Workers not coming to work at the original place

  • विशेष समितियों की तर्ज पर शिक्षा समिति
  • सर्वदलीय नेताओं ने दी मंजूरी

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पुणे. महापालिका शिक्षा मंडल का अस्तित्व खत्म हुए 2 साल से अधिक का समय बीत चुका है. बावजूद इसके नयी शिक्षा समिति का गठन नहीं हो पाया था. उल्लेखनीय है कि मनपा प्रशासन की ओर से लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी. शिक्षा समिति के गठन की मांग  प्रस्ताव पर सर्वदलीय नेताओं की बैठक में चर्चा की गयी थी. यह समिति किस तरह से बनायी जाए, इसको लेकर विधि विभाग की राय लेकर ही आगे का फैसला लिया जाएगा, ऐसा इस बैठक में तय हुआ था.

इसके अनुसार हाल ही में विधि विभाग ने अपनी राय जाहिर की थी. विधि विभाग का कहना था कि जिस तरह से महापालिका की शहर सुधार समिति, विधि समिति या क्रीडा समिति काम करती है, उसके अनुसार शिक्षा समिति भी काम करेगी. अब इस राय पर सर्वदलीय नेताओं की बैठक में अंतिम फैसला होना अपेक्षित था. इसके अनुसार सोमवार की सर्वदलीय नेताओं की बैठक में इसे मंजूरी दी गई. इससे अब मनपा में और एक समिति बनेगी. 

विगत 2 साल से लंबित था मामला 

गौरतलब है कि एक के बाद एक शिक्षा मंडल में भ्रष्टाचार की श्रृंखला ही चल पड़ी थी. इस पर लगाम लगाने के लिए  शिक्षा मंडल को ही बर्खास्त करने के निर्देश हाई कोर्ट ने दिए थे, लेकिन कानूनी दिक्कतों के चलते सरकार ने कार्यकारिणी की समय सीमा खत्म होने तक मंडल का अस्तित्व बरकरार रखना ही बेहतर समझा. इससे संबंधित पत्र भी सरकार ने मनपा को दिया था. इसलिए मनपा प्रशासन ने भी नई शिक्षा समिति गठित करने  की तैयारी कर ली थी. साथ ही सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा मंडल का बजट भी मनपा बजट में भी शामिल किया गया है. इसलिए अब नई शिक्षा समिति गठित की जाएगी. लेकिन विगत कई माह से इस पर कोई निर्णय नहीं किया जा रहा था. 24 मार्च 2017 को ही शिक्षा मंडल का अस्तित्व खत्म हो चुका है. इस बीच, अब इस समिति में शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का समावेश होगा क्या, इस समिति में कितने नगरसेवकों को स्थान दिया जाएगा, समिति के अधिकार क्या होंगे, इसकी कोई जानकारी शिक्षा मंडल प्रशासन या मनपा प्रशासन के पास नहीं थी. हाल ही में इससे संबंधित प्रस्ताव आम सभा के समक्ष भी पेश किया गया था. लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया था. इस वजह से अब फिर एक बार समिति गठन की मांग उठी थी. एनसीपी के नगरसेवकों ने महापालिका कमिश्नर को भी एक पत्र लिखा था. साथ ही सर्वदलीय नेताओं के समक्ष भी यह प्रस्ताव दिया गया था. 

 सर्वदलीय नेताओं की बैठक में चर्चा 

गौरतलब है कि विगत 2 साल से यह मामला लंबित था. यह समिति बनाने के सभी अधिकार राज्य सरकार की ओर से महापालिका को दिए गए है. लेकिन इस समिति में बाहरी सदस्य लेना भी अनिवार्य किया गया है. ऐसा हुआ तो फिर ये समिति शिक्षा मंडल जैसी होगी. मनपा को समानांतर ये बॉडी नहीं होनी चाहिए. इस वजह से यह समिति किस तरह से बनायी जाए. कानून में क्या प्रावधान किए गए हैं, इस पर विधि विभाग को राय देने के निर्देश दिए गए थे. इसके अनुसार हाल ही में विधि विभाग ने अपनी राय पेश कर दी थी. विधि विभाग का कहना है कि जिस तरह से महापालिका की शहर सुधार समिति, विधि समिति या क्रीडा समिति जिस तरह से काम करती है, उसके अनुसार शिक्षा समिति भी काम करेगी. जिसमें 13 सदस्य होंगे. मनपा कानून की धारा 30 के तहत इसका गठन किया गया है. 

शिक्षा समिति गठन को लेकर सर्वदलीय नेताओं की बैठक में मंजूरी दी गई. अब इसे आम सभा की मंजूरी ली जाएगी. बाद में इसका चुनाव लिया जाएगा. आबा बागुल, गुटनेता, कांग्रेस