बिहार चुनावों पर आए नतीजे, मिटसॉग के सर्वेक्षण सटीक रहे

  • एनडीए को 127 सीटों का अनुमान लगाया था

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पुणे. बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर जहां तमाम राजनीतिक पंडित और टीवी चैनलों के एग्जिट पोल धरे के धरे रहे गए. वास्तविक नतीजों से वे कोसों दूर रहे, वहीं एमआईटी-स्कूल ऑफ गवर्मेंट (मिटसॉग) का अनुमान बिल्कुल सटीक साबित हुए.

अपने सर्वेक्षण में मिटसॉग की ओर से एनडीए को करीब 127 सीटें दी गईं थीं. जो एकदम सच साबित हुए. मिटसॉग के टीम की जमकर तारीफ हो रही है.

तेजस्वी के मजबूत नेता बनने की बात की थी

प्रेस वार्ता में एमआईटी-स्कूल ऑफ गवर्मेंट की टीम के सदस्यों ने इसकी जानकारी दी. इस समय मिटसॉग के वरिष्ठ संचालक रवींद्रनाथ पाटिल, प्रा. महेश साने और महेश थोरवे उपस्थित थे. टीम के सदस्यों ने बताया कि एमआईटी-स्कूल ऑफ गवर्मेंट के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल कराड के निर्देश पर एक टीम बिहार चुनावों का सर्वेक्षण करने के लिए गई थी. ‘मिटसॉग’ के वरिष्ठ संचालक रवींद्रनाथ पाटिल की अगुवाई में इस टीम ने 6 दिनों तक पटना, छपरा और गया जिले में सर्वेक्षण किया. उन्होंने बताया कि इस पूरे सर्वेक्षण के बाद हमारा अंदेशा था कि इस चुनाव में बीजेपी या आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में उभरेंगे. एनडीए को ज्यादा बहुमत नहीं मिलेगा और एनडीए और महागठबंधन में काफी कांटे की टक्कर होगी. इसके अलावा इस चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे पर महागठबंधन को काफी ज्यादा सफलता मिलेगी और तेजस्वी यादव एक मजबूत नेता बनकर उभरेंगे.

नीतीश के खिलाफ एंटीकंबसी सामने आया

इस सर्वेक्षण में पता चला कि 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार की लोकप्रियता काफी कम हो गई है, जिससे जेडीयू की सीटों में काफी कमी आएगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चलते कुछ हद तक एनडीए का बचाव हो पाएगा. इस टीम को पता चला कि कांग्रेस के प्रत्याशियों के संदर्भ में मतदाताओं में कोई खास उत्साह नहीं दिख रहा है. 10 नवम्बर को घोषित नतीजों से यह पता चल रहा है कि मिटसॉग की टीम द्वारा किए सर्वेक्षण में सामने आई जानकारी काफी हद तक सच साबित हो रही है. ऐसी जानकारी इस टीम के सदस्यों ने दी. इस टीम के साथ में प्रा. महेश साने और एमआईटी-एसओजी के प्राध्यापक और छात्रों ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया. इस टीम ने किए अपने दौरे में वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री, विभिन्न पार्टियों के प्रवक्ता, मीडिया के प्रतिनिधि और विभिन्न सामाजिक तथा आर्थिक स्तर के मतदाताओं से भेंट कर उनसे चर्चा की थी.