पुणे. नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर देशभर में धरना आंदोलन किया। पुणे (Pune) के शिवाजी नगर (Shiv Sena) स्थित नाबार्ड कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी आंदोलन (Protest) किया। नाबार्ड के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी एवं कर्मचारी अपने यूनाइटेड फोरम (United Forum) के बैनर तले पिछले एक-डेढ़ साल से आंदोलन कर रहे हैं।
पिछले एक साल से नाबार्ड के गेट पर धरना देना, ब्लैक बैज पहनना और अंत में 1 दिन के हड़ताल के जरिये यह आंदोलन किया गया। सन 1981 में संसद द्वारा पारित अधिनियम के माध्यम से नाबार्ड की स्थापना की गई थी।सन 1982 में भारतीय रिजर्व बैंक के प्रबंध तंत्र ने भारतीय रिजर्व बैंक से नाबार्ड में जाने वाले अपने स्टाफ सदस्यों को यह आश्वासन दिया था कि नाबार्ड में जाने के बाद भी उनके वेतन, भत्ते और सेवानिवृत्त के लाभों को भारतीय रिजर्व बैंक के उनके सहयोगियों के समकक्ष बनाए रखा जाएगा। लेकिन नाबार्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ किए गए वादों को निभाया नहीं जा रहा है। इसलिए नाबार्ड के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारियों ने यह आंदोलन किया।
भारतीय रिजर्व बैंक के 3 विभागों को अलग करके नाबार्ड बनाया गया था ताकि कृषि और ग्रामीण विकास पर संपूर्ण ध्यान केंद्रित किया जा सके। पेंशन संबंधी मामले, सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाने पर अधिकारियों, कर्मचारियों के आश्रितों को दिए जाने वाले अनुकंपा लाभों को भी भारतीय रिजर्व बैंक की तर्ज पर लागू नहीं किया जा रहा है। इन सभी अन्यायों के खिलाफ नाबार्ड के सभी सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारी और अधिकारियों ने यह आंदोलन किया। यह जानकारी ऑल इंडिया नेशनल बैंक ऑफिसर्स संगठन के सचिव नितिन शेलके ने दी।