झोपड़ी शुल्क से भर रही मनपा की तिजोरी

  • ऑनलाइन प्रक्रिया से हो रहा फायदा

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पुणे. महापालिका की ओर से शहर के प्रॉपर्टी धारकों (Property holders) से टैक्स (Tax) वसूला जाता है। साथ ही जो लोग झोपड़ी में रहते हैं, उनसे झोपड़ी शुल्क वसूला जाता है। लेकिन देखने को मिल रहा है कि झोपड़ीधारकों द्वारा विगत 10 साल से शुल्क अदा नहीं किया है। इस वजह से अब इसमें नियमितता लाने के लिए महापालिका प्रशासन (Municipal Administration) ने टैक्स की तर्ज पर झोपड़ी शुल्क भी ऑनलाइन तरीके से भुगतान करने के लिए प्रणाली बनाई है।

3 सितंबर से इसकी शुरुआत की गई है। इससे महापालिका का खासा फायदा हो रहा है। ऑनलाइन प्रणाली से अब तक मनपा को 1 करोड़ से अधिक आय मिल चुकी है। आगामी 4 माह में और आय मिलेगी। मनपा ने 2.5 करोड़ कमाने का उद्देश्य रखा है। इससे मनपा का फायदा हो रहा है। साथ ही नागरिक खुद आकर शुल्क का भुगतान कर रहे हैं। ऐसी जानकारी महापालिका उपायुक्त अविनाश सकपाल ने दी।

300 रुपए लिया जाता है सेवा शुल्क

ज्ञात हो कि महापालिका सीमा में करीब 564 झोपड़पट्टियां हैं। उनमें से 353 झोपड़पट्टी घोषित हैं, तो 211 अघोषित हैं। इसमें करीब साढ़े पाच लाख झोपड़ियां हैं। झोपड़पट्टियों में रहने वाले नागरिकों को पानी, ड्रेनेज व स्वच्छता से संबंधित सुविधा मुहैया की जाती हैं। इसके बदले में झोपड़ीधारकों से 900 रुपए का सेवा शुल्क निर्धारित किया जाता है। लेकिन मनपा के तिजोरी में इसके तहत ज्यादा आय जमा नहीं हो पा रही है। जबकि विगत साल क्षेत्रीय कार्यालयों को 12 करोड़ की वसूली का उद्देश्य दिया गया था। एक तरफ महापालिका की आय कमी हो रही है। इस वजह से यह बकाया राशि तत्काल वसूलने के निर्देश क्षेत्रीय कार्यालयों को दिए गए हैं। क्षेत्रीय कार्यालय के बस्ती अधिकारी, वरिष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षक, स्वास्थ्य निरीक्षक व शेष कर्मियों को साथ में लेकर यह वसूली करने के निर्देश अतिरिक्त आयुक्त रूबल अग्रवाल ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को दिए थे।

ढाई करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य

महापालिका के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा हर साल करीब 1 करोड़ रुपए तक सेवा शुल्क वसूला जाता है। मनपा के इतिहास में पहली बार 2016-17 के वित्तीय साल में यानी करीब 6 करोड़ का सेवा शुल्क वसूल हुआ था। इस साल में नोट बंदी की गयी थी। इस अवसर पर यह शुल्क वसूला गया था। लेकिन फिर से प्रति साल 1 करोड़ तक की राशि मिल पा रही है। इस वजह से अब इसमें बढ़ोतरी करने के लिए यह निर्देश निकाले गए थे। इस बीच अब इसमें नियमितता लाने के लिए महापालिका प्रशासन ने टैक्स की तर्ज पर झोपड़ी शुल्क भी ऑनलाइन तरीके से भुगतान करने के लिए प्रणाली बनाई है। इससे अब नागरिकों को मनपा या क्षेत्रीय कार्यालयों में जाकर कतार लगाने की जरूरत नहीं है। प्रशासन द्वारा सभी वैध यानी करीब 1 लाख 52 हजार झोपड़ियों को इस प्रणाली में लाया है। इस वजह से अब कोई भी झोपड़ी धारक अब इससे नहीं छूटेगा।

इस बारे ने उपायुक्त अविनाश सकपाल ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया करने से बिल भरने में तेजी आ रही है। नियमानुसार प्रति साल 300 रुपए का शुल्क लिया जाता है। साथ ही हम 1 जनवरी 2003 से बकाया राशि वसूल रहे हैं। यह बिल 5 हजार 475 का है। हमारे कर्मी घर जाकर बिल दे रहे हैं। उसके बाद उन्हें नागरी सुविधा केन्द्रों पर शुल्क भरने की सुविधा दी है। सकपाल के अनुसार हर साल इससे मनपा को 1 करोड़ की राशि मिलती है। इस साल तो कोरोना से राशि वसूलने के दिक्कते आ रही थी। फिर भी हमने अच्छा काम कर  अब तक 1 करोड़ से अधिक राशि कमाई है। शेष 3-4 माह में हम 2 ढाई करोड़ तक शुल्क वसूलेंगे।