NEET exam on 19 centers in 19 Akola

  • पहले परीक्षा लें, चाहे तो नतीजे लंबित रखें
  • छात्रों की राज्य सरकार से गुहार

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पुणे. कोरोना वायरस की वजह से पूरे विश्व की हालात खराब हो गई है. राज्य में सबसे ज्यादा मरीज कोरोना से बाधित है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा शहर के सभी स्कूलों, कॉलेजों को छुट्टी घोषित की है. लेकिन अब प्रतियोगिता परीक्षाएं जैसे की MPSC परीक्षा का अभ्यास करनेवाले छात्रों की परेशानी पर किसी का ध्यान नहीं जा पा रहा है. राज्य में ऐसे लाखों छात्र इन परीक्षाओं का अभ्यास कर रहे है.  इन छात्रों की परीक्षा 5 अप्रैल व 3 मई को होनेवाली थी. बाद में तारीख पे तारीख का सिलसिला शुरू हुआ. इसकी वजह बना है मराठा आरक्षण. लेकिन सरकार द्वारा इसका मुद्दा हल नहीं हो पाया है. इसको लेकर राज्य में राजनीती चल रही है. इससे परीक्षा आगे खिसकायी जा रही है. इससे लाखो छात्र परेशां हो रहे है. छात्र मांग कर रहे है कि किसी भी हाल में पहले परीक्षा लें. चाहे तो नतीजे लंबित रखे. आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के बाद नतीजे घोषित करें. ऐसी भूमिका इन छात्रों द्वारा ली गई है.

परीक्षा को लेकर तारीख पर तारीख

एमपीएससी यानी महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग के तहत ली जानेवाली राज्यसेवा परीक्षा 5 अप्रैल को होनेवाली थी. 200 जगहों के लिए यह परीक्षा होगी. उसके लिए शहर के कुल 37 केंद्र हैं. तो पीएसआई, एसटीआई की परीक्षा 3 मई को होनेवाली थी. इन परीक्षाओं को सही तरीके से पेश होने के लिए ये छात्र जी जान से मेहनत कर रहे थे. ज्यादा तर छात्र यहां ग्रामीण इलाके से होते है. साथ ही ये छात्र अभ्यास करने के लिए अभ्यासिका का इस्तेमाल करते है. पुणे शहर में ऐसे 100 से अधिक अभ्यासिका है. इसमें से ज्यादा तर अभ्यासिका सदाशिव पेठ, नारायण पेठ, लोकमान्य नगर, तिलक रोड़ इलाके में हैं. लेकिन कोरोना जैसी महामारी के चलते ये अभ्यासिका बंद रखने की नौबत आई है. इसका प्रतिकूल असर अब अभ्यास करनेवाले छात्रों पर हो रहा है. इसमें से कई छात्र गांव चले गए थे. ऐसे में अब इन छात्रों का अभ्यास कैसे पूरा होगा, ऐसा सवाल उठ रहा था. इस वजह से छात्रों द्वारा मांग की जा रही थी कि ये परीक्षाएं आगे ढकेल दी जाए. तब से हमेशा परीक्षा आगे ढकेली जा रहा है.

आरक्षण को लेकर राजनीति

कई सालों से मराठा आरक्षण का मुद्दा लंबित पड़ा हुआ. पिछली सरकार ने इसकी शुरुआत की थी. लेकिन मुद्दा सुप्रीम कोर्ट गया हुआ है. वह सरकार कुछ नहीं कर पा रही थी. मौजूदा सरकार भी इस मुद्दे को लेकर कुछ खास प्रयास नहीं कर पा रही है. इसका फायदा राजनेता साथ ही मराठा संगठन से लेकर शेष संगठन भी ले रही है. नतीजा परीक्षा सिर्फ आगे खिसकती जा रही है. मराठा नेता संभाजी राजे साथ ही उदयन राजे आरक्षण लेने को लेकर ठाम है. आरक्षण मिलने तक ये लोग परीक्षा नहीं चाहते. तो ओबीसी व धनगड़ संगठन परीक्षा लेने की मांग कर रही है. अब छात्रों की संगठन भी उसमें उतर आई है. लेकिन उनके सहारे राजनीती करने का काम राजनेता कर रहे है. इससे छात्र पीड़ित है. छात्र मांग कर रहे है कि किसी भी हाल में पहले परीक्षा लें. चाहे तो नतीजे लंबित रखे. आरक्षण का मुद्दा सुलझाने के बाद नतीजे घोषित करें. ऐसी भूमिका इन छात्रों द्वारा ली गई है.

मराठा समाज को किसी भी हाल में आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन आरक्षण के चलते परीक्षा आगे खिसकायी जा रही है. इससे पहले कोरोना की वजह से परीक्षा आगे ढ़केल दी थी. अब तो छात्रों की उम्र बढ़ती जा रही है. साथ ही सराव करने भी सीमा होती है. इस पर सरकार जल्द फैसला कर पहले परीक्षा आयोजित करें.

– नीतिन मेटे, छात्र

हाल ही में मराठा समाज से लेकर किसी भी समाज के छात्र परीक्षा नहीं दे पा रहे है. अतएव सभी समाज के छात्रों के मन में असमंजस पैदा हुआ है. 2019 साल की परीक्षा 2020 ख़त्म होने पर भी नहीं हुई है. इससे छात्र परेशान है. सरकार जल्द मसला हल करें.

-छाया मोढ़वे, छात्र

मराठा समाज के आरक्षण के खिलाफ हम नहीं है. लेकिन पहले कोरोना व अब मराठा आरक्षण के मुद्दे के चलते किसी भी समाज का छात्र प्रतीक्षा नहीं दे पा रहा है. सरकार से दरखास्त है कि पहले परीक्षाओ का आयोजन करें. साथ ही मराठा आरक्षण का मुद्दा भी सुलझाए.

-सलीम पठाण, छात्र