने कहा कि कोरोना वायरस की पृष्ठभूमि पर मार्च के आखिर में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन घोषित करने के बाद संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र ठप पड़ गया, जिससे इस पर निर्भर लाखों कर्मचारियों सहित उद्योगों का आर्थिक बजट चरमरा गया. पूरे देश में सभी उद्योग तीन महीने तक बंद रहे. पुणे और पिंपरी-चिंचवड में आईटी और इसी तरह की अन्य कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा तनाव के कारण आत्महत्या किये जाने की घटनाएं सामने आई. यह तस्वीर और भी भयावह हो सकती है.

कर्मचारियों पर फिर बेरोजगारी की तलवार

केंद्र सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत उद्योग के चक्के को फिर से शुरू करने के लिए बड़ा प्रावधान किया, इसका फायदा पुणे जिले को तथा पिंपरी-चिंचवड़ शहर के उद्योगों को भी निश्चित रूप से हुआ, लेकिन फिर से लॉकडाउन के कारण कर्मियों पर बेरोजगारी की मार पड़ेगी, क्योंकि पिछले लॉकडाउन के अनुभवों को देखने पर पता चलता है कि जरूरत के अनुसार लॉकडाउन 1,2,3 के रूप में इसे बढ़ाया गया. अब नये सिरे से घोषित 10 दिनों का लॉकडाउन फिर से बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. इस वजह से प्रशासन को श्रमिकों व उद्योगों के बारे में व्यापक विचार कर लोकडाउन के बारे में भूमिका स्पष्ट करना अपेक्षित है.

कामगारों की आर्थिक स्थिति पुन: गड़बड़ाएगी

महेश लांडगे ने कहा कि दैनिक घरेलू खर्च, घर की किश्तें, बच्चों की स्कूल फीस के लिए स्कूलों का दबाव व घर का किराया वसूलने जान पर खड़े रहने वाले मकान मालिक, इस तरह की विभिन्न समस्याओं से कामगार दो-चार हैं. वे कंपनी खुलने पर राहत मिलने की आस में फिर से नये सिरे से शुरुआत कर रहे हैं, लेकिन फिर से लॉकडाउन होने से उन पर बेरोजगारी की मार पड़ेगी और उनका बजट फिर से गड़बड़ा जाएगा.