मजदूर विरोधी नीतियों, प्रावधानों को तुरंत रद्द करे

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पुणे. भारत सरकार ने संसद में 3 लेबर कोड पारित किए हैं. इस लेबर कोड में भारतीय मजदूर संघ द्वारा कुछ बदलाव, संशोधन, सुझाव दिए थे, जिन्हें इस लेबर कोड मे शामिल नहीं किया है. इस कारण मजदूरों पर होने वाले अन्याय का विरोध करने के लिए पुणे के कामगार उपायुक्त कार्यालय शिवाजी नगर पुणे के सामने भारतीय मजदूर संघ पुणे जिला के पदाधिकारी ने आंदोलन किया.

इस लेबर कोड मे स्थाई रोजगार कम होने वाला है. नौकरी से निकालना, कामगार कटौती, ले आफ, क्लोजर के बारे में शासन से अनुमति आवश्यक थी, अब 300 कामगारों से ऊपर कामगारों की संख्या वाली कंपनियों के लिए यह नियम यथावत रखा है. उससे कम कामगार वाली कंपनियों के लिए यह नियम शिथिल किया गया है. माडेल स्टेंडिंग आडर में भी 300 की संख्या का प्रावधान किया है. इस कारण प्रंबंधन को कामगारों को काम से हटाना, ले आफ क्लोजर करने के लिए आसान बन गया है. इन प्रावधानों का भारतीय मजदूर संघ विरोध करती हैं.शोषण और अन्याय का विरोध करने के लिए कानूनी रास्ते से हड़ताल (STRIKE) के नियमों  भी बदलाव के कारण मजदूरों में नाराजगी और असंतोष निर्माण हुआ है.

भारतीय मजदूर संघ की मांग

भारत में लाखों मजदूर 300 से कम संख्या रहने वाले आस्थापना में कार्यरत हैं. इस लेबर कोड व्दारा प्रबंधन व्दारा मनमानी से मजदूरों को काम पर रखना, कटौती करना आसान हुआ है. रोजगार में अस्थिरता, अनिश्चितता निर्माण हो कर जाब लेस होने से मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. ये भारतीय मजदूर संघ का मत है. संसद में द्वितीय श्रम आयोग मे सुचित किया है. मजदूरों के न्यूनतम वेतन मे बढोती, मजदूरों की स्थिति, सामाजिक सुरक्षा का मूलभूत अधिकार में प्रविष्टियां करना आदि सूचनाओं का लेबर कोड मे कामगार हित नहीं है. सामाजिक सुरक्षा  पर अमल, ऑक्युपेंशनल हेल्थ एंड सेफ्टी का लाभ मिल नहीं सकता, इन्स्पेटर का प्रावधान न होने से ये हितकारी नहीं है. सामान्य कामगारों के हित के लिए कामगार विरोधी प्रावधान हटाने की मांग भारतीय मजदूर संघ पुणे जिला ने किया है. इस आशय का निवेदन राष्ट्रपति, श्रममंत्री भारत सरकार तक पहुंचाने के लिए श्रम उपायुक्त विकास पनवेलकर को दिया है. इस समय भारतीय मजदूर संघ पुणे जिला अध्यक्ष हरि सोवनी,  सेक्रेटरी जालिंदर कांबले,  सचिन मेंगाले, अर्जुन चव्हाण, उमेश विश्वाद, बालासाहेब भुजबल,  निलेश खरात,  अभय वर्तक,  विवेक ठकार,  बालासाहेब पाटिल, अण्णा महाजन, सचिन भुजबल ने अपने विचार व्यक्त किए.