Overhead, underground, illegal cables will be surveyed -consultant will be appointed by the Municipal

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    पुणे. शहर (City) में हर साल जो इंटरनेट (Internet)और टीवी केबल (TV Cables) के ओवर हेड वायरिंग (Overhead Wiring of Internet) बिछायी जाती है, उससे एक धोखादायक चैन निर्माण हुई है। इस केबल (Cable) की वजह से बड़े पैमाने पर दुर्घटनाएं हो रही है, इस वजह से इसको लेकर एक नियमावली बनाकर नीति बनाए, ऐसे निर्देश विधान परिषद (Legislative Assembly) ने राज्य सरकार को दिए थे।

    इसके अनुसार राज्य सरकार ने भी राज्य के सभी महानगरपालिका आयुक्त को इसको लेकर एक नियमावली बनाना व उस पर अमल करने के निर्देश दिए थे। लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये की वजह से इस पर कोई काम नहीं किया जा रहा था। लेकिन महापालिका द्वारा इसे गंभीरता से देखा गया है। महापालिका द्वारा अब ओवरहेड, भूमिगत साथ अवैध केबल का सर्वे किया जाएगा। इस काम के लिए इरा टेले इंफ़्रा प्रा लि को काम दिया जाएगा। महानगरपालिका द्वारा यह प्रस्ताव जल्द की स्थायी समिति के समक्ष लाया जाएगा। इससे केबल की स्थिति की महानगरपालिका को जानकारी मिलेगी साथ ही बाद में केबल बिछाने के दर किए जाएंगे। इससे महानगरपालिका को लगभग 700 करोड़ तक आय मिलेगी।

    महानगरपालिका के पास नहीं कोई नीति

    ज्ञात हो कि बड़े शहरों में विगत कई सालों में इंटरनेट केबल साथ ही टीवी केबल कनेक्शन की केबल किसी भी तरह डाली जाती है। ये केबल ऊंची इमारतों से साथ ही पेड़ों के ऊपर से व महानगरपालिका के सड़कों पर जो पथ दिए, बिजली वाहक तार पर से बिछायी जाती है। इस वजह से इन केबलों का एक धोखादायक कनेक्शन हो गया है। इससे पंछियों को भी धोखा हो रहा है। साथ ही कई बार तो ये केबल टूटकर सड़क पर बिखर जाती है। साथ ही कई बार तो ये केबल किसी स्तंभ से लटक जाती है, इससे दुर्घटनाएं होने के मामले हो रहे है। इस पर हल निकालने के लिए कौन सी उपाय योजना की गयी है, दुर्घटना की जिम्मेदारी किसकी? केबल डालने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है क्या? इसको लेकर कोई नियमावली या नीति नहीं बनायी है। इसको लेकर कोई नीति ना होने के कारण विगत कई सालों से विधान परिषद में इसको लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। ऐसे सवाल उठने के बाद कई दिनों तक कार्यवाई की जाती है। लेकिन बाद में यह कार्यवाई ठंडे बस्ते में चली जाती है।

    अधिवेशन खत्म होने के बाद फिर केबल डालना शुरू हो जाता है। इस वजह से अब इसको लेकर एक नियमावली बनाकर नीति बनाए, ऐसे निर्देश विधान परिषद ने राज्य सरकार को दिए थे। इसके अनुसार राज्य सरकार ने भी राज्य के सभी महानगरपालिका आयुक्त को इसको लेकर एक नियमावली बनाना व उस पर अमल करने के निर्देश दिए थे। साथ ही इससे संबंधित एक रिपोर्ट बनाने के लिए भी कहा गया था। विधान परिषद में इसको लेकर सवाल किया गया था, इस वजह से यह नीति बनाना अनिवार्य था। लेकिन प्रशासन के उदासीन रवैये की वजह से इस पर कोई काम नहीं किया जा रहा था।

    सलाहकार को 4.41% फी अदा की जाएगी

    केबल बिछाने को लेकर अब महापालिका एक नीति बनाएगी। उससे पहले शहर में बिछाए गए भूमिगत, ओवरहेड व अवैध केबल का सर्वे किया जाएगा। उसके लिए सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी। महानगरपालिका द्वारा टेंडर प्रक्रिया लागू की थी। प्रशासन द्वारा इरा टेले इंफ़्रा प्रा ली को यह काम देने का मन बनाया है। उसके लिए कंपनी को महानगरपालिका द्वारा केबल की मिलनेवाली कुल राशि से 4.41% राशि अदा की जाएगी। राशि मिलने के बाद ही फिस दी जाएगी उससे सम्बंधित प्रस्ताव महानगरपालिका द्वारा स्थायी समिति के समक्ष लाया जाएगा। स्थायी समिति की मंजूरी मिलने के बाद तत्काल सर्वे का काम शुरू किया जा सकता है।

    500-700 करोड़ की मिलेगी आय

    महापालिका प्रशासन के अनुसार सर्वे का काम होने के बाद महापालिका द्वारा केबल निति बनाई जाएगी। उसके तहत शहर में केबल किस तरह से बिछाई जाए, यह तय किया जायेगा। इसमें ओवरहेड व भूमिगत, ऐसे दो विकल्प होंगे। यह तय होने के बाद केबल बिछाने के दर तय किए जाएंगे। साथ ही अवैध केबल को वैध करने के लिए भी दर तय किया जाएगा। उसके बाद महानगरपालिका को आय मिलना शुरू होगा। महानगरपालिका प्रशासन का मानना है कि महापालिका को इससे करीब 500-700 करोड़ की आय मिल सकती है। महानगरपालिका का यह एक आय का बड़ा स्त्रोत होगा।

    केबल के माध्यम से आय कमाने को लेकर मैंने अग्रणी भूमिका ली है। भूमिगत केबल बनने में लगभग 10 साल लगेंगे। तब तक इन केबल धारकों से चार्जेस लेना आवश्यक है। क्योंकि फ़िलहाल इन पर किसी का नियंत्रण नहीं है। ये लोग किसी की अनुमति नहीं लेते है। साथ ही महानगरपालिका को भी आय के विभिन्न स्रोत की जरुरत है। महानगरपालिका को आय कमाने का यह एक हक का स्रोत होगा। इससे हमें 500 करोड़ से अधिक की राशि मिलने की उम्मीद है।

    - हेमंत रासने, अध्यक्ष, स्थायी समिति, पुणे महानगरपालिका।