पुणे. शहर में कोरोना का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. प्रति दिन 1 हजार से अधिक लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं. महापालिका के उपाय योजनाओं के बावजूद इसका प्रकोप कम नहीं हो रहा है. इस वजह से पालकमंत्री ने 10 दिन लॉकडाउन लागू करने के निर्देश दिए है, लेकिन पालकमंत्री के इन निर्णय का अब विरोध किया जा रहा है. शहर के सांसद गिरीश बापट ने पालकमंत्री अजीत पवार पर आरोप लगाया है कि पालकमंत्री एकतरफा निर्णय ले रहे हैं. इससे लोगों का नुकसान हो रहा है. आगामी काल में हम जनता की आवाज उठाएंगे. ऐसी चेतावनी भी बापट ने दी है.
लोकप्रतिनिधि के साथ नहीं की चर्चा
सांसद बापट ने कहा कि दुनिया भर में कोरोना -19 महामारी के दौरान प्रकोप कम होते दिखाई देते हैं. भारत में पहला कोरोना मरीज 9 मार्च को पाया गया था. उस संबंध में, देश और सभी में कोरोना का प्रसार अधिक नहीं होना चाहिए इस वजह से राज्यों ने 22 मार्च से तालाबंदी की घोषणा की, जो आज तक जारी है. राज्य द्वारा घोषित लॉकडाउन के कारण अस्पष्टीकृत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को बहुत नुकसान हुआ है. धेंडे के अनुसार आज भी पुणे चूंकि शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है. इसमें गृहिणी, रिक्शा व्यवसाय शामिल हैं. इन लोंगो का काफी नुकसान हुआ है. इस वजह से अब लॉकडाउन नहीं लगाना चाहिए. लेकिन पालकमंत्री को एकतरफा निर्णय लेने की आदत लगी है. उसके अनुसार निर्णय ले रहे है. उन्होंने लोकप्रतिनिधियों के साथ चर्चा करनी चाहिए थी. इससे लोगों का नुकसान हो रहा है. आगामी काल में हम जनता की आवाज उठाएंगे. ऐसी चेतावनी भी बापट ने दी है.
सांसद करे आत्मपरीक्षण : मनसे
सांसद बापट के इस बयान पर मनसे ने उसका विरोध किया है. मनसे के शहरध्यक्ष अजय शिंदे ने कहा की पुणे के सांसद को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि तालाबंदी के मुद्दे का राजनीति करने के बजाय मनपा क्यों विफल रहा है. लॉकडाउन न केवल राज्य सरकार की विफलता है, बल्कि इसके लिए मनपा प्रशासन भी जिम्मेदार है. जबकि रोगियों की संख्या बढ़ रही थी, शहरी गरीबों को समायोजित करने के लिए निजी अस्पताल के बेड को जानबूझकर टाला गया था. अस्पताल को शहरी गरीबों के तहत मरीजों के इलाज पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. तब कहां थे सांसद, ऐसा सवाल शिंदे ने किया है. जब मरीजों को बेड और वेंटिलेटर नहीं मिल रहे थे, कोई बात नहीं कर रहा था. और अब व्यापारी समुदाय विरोध कर रहा है, तब सांसद क्यों बोल रहे हैं?