74वें इन्फैंट्री दिवस पर शहीदों को नमन

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पुणे. सन 1947 में जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तानी हमलावरों से लड़ते हुए इन्फैंट्री के सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में 74वां इन्फैट्री दिवस गंभीरता और शालीनता के साथ मनाया गया. इस अवसर पर कोविड-19 के मद्देनजर सभी सावधानियों का पालन किया गया.  दक्षिण महाराष्ट्र और गोवा सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल नवनीत कुमार ने जो स्टेशन में सबसे वरिष्ठ थल सेना अधिकारी हैं, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी कमान लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती की ओर से राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय में माल्यार्पण किया. राष्ट्र के सम्मान और सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले थल सेना के सभी सदस्यों का इस अवसर पर स्मरण किया गया.

दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने इस दिवस के उपलक्ष्य में अपने संदेश में थल सेना के सभी जवानों को कठिन और असंगत वातावरण में काम करने के दौरान कर्तव्य निष्ठा तथा अदम्य भावना के लिए बधाई दी. देश की सीमाओं की पवित्रता बनाए रखने में पैदल सेना के जबरदस्त योगदान का उन्होंने उल्लेख किया. कीन ऑफ बैटल के तौर पर पहचान रखने वाली पैदल सेना भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी है. पैदल सेना के जवानों की जीवटता के साक्ष्य के रूप में 1947 की मुहीन देखी जा सकती है, क्योंकि वह पूरी तरह से सेना पर केंद्रित ऑपरेशन था.

पाकिस्तानी कबिलों से कश्मीर को मुक्त कराया था

भारतीय सेना द्वारा 27 अक्टूबर को इन्फैंट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित आक्रमणकारी कबीले वालों से कश्मीर को मुक्त कराने के लिए सिक्ख रेजिमेंट की पहली बटालियन की एक इन्मैंट्री कंपनी को दिल्ली से श्रीनगर हवाई जहाज द्वारा ले जाया गया था. महाराजा हरिसिंह ने जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के बाद यह कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था.