कोरोना की वजह से बंधुता, मानवता का महत्व रेखांकित

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पुणे. कोरोना महामारी के समय में बंधुता, मानवता ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, यह बात रेखांकित हो गयी है. कई लोगों ने बंधुता की भावना से मदद करने के लिए हाथ बढ़ाया और जरुरतमंदों को आधार दिया. इसलिए हमें भाईचारे के विचार को जीवित रखना चाहिए. 

ऐसा मत मशहूर शिक्षाविद हरिश्चंद्र गडसिंह ने व्यक्त किया. बंधुता साहित्य सम्मेलन से ऐसे  विचारों को बोने का काम हो रहा है, यह देखकर आनंद हुआ. ऐसा भी उन्होंने इस समय कहा.

बंधुता साहित्य परिषद की तरफ से प्रा. वानखेडे, प्रा. कदम का सत्कार 

राष्ट्रीय बंधुता साहित्य परिषद और बंधुता प्रतिष्ठान पुणे की तरफ से पिंपलेगुरव के बंधुता भवन में बनाए गये भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सभागृह का उद्घाटन, नियोजित 22वें राष्ट्रीय बंधुता साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रा. चंद्रकांत वानखेडे, सातवें विद्यार्थी-शिक्षक साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्राचार्य प्रदीप कदम के सत्कार समारोह में गडसिंह बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय बंधुता साहित्य परिषद के संस्थापक अध्यक्ष बंधुताचार्य प्रकाश रोकडे ने की. भगवान महावीर शिक्षण संस्था के अध्यक्ष प्राध्यापक. डॉ. अशोक कुमार पगारिया, डॉ. विजय ताम्हाणे, प्रकाश जवलकर, मधुश्री ओव्हाल, चंद्रकांत धस, संगीता झिंजुरके, शंकर आथरे, प्रशांत रोकडे आदि उपस्थित थे.

साहित्य का भी बड़ा नुकसान

प्रकाश रोकडे ने कहा कि कृषि, औद्योगिक, शैक्षणिक, आर्थिक के साथ-साथ सांस्कृतिक और साहित्य को बड़ा झटका लगा है. हर कोई धीरे-धीरे इससे उबर रहा है. सांस्कृतिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए कार्यकर्ताओं को गतिमान होने की जरूरत है. हम 19वीं शताब्दी में पैदा हुए और 20वीं शताब्दी में कर्तुत्व साबित किया. इसलिए हम दोनों शताब्दियों के साक्षी रहे हैं. दोनों शताब्दियों में बहुत प्रगति देखने के बाद पिछले कुछ महीनों में सभी क्षेत्रों में बुरा समय आया है. परिस्थिति धीरे-धीरे पहले की तरह ठीक हो रही है ऐसा चित्र देखने को मिल रहा है. प्रा. अशोककुमार पगारिया ने अपने विचार रखते हुए बंधुता परिवार के कार्य का गौरव किया. प्रा. वानखेडे, प्राचार्य कदम ने भी अपने विचार व्यक्त किए.