Issue new orders regarding call drop charges Congress Leader Aba Bagul

  • कांग्रेस नेता आबा बागुल की प्रधानमंत्री से मांग

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पुणे. मोबाइल फोन (Mobile Phone) पर बार-बार और नियमित कॉल ड्रॉप (Call Drop) से मोबाइल ग्राहक त्रस्त हैं और उनकी शिकायतें (Complaints) बढ़ रही हैं. पुणे  में मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. मैं इस तथ्य पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि मोबाइल कंपनियों द्वारा उस सीमा तक बुनियादी सेवाएं नहीं बढ़ाया जा रही है.

कॉल ड्राप शुल्क के बारे में नए आदेश जारी करें. ऐसी मांग कांग्रेस नेता आबा बागुल (Congress Leader Aba Bagul) ने प्रधानमंत्री (PM) से की है. इससे सम्बंधित पत्राचार भी बागुल ने प्रधानमंत्री से किया है. 

सही सेवाएं नहीं दे रही मोबाइल कंपनियां  

इस बारे में बागुल ने कहा कि दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम 1997 में कहा गया है कि हर बुनियादी मोबाइल सेवा प्रदाता कॉल करने वाला ग्राहक है. (कॉल लेने वाला ग्राहक नहीं) कॉल ड्रॉप के लिए 1 रुपए का शुल्क लिया जाता है. यह सीमा प्रति दिन अधिकतम 3 कॉल तक मोबाइल नेटवर्क तक सीमित है. मोबाइल उपभोक्ता को एसएमएस या यूएसएसडी संदेश के माध्यम से 4 घंटे के भीतर कॉल ड्रॉप की संख्या के बारे में सूचित करना भी आवश्यक है. पोस्ट पेड (Post paid) ग्राहकों को कॉल ड्राप  के लिए अगले महीने के बिल का भुगतान करने की अनुमति है.  इसे सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cellular Operators Association of India) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी थी. 11 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के खिलाफ सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पक्ष में फैसला सुनाया. तकनीकी जानकारी के आधार पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि कॉल ड्रॉप में 2% त्रुटि कंपनियां और ग्राहक की 36.9 प्रतिशत थी.  हालांकि हम यह बताना चाहेंगे कि यह कहना गलत है कि 2% त्रुटि कंपनियों की है. बल्कि इससे भी अधिक है क्योंकि मोबाइल सेवा प्रदाताओं ने बुनियादी ढांचे और टावरों में पर्याप्त निवेश नहीं किया है. 

जीने के अधिकार पर हमला 

बागुल ने कहा कि यह नागरिकों के जीने के अधिकार पर हमला है. आज के आधुनिक दुनिया में मोबाइल फोन एक आवश्यकता बन गए हैं, न कि एक लक्जरी. समाज का प्रत्येक तत्व दूरसंचार सेवाओं का उपयोग करता है और इन सेवाओं को प्रदान करना संबंधित प्राधिकरण की जिम्मेदारी है.   मामला संविधान के अनुच्छेद 21 से संबंधित है. इनमें जीवन का अधिकार, मानवीय गरिमा के साथ जीवन का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, वायु प्रदूषण से मुक्ति का अधिकार शामिल हैं. यही कारण है कि आज के आधुनिक समाज के मोबाइल और इंटरनेट कनेक्शन संविधान के अनुच्छेद 21 का एक हिस्सा हैं. बागुल के अनुसार, इस कॉल ड्रॉप और अन्य कारणों से ग्राहकों को होने वाली असुविधा को कम करने के लिए केंद्र सरकार को मोबाइल कंपनियों को नए आदेश जारी करने चाहिए. ताकि ये कंपनियां महापालिकाओं के लिए एक तय अवधि के भीतर राशि का भुगतान करना अनिवार्य हो सके. अनुरोध  है कि पॉलिसी बनाते समय हितधारकों, उपभोक्ता संघों, महापालिकाओं और स्थानीय निकायों वाली मोबाइल कंपनियों को भी बुलाया जाए. ऐसा भी बागुल ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है.