उच्च शिक्षा के लिए पुणे दुनिया की पसंद

  • विदेशी छात्रों के जरिए भारतीय संस्कृति और परंपरा दुनिया भर में फैली
  • फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एसोसिएशन का स्नातक समारोह आयोजित

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पुणे. भारत में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के कारण भारतीय संस्कृति और परंपराओं को दुनिया भर में फैलाने में मदद मिलती है. छात्र आदान-प्रदान दोनों देशों की प्रगति में योगदान करते हैं. 

सूर्यदत्ता को विदेशी छात्रों के प्रति सहानुभूति है और पिछले 18 वर्षों में 250 से अधिक विदेशी छात्र सूर्यदत्ता से स्नातक बने हैं. ऐसा विचार सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने व्यक्त किया.

58 देशों के 300 से अधिक छात्र शामिल हुए

फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एसोसिएशन-पुणे ने हाल ही में कोरेगांव पार्क के पांच सितारा होटल में पुणे में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के लिए एक स्नातक समारोह का आयोजन किया था. मुख्य अतिथि के तौर पर प्रा. डॉ. चोरडिया बात कर रहे थे. इस समारोह में 58 देशों के लगभग 300 से अधिक छात्र उपस्थित थे. दोनों देशों की संस्कृति, परम्परा एक दूसरे को समझने के मकसद से यह समारोह काफी मददगार रहा. चोरडिया ने भारतीय परंपरा ‘अतिथि देवो भव’ के अनुसार सभी विदेशी छात्रों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि सूर्यदत्ता में पिछले 18 वर्षों से विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं. आज तक सूर्यदत्ता से लगभग 250 छात्र स्नातक बने. आज विश्वभर में वे अपना टैलेंट दिखा रहे हैं. 33 देशों के छात्रों का इसमें समावेश है. भारत में पढ़नेवाले विदेश के छात्रों की सुविधा के लिए सूर्यदत्ता इंटरनेशनल एजुकेशनल एंड कल्चरल सेंटर शुरू किया गया है. इस सेंटर के तहत नियमित रूप से  विदेशी छात्रों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, विद्यार्थी सम्मेलन, दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाता है.डॉ. चोरडिया ने  कहा कि विदेशी छात्रों के लिए सूर्यदत्ता में मूलभूत सुविधा उपलब्ध हैं.

कई देशों के नृत्य पेश किए गए

इस समय सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ संचालित इंटरनेशनल स्टूडेंट्स सेंटर के संचालक प्रा. डॉ. विजय खरे, अफगानिस्तान काउन्सलेट के कॉन्सुल जनरल शफीकुल्लाह इब्राहिमी, एलपीसीपीएस के संस्थापक डॉ. एस. पी. सिंह, अजिंक्य डीवाय पाटिल यूनिवर्सिटी संचालित इंटरनेशनल सेंटर की संचालक प्रा. निरुपमा प्रकाश, ‘फिसा’ के अध्यक्ष अब्बा ओमर आदि उपस्थित थे. समारोह की शुरुआत अफगानी नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुई. चाड, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, कैमरून, युगांडा, केनिया, तंजानिया, दक्षिण सुडान, दक्षिण कोरिया, सौदी अरेबिया, यमन, जांबिया, नाइजेरिया, जिबूती, तुर्की, गैम्बिया, कांगो, दक्षिण अफ्रीका, अंगोला, मलावी, श्रीलंका, नेपाल, रुवांडा, कजाकिस्तान, बुरुंडी, गिनी, लेसोथो, इथोपिया, मालदीव, यूक्रेन, रूस , आयवरी कोस्ट, नायजर, थायलैंड, बोत्सवाना, मोजांबिक, गैबॉन, बेनिन प्रजासत्ताक, स्वाजीलैंड, मादागास्कर, एरिट्रिया, इराक, इरान, इजिप्त, मोरक्को, सोमाली, मॉरिशस,  जैसे 58 देशों के छात्र इसमें शामिल हुए.