- विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह
पुणे. भारत ने स्वास्थ्य सेवा की मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि करते हुए अनपेक्षित बीमारियों के विरोध में लड़ाई जारी रखा हुआ है. अन्य मौसमी बीमारी फैलने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा यंत्र पर तनाव पड़ेगा, इस ओर ध्यान देना जरूरी है. कोविड-19 भले ही गंभीर बीमारी बनी हुई है, फिर भी विशेषज्ञ डॉक्टर इन्फ्लूएंजा जैसे मौसमी बीमारियों का खास ध्यान रखें. ऐसा सलाह विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दिया.
उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण भारत में वर्ष 2009 से ठंडी और बरसात दोनों ऋतुओं में इन्फ्लूएंजा का प्रमाण धीरे-धीरे बढ़ रहा है. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के अनुसार, फरवरी 2020 तक एच1एन1 का आंकड़ा 1,132 थी और इससे 18 लोगों की मृत्यु हो गई थी. बरसात शुरू होने पर विशेषत: महामारी के दौरान इन्फ्लूएंजा को लेकर अनेकों सवाल उठ गए हैं. मानसून इन्फ्लूएंजा के लिए अनुकूल होता है. इसका बढ़ना विकासशील और विकसित देशों के लिए गंभीर समस्या है.
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत में मानसून की शुरूआत में ही श्वसन से संबंधित रोगों, विशेषत: इन्फ्लूएंजा में बढ़ोत्तरी हो सकती है. कोरोना विषाणु और इन्फ्लूएंजा दोनों में सांस लेने में दिक्कत, बुखार और न्यूमोनिया के लक्षण होते हैं. ऐसे में कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं. हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने बताया कि आधुनिक इन्फ्लूएंजा क्वॉड्रिवैलण्ट टीका के उपयोग से इन्फ्लूएंजा पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण रखा जा सकता है.
टीका देने की शिफारिश बड़े प्रमाण में की गई
पुणे के सिम्बायोसिस स्कूल फॉर ओपन एण्ड डिस्टन्स लर्निंग के संचालक डॉ. अभय सराफ ने बताया कि सामान्यत: मानसून के दौरान सांस से संबंधित बीमरियों से लोग परेशान होते हैं पर अच्छी बात यह है कि इन्फ्लूएंजा को टीके के मातहत निर्मूलन किया जा सकता है. इसलिए मौजूदा स्थिति में को-मोर्बिडीटीज लोग और आरोग्यसेवा कर्मचारी (एचसीडब्ल्यू) जैसे अधिक खतरा वाले लोगों को इन्फ्लूएंजा का टीका देने की शिफारिश बड़े प्रमाण में की गई है.