A young man who defeated the corona virus donated his plasma

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पुणे. राज्य में कोरोना महामारी के जारी संकट के बीच महाराष्ट्र में अमलीजामा पहनाए जा रहे प्लैटिना प्रकल्प के अंतर्गत एसआरपीएफ और ससून अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में प्लाज्मा डोनेशन शिविर का आयोजन किया गया था. इस शिविर के प्रथम दिन एसआरपीएफ के जवानों ने प्लाज्मा दान कर एक अलग रूप से देश सेवा की.

प्रमाण पत्र देकर किया सम्मान

शिविर में एसआरपीएफ के कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने  हिस्सा लेकर प्लाज्मा दान करने की सेवा पर सभी जवानों को  प्रमाणपत्र देकर गौरवान्वित किया गया. प्लाज्मा दान करने के लिए आधुनिक टेक्नोलाजी की सहायता से इस प्रकल्प पर अमलीजामा पहनाया जा रहा है. एसआरपीएफ के डीआईजी नवीनचन्द्र रेड्डी ने बताया कि भारत में कोरोना महामारी के चपेट में आ रहे मरीजों को कोरोना से मुक्त करने के लिए इस बीमारी से पहले मुक्त हुए मरीजों के खून का प्लाज्मा देकर प्रतिकार शक्ति सुधारी जा सकती क्या? इस पर शोध जारी है. इस प्रकार को कॉन्वालेसंट प्लाज्मा थेरमी कहा जाता है. इससे पूर्व इसका इस्तेमाल कई बीमारियों पर किया गया है.

800 ML खून लिया जाता है

इस पध्दति में कोरोना महामारी से मुक्त हुए मरीज का 800 मि.ली. खून लिया जाता है. उससे प्लाज्मा निकालकर वह गंभीर मरीज को दिया जाता है, लेकिन ऐसा करने से पूर्व खून देनेवाला मरीज बेहतर होकर उसकी एक पखवाड़ा बाद दुबारा टेस्ट करने पर  वह पॉजिटिव आना जरुरी है. इसके अलावा उसके खून में विषाणु के खात्मेवाले प्रतिगाठ हैं इन्हें ढूंढा जाता. डीआईजी नवीनचन्द्र रेड्डी ने कहा कि एसआरपीएफ जवानों और अधिकारियों ने प्लाज्मा दान कर देश सेवा की है.

 कई मरीजों की बच सकती है जान

जिन्होंने प्लाज्मा दान किया उन जवानों की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है. उनके प्लाज्मा से कई मरीजों की जान बच सकती है. एसआरपीएफ जवानों और अधिकारियों द्वारा किए गए प्लाज्मा दान के अवसर पर एसआरपीएफ के डीआईजी नवीनचन्द्र रेड्डी के अलावा ब्लड बैंक प्रमुख डॉ. नलिनी काडगी, सहायक समादेशक खेडेकर विभाग प्रमुख डॉ. नखाते, समन्वयक और वैद्यकीय समाजसेवा अधीक्षक डॉ.शंकर मुगावे, अधिष्ठाता डॉ. मुरलीधर तांबे उपस्थित थे.