कोरोना के नाम पर नौकरी और कटौती करने पर लगे रोक

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  •  राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी के अध्यक्ष यशवंत भोसले की मांग

पिंपरी. कोरोना के मद्देनजर, प्रशासन ने कारखाने को सशर्त रूप से शुरू करने की अनुमति दी, साथ ही साथ कार्यस्थल में प्रवर्तन के लिए नियमावली जारी की है. हालांकि, कारखानों ने सरकार द्वारा जारी कोरोना रोकथाम नियमों का अनुपालन नहीं किया.  परिणामस्वरूप, कई श्रमिक कोरोना से संक्रमित हो गए और कई ने अपनी जान गंवा दी. कुछ कारखानों ने कोरोना का लाभ उठाया और श्रमिकों को निकाल दिया, जबकि अन्य ने मजदूरी औऱ वेतन में कटौती की. राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी के अध्यक्ष यशवंत भोसले ने एक संवाददाता सम्मेलन के जरिए यह मांग की है कि कंपनियों को कोरोना के नाम पर नौकरी और वेतन कटौती करने से रोका जाना चाहिए.

कारखानों ने नहीं किया नियमों का पालन

इस अवसर पर यशवंत भोसले ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर, पुणे जिलाधिकारी ने नियमावली जारी किए और कारखाना शुरू करने की अनुमति दी. प्रारंभ में 30 प्रतिशत कारखानों को शुरू करके सामाजिक दूरी के साथ कारखानों को शुरू करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन उद्योगपतियों ने 100 प्रतिशत कारखाने शुरू किए. कारखानों ने सरकार द्वारा जारी कोरोना निवारण नियमों का पालन नहीं किया. अनुमति प्राप्त कारखानों को कोरोना प्रीवेंशन रेगुलेशंस के साथ अनुपालन किया गया है या नहीं? इस पर ध्यान देने की कोई व्यवस्था नहीं है.

सोशल डिस्टेंसिंग का भी नहीं हो रहा पालन

जिले भर की फैक्टि्रयों में काम करने वाले और उनके परिवार कोरोना से बहुत प्रभावित हुए हैं. किसी भी कारखाने ने 10 दिनों तक काम करने वाले विभाग को बंद करके कोरोना के संपर्क में आने वाले श्रमिकों को अलग करने के खिलाफ कोई एहतियात नहीं बरती है. कुछ अपवादों के साथ, अन्य कारखाने श्रमिकों के परिवहन के दौरान भी सामाजिक अंतराल का पालन नहीं करते हैं.

चेंजिंग रूम में भी सामाजिक अंतर की धज्जियां

चूंकि कारखानों में लॉकर और चेंजिंग रूम आम हैं, इसलिए सभी श्रमिकों को सामाजिक रूप से अलग रखने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है. इसलिए श्रमिकों को कपड़े बदलने और सामान रखने के लिए लॉकर रूम और चेंजिंग रूम में एक साथ आना पड़ता है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.  

श्रमिकों को बहाल कर उनका वेतन दिया जाना चाहिए

कोरोना अनुबंधित श्रमिकों के नामों की घोषणा सरकार क्यों नहीं करती है? उन्होंने कहा कि इससे यह भी संदेह पैदा होता है कि क्या सरकार आंकड़ों को छिपाने की कोशिश कर रही है. जबकि कई कारखानों में श्रमिकों को कोरोना से सुरक्षा के लिए कंपनी को कुछ निर्देश दिए गए थे, उन्होंने श्रमिकों को काम करने के लिए मना किया, साथ ही साथ जबरन अपनी स्थायी नौकरियों से इस्तीफा दे दिया और अनुबंध कर्मियों के साथ अपनी जगह भर दी. इस प्रकार हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जिन श्रमिकों का वेतन कम हो गया है, उनके वेतन को बहाल करने के लिए एक आदेश जारी किया जाना चाहिए.

श्रम मंत्री दिलीप वसले पाटिल की उदासीनता

यशवंत भोसले ने कहा कि इस संबंध में श्रम मंत्री दिलीप वलसे पाटिल से बार-बार संपर्क किया गया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. कंपनी मालिकों ने सरकार को ब्लैकमेल किया और मजदूरों के हितों के साथ खिलवाड़ किया है. जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त जिले के नए सदस्य हैं.  

जनप्रतिनिधि लोगों के सेवक हैं, पूंजीपतियों के नहीं

याद रखें कि आप लोगों के सेवक हैं न कि केवल एक उद्योगपति या पूंजीवादी.  कोरोना (कोविड -19) के खिलाफ कड़ी चेतावनी के बावजूद, 90 प्रतिशत कारखाने नियमों का पालन नहीं करते हैं. भोसले ने मांग की है कि ऐसी कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए और जिन श्रमिकों को स्थिति का लाभ उठाने के लिए निकाल दिया गया है, उन्हें बहाल किया जाए.