Don't see the end of Punekar's stamina, says leader Ganesh Bidkar

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    पुणे. राज्य सरकार (State Government) द्वारा कोरोना प्रतिबंधों (Corona Restrictions) के कारण शहर के व्यापारिक समुदाय और आम जनता को परेशान किया है। महानगरपालिका सदन (Municipal Council) के नेता गणेश बिड़कर (Ganesh Bidkar) ने उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) और संरक्षक मंत्री अजीत  पवार (Ajit Pawar) से अनुरोध किया है कि वे इन प्रतिबंधों को वैसे ही ना रखते हुए पुनेकर की सहनशीलता का अंत न देखे।  

    व्यापारी समुदाय है आक्रमक 

    कोरोना संकट की सबसे ज्यादा मार पुणे पर पड़ी है। शहर के नागरिकों ने राज्य सरकार द्वारा पिछले डेढ़ साल से कोरोना पर काबू पाने के लिए बनाए गए सभी नियमों का पालन किया है। नतीजा यह है कि पुणे अब इस बीमारी की जाल  से खुलकर सांस ले रहा है। फिलहाल शहर में एक्टिव मरीजों की संख्या ढ़ाई हजार से भी कम है और पॉजिटिविटी रेट तीन फीसदी से भी कम है। अगर शहर में मरीजों की संख्या बढ़ती है तो स्वास्थ्य व्यवस्था भी जरूरी कदम उठाने को तैयार है।  लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार पुणे के लोगों को इस प्रतिबंध से मुक्त क्यों नहीं करती?  सदन के नेता बिड़कर ने एक पत्र में कहा, यह एक ऐसा सवाल है जिसका सामना हर कोई कर रहा है।

    कोरोना ने छोटी और बड़ी कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन को ठंडा कर दिया है। होटल व्यवसाय फलफूल रहा है और बड़े मॉल स्थायी रूप से बंद होने के कगार पर है। राज्य के प्रतिबंधों ने सचमुच शहर के व्यापारिक समुदाय को दहशत की स्थिति में छोड़ दिया है। जैसे-जैसे कोरोना का प्रसार कम होता है, सभी कारकों को दूर करने के लिए प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि प्रतिबंध हटने के बाद सभी नागरिक जिम्मेदारी से काम करेंगे। बिड़कर ने मांग की है कि पवार का साहसी स्वभाव उनके व्यक्तित्व की एक विशेषता है और उसके अनुसार कार्य करते हुए, उन्हें पुणे के लोगों को इन दमनकारी प्रतिबंधों से मुक्त करना चाहिए। 

    कहने की जरूरत नहीं है कि पुनेकर, जिन्होंने कोरोना के कारण कई कठिनाइयों का सामना किया है, उन्हें जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। नागरिकों को प्रतिबंधों को हटाने और अपने वित्तीय लेनदेन को आसान बनाने के लिए सहयोग करने की आवश्यकता है।

    - गणेश बिड़कर, सभागृह नेता, पुणे महानगरपालिका