Pune Municipal Corporation

  • राज्य सरकार ने जारी किए अध्यादेश
  • आकार में पुणे बना राज्य का सबसे बड़ा शहर

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पुणे. पुणे महानग पालिका (Pune Municipal Corporation) क्षेत्र में 23 गांवों (Villages) को शामिल करने वाला अध्यादेश आज राज्य सरकार (State Government) द्वारा जारी किया गया है. जिसने पिछले कुछ दिनों से चल रही प्रक्रिया अंतिम मुहर लगाई है. 

नए गांवों (New Villages)को शामिल करने के साथ पुणे शहर महापालिका  क्षेत्र के मामले में मुंबई (Mumbai) को पीछे छोड़ते हुए राज्य का सबसे बड़ा महापालिका बन गया है क्योंकि अब क्षेत्रफल 485 वर्ग किमी हो गया है. मुंबई का 430 वर्ग किमी है. ग्राम समावेश अध्यादेश जारी होने के साथ ही इनमें से 3 गांवों के घोषित चुनाव रद्द होने की संभावना है. 

485 वर्ग किमी हुआ क्षेत्र 

महापालिका में जब 11 गांवों का समावेश हुआ था तब महापालिका का क्षेत्र 331 वर्ग किलोमीटर था.  23 नए गांवों के जुड़ने से यह क्षेत्र 485 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा. इसलिए पुणे, मुंबई को छोड़कर, आकार के मामले में राज्य का सबसे बड़ा महापालिका बनने जा रहा है. 23 गांवों को शामिल करने से नगर निगम की सीमा में लगभग साढ़े पांच लाख आबादी आ जाएगी. विगत कई दिनों से गांव लेने को लेकर सिर्फ चर्चा हो रही थी, लेकिन आख़िरकार इस पर अंतिम मुहर लग गई है. ऐसे अब मनपा सीमा 34 गांव समाविष्ट हो चुके हैं. 

3 गांवों के चुनाव हो सकते है रद्द 

औताडे-हांडेवाड़ी, शेवालेवाड़ी और वडाची वाड़ी में ग्राम पंचायत चुनाव रद्द करने के संकेत हैं. महा नगर पालिका क्षेत्र में 34 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव पिछले 20 वर्षों से चर्चा में है. फडणवीस सरकार के दौरान इन 34 गांवों में से 11 और शेष गांवों को चरणों में शामिल करने का निर्णय लिया गया था. इस संबंध में राज्य सरकार ने गांवों को चरणों में शामिल करने की गारंटी देने वाली उच्च न्यायालय की याचिका पर प्रतिज्ञापत्र  दिया था. यदि एक ही समय में सभी 34 गांवों को महापालिका में ले लिया गया, तो इन सभी गांवों में बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक धनराशि कुछ हजार करोड़ तक हो जाएगी, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहा है. इसलिए एक ही समय में सभी गांवों को शामिल करने का निर्णय नहीं लिया गया था. उस समय कहा गया था कि फडणवीस सरकार में शामिल 11 गांवों के लिए लगभग 450 करोड़ रुपए की जरूरत है.

 9500 करोड़ आवश्यकता 

 हालांकि, न तो महापालिका और न ही राज्य सरकार इस राशि को खर्च कर सकती है.  महापालिका ने राज्य सरकार को सूचित किया है कि 450 करोड़ रुपए का खर्च अब बढ़ेगा और नए 23 गांवों के लिए 9,500 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी.  इसलिए सभी 23 गांवों को एक राजनीतिक निर्णय के रूप में शामिल किया जाएगा, हालांकि इस गांव में बुनियादी ढांचे का सवाल अनुत्तरित है. 

गांवों का समावेश मनपा सीमा में करने के लिए हमारा कभी विरोध नहीं था, ना कभी रहेगा. हम चाहते है कि गांवों का विकास हो. सरकार ने विभिन्न चरणों में गांवों का समावेश करना आवश्यक था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है. पहले 11 गांवों का विकास नहीं हो पाया है. इसलिए नए 23 गांवों के समावेश को लेकर मनपा प्रशासन ने 9 हजार करोड़ देने की मांग की थी. वही मांग हम कर रहे थे. गांवों के विकास के लिए सरकार 9 हजार करोड़ दे. यही हमारी मांग रहेगी साथ ही गांवों को विकास से वंचित ना रखें.

- मुरलीधर मोहोल, महापौर

राज्य सरकार के निर्णय का हम स्वागत करते है. इससे महापालिका साथ ही उन गांवों का खासा विकास होगा. इन गांवों के विकास और मूलभूत सुविधाएं देने के लिए जो भी राशि आवश्यक होगी, उसकी मांग हम राज्य सरकार से करेंगे, लेकिन अब भाजपा विरोध के लिए विरोध ना करें. गांवों की विकास की ओर सभी ने ध्यान देने की आवश्यकता है.

- दीपाली धुमाल, विपक्षी नेता, महापालिका