onion
File Photo

Loading

  • शरद जोशी विचारमंच किसान संगठन की राष्ट्रपति और राज्यपाल से मांग

पुणे. कोविड की अवधि के दौरान वित्तीय संकट के कारण महाराष्ट्र राज्य में 1100 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. पिछले 7 महीनों में प्याज, टमाटर, मक्का और कमोडिटी की कीमतें 40 से 45% कम हुई हैं. 

इस समय राज्य और केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? सरकार का इस बात पर कोई नियंत्रण नहीं है कि किसानों से कई गुना कम दाम से कृषि माल खरीदकर, व्यापारी, दलाल और विक्रेता 200से 300% लाभ कमा रहे हैं. अब प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा है. इसे तत्काल हटाए, ऐसी मांग शरद जोशी विचारमंच किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विट्ठल पवार ने राष्ट्रपति और राज्यपाल से की है.

किसानों का होगा वित्तीय नुकसान

पवार ने कहा कि इस संबंध में महाराष्ट्र सहित भारतीय प्याज उत्पादक, 14 सितंबर को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा प्याज के निर्यात पर अचानक प्रतिबंध से परेशान हैं. जिसके परिणामस्वरूप प्याज उत्पादकों को भारी वित्तीय नुकसान होगा. चीन में कोविड-19 के कारण अन्य देश वहां से कृषि उत्पादन नहीं खरीदते हैं.  इस पर सरकार ने ध्यान देना चाहिए. जैसा कि भारतीय प्याज कृषि उत्पादन क्षेत्र में एक अच्छा उत्पादन है. भारतीय कृषि उत्पादक किसानों की मांग और कीमत में भी अच्छी वृद्धि हुई है. इसलिए केंद्र सरकार के लिए यह महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है कि यह भारतीय किसानों को बहुत आर्थिक लाभ होगा.

किसानों से कम दाम में प्याज खरीदते हैं व्यापारी

पवार ने कहा कि पिछले 7 महीनों में प्याज की कीमत लगातार गिरावट आई है. महाराष्ट्र सरकार का इस बात पर कोई नियंत्रण नहीं है. महाराष्ट्र सरकर के व्यापारी, दलाल किसानों से बहुत ही कम दाम पर प्याज खरीद रहे हैं और  200 से 300% का भारी मुनाफा कमा रहे हैं. 3 से 7 रुपये में प्याज खरीदते हैं और 30 से 40 रुपये में बेचने के बीच इतना बड़ा अंतर है.  पवार के अनुसार, राष्ट्रपति को दरखास्त है कि भारत सरकार एक उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लेना चाहिए. केंद्रीय वित्त मंत्री, वाणिज्य और व्यापार मंत्री, कृषि और किसान कल्याण मंत्री, संसदीय मामलों के मंत्री और तुरंत प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने पर विचार करें. विपक्ष को कोई अतिरिक्त अवसर न दें.