कोरोनाकाल में संजीवनी बने इंजेक्शन की कालाबाजारी

Loading

निजी अस्पताल के वार्डबॉय समेत 3 के खिलाफ मामला दर्ज

पिंपरी. महामारी कोरोना के संकटकाल में संजीवनी साबित रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पर्दाफाश हुआ है. पिंपरी चिंचवड शहर के एक निजी अस्पताल में काम करनेवाले वार्डबॉय और महिला सुरक्षा रक्षक ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन ऊंचे दाम पर बेचे जाने की शिकायत के आधार पर उनके समेत तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.बहरहाल अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है. प्रबंधन का कहना है कि यह घटना अस्पताल में नहीं हुई है.संबंधित वार्डबॉय और सुरक्षा रक्षक को नौकरी से निकाल दिया गया है.

निगड़ी थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक गणेश जवंदवाड ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस बारे में मुस्तफा अब्दुल गफार तांबोली ने निगडी पुलिस स्टेशन में शिकायत अर्जी दी थी.इसकी छानबीन के बाद पुलिस ने बीती देर शाम महिला सुरक्षा रक्षक वैष्णवी टाकुरकर, वॉर्डबॉय शाहिद शेख और विजय रांजणे के खिलाफ मामला दर्ज किया है. मुस्तफा की मां मुमताज अब्दुल गफार तांबोली के कोरोना ग्रस्त होने के बाद उन्हें आकुर्डी के स्टार हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.डॉक्टर ने उनके इलाज के लिए आवश्यक रेमडेसिवीर इंजेक्शन लाने के लिए कहा था.

पहले दो इंजेक्शन मेडिकल में उपलब्ध हो गए, मगर तबीयत बिगड़ने से और इंजेक्शन लाने को कहा.इस बार उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल सके. मुमताज आईसीयू में एडमिट थी, वहीं शाहिद शेख वार्डबॉय के तौर पर कार्यरत था.जब उससे मुस्तफा ने इंजेक्शन के बारे में पूछा तो उसने दो इंजेक्शन के लिए 15 हजार 600 रुपए का खर्च बताया. जब वे राजी हो गए तब उसने इंजेक्शन लाकर दिये. हालांकि इस दौरान उसने डॉक्टर द्वारा दी गई चिट्ठी फाड़कर फेंक दी.

दो दिन बाद मुस्तफा की मां की मौत हो गई. इसके बाद मुस्तफा के मित्र के पिता को भोसरी के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जरूरत थी. इंजेक्शन के लिए मुस्तफा ने फिर वार्डबॉय शाहिद को फोन किया. उसने इंजेक्शन उपलब्ध रहने की बात कही. इसके बाद मुस्तफा अपने दोस्त के साथ जब उससे इंजेक्शन लेने के लिए गए तब शाहिद सुरक्षा रक्षक महिला वैष्णवी टाकूरकर और वॉर्डबॉय विजय रांजणे के साथ मिला. उसने छह हजार रुपए में इंजेक्शन दिए. तब उन्होंने उसे पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

हालांकि विजय रांजणे तब भाग निकला, मगर पुलिस ने तीनों को हिरासत में ले लिया. पूरे मामले की छानबीन और पूछताछ के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. बहरहाल स्टार हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अमित वाघ ने सभी आरोपो को खारिज कर दिया.यह पूरा वाकया हॉस्पिटल में नहीं हुआ है, उसका हॉस्पिटल या फार्मेसी से कोई सरोकार नहीं है.उस वार्डबॉय और सुरक्षा रक्षक को नौकरी से निकाल दिया गया है.जो लोग दोषी हैं उनके खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई करे.